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भारत में कैसे व क्यों बदल रहा है, पाम तेल के उपभोग एवं उत्पादन का परिदृश्य?

मेरठ

 26-10-2023 09:38 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

पाम तेल(Palm oil)या ताड़ का तेल, ताड़ के फलों से प्राप्त होता है।पाम तेल एवं पाम के गुद्दे का तेल(Palm kernel oil) दुनिया में सबसे योग्य एवं उपयोग किए जाने वाले कच्चे तेलों में से एक है। पाम तेल का सबसे आम उपयोग, खाना पकाने हेतु तथा चिप्स(Chips) और इंस्टेंट नूडल्स(Instant Noodles) से लेकर टूथपेस्ट(Toothpaste), लोशन(Lotion), लिपस्टिक(Lipstick) और अन्य कई व्यक्तिगत देखभाल और सौंदर्य प्रसाधनों में, विभिन्न रूपों में किया जाता है। एक औसत शहरी भारतीय द्वारा प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में से, 50% उत्पादों में पाम तेल होता है।जबकि, हमारे देश भारत में, पिछले दो दशकों में, पाम तेल की हमारी खपत में, लगभग 230% की वृद्धि हुई है। भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल खरीदार है और पाम तेल की लगभग 17% वैश्विक खपत के लिए जिम्मेदार है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम उपभोक्ता होने के साथ-साथ, पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक भी है।
पिछले दो दशकों में, पाम तेल भारत के खाद्य तेल बाजार के केंद्र में रहा है। इसके अलावा, सीमित उत्पादक भूमि वाली लगातार बढ़ती आबादी को सस्ता भोजन उपलब्ध कराना भी हमारी चुनौती के लिए, मौलिक बना हुआ है। यह परिदृश्य हमें, उपभोक्ताओं के लिए, उचित खाद्य कीमतों को संतुलित रखना, हमारी आयात निर्भरता और लागत को कम करना तथा देशज उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करता है।
देश की 12वीं पंचवर्षीय योजना(2012-17) के तहत, कार्यान्वित राष्ट्रीय तिलहन और पाम तेल मिशन का उद्देश्य, भारत में सरकार द्वारा चिन्हित 20 लाख हेक्टेयर भूमि में कृषि पद्धतियों को बदलना था। इसके अंतर्गत, 2030 तक पाम तेल के लिए, लगभग दस लाख हेक्टेयर भूमि पर कृषि करना आवश्यक है। इस मौजूदा व्यवस्था ने, पाम बागान क्षेत्र और उपज में वृद्धि तथा घरेलू प्रसंस्करण इकाइयों में बेहतर क्षमता उपयोग के माध्यम से, भारत में पाम उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी काम किया है। केंद्र और राज्य सरकारों ने रोपण क्षेत्र के विस्तार के माध्यम से, पाम तेल के समग्र उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं स्थापित की हैं। इनमें सरकारी वित्तीय प्रोत्साहन से लेकर, संबंधित क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना और किसानों के लिए सब्सिडी भी शामिल हैं।
अप्रैल 2017 में, खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने तथा हमारे आयात को कम करने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने, बड़े खिलाड़ियों को लुभाने के लिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अतिरिक्त लाभ वाली कंपनियों के लिए, पाम तेल कृषि हेतु, सभी भूमि सीमाएं हटाने का फैसला किया था। हमारे देश में,पाम तेल की खेती का नेतृत्व बड़े पैमाने पर रुचि फूडलाइन(Ruchi Foodline), 3एफ इंडस्ट्रीज(3F Industries) और गोदरेज एग्रोवेट(Godrej Agrovet) जैसे बड़े खिलाड़ियों द्वारा किया जाता है। इन उत्पादन मॉडलों में आम तौर पर, छोटे किसानों और उस क्षेत्र में उत्पादकता में सुधार के लिए संयुक्त प्रयास शामिल होते हैं, जो परंपरागत रूप से पाम की खेती के लिए प्रतिकूल जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष करते हैं। इस वर्ष जून महीने में, भारत का पाम तेल आयात मई महीने की तुलना में, 49% बढ़कर पिछले तीन महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। क्योंकि, तब खरीदारों ने खरीदारी बढ़ाने के लिए कीमतों में गिरावट का फायदा उठाया था। दुनिया के सबसे बड़े वनस्पति तेल आयातक के रुप में, हमारे द्वारा खरीदारी में इस उछाल से, मलेशिया(Malaysia) एवं इंडोनेशिया जैसे पाम तेल के निर्यातकों को समर्थन मिला हैं। भारत का पाम तेल आयात, जून में बढ़कर 6,55,000 मीट्रिक टन हो गया, जो मई में केवल 4,39,173 मीट्रिक टन था। मई में हुई कम आयात एवं कीमत में सुधार ने, भारतीय खरीदारों को जून में पाम तेल की खरीदारी बढ़ाने के लिए, प्रोत्साहित किया। यह आंकड़े दुनिया के कुछ अग्रणी देशों द्वारा 2022 में, पाम तेल के आयात मूल्य को दर्शाते है। इससे हमें पता चलता है कि, पिछले वर्ष, भारत दुनिया भर में पाम तेल का अग्रणी आयातक था, जिसका आयात मूल्य लगभग 11.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
2021 में, कुल 51.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर व्यापार मूल्य के साथ, पाम तेल दुनिया का 87वां सबसे अधिक कारोबार वाला उत्पाद था। पाम तेल का व्यापार, विश्व के कुल व्यापार के 0.24% का प्रतिनिधित्व करता है। 2020 और 2021 के बीच पाम तेल का निर्यात 49.1% बढ़कर, 34.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 51.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
2021 में, पाम तेल के शीर्ष निर्यातक: इंडोनेशिया(27.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर), मलेशिया(15 बिलियन अमेरिकी डॉलर), नीदरलैंड(Netherlands)(1.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर), ग्वाटेमाला(Guatemala)(715 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और पापुआ न्यू गिनी(Papua New Guinea)(706 मिलियन अमेरिकी डॉलर) थे। जबकि, उसी वर्ष पाम तेल के शीर्ष आयातक भारत (8.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर), चीन(5.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर), पाकिस्तान(3.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर), नीदरलैंड (2.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और संयुक्त राज्य अमेरिका(1.71 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थे। दुर्भाग्य से, इंडोनेशिया(Indonesia) के 22.2 मिलियन टन की तुलना में, भारत केवल 0.08 मिलियन टन पाम तेल का ही उत्पादन करता है। और इंडोनेशिया की 3.87 की तुलना में, भारत की प्रति हेक्टेयर पाम उत्पादकता भी 1.12 टन ही थी।संक्षेप में, हम पाम तेल का आयात करना जारी रखेंगे। जनवरी 2018 में, लगभग 8,34,444 टन पाम तेल का आयात किया गया था, जो पहले से ज्ञात आयात आंकड़ों से लगभग 36.17% अधिक था।
परंतु, पाम तेल का उत्पादन सीधे तौर पर गंभीर पारिस्थितिक क्षति से जुड़ा हुआ है। इससे वर्षा वनों का विनाश, अवैध संसाधनों का उपयोग, जैव विविधता की हानि और इस प्रकार, पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण होता है। इसके अलावा, कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि, पाम वृक्षारोपण से पानी की गुणवत्ता को खतरा है। क्योंकि, इस फसल में पानी की खपत बहुत अधिक होती है।
जबकि, यह देखते हुए कि, अब तक, छोटे खेतों की स्थापना करते समय वन रूपांतरण से बचा गया है, भारतीय पाम क्षेत्र स्वाभाविक रूप से अन्य देशों की तुलना में अधिक टिकाऊ है। इस प्रकार हमारे देशज उत्पादन में वृद्धि को अल्पावधि में, आर्थिक और सामाजिक दोनों लाभों के रूप में देखा जाता है।
दरअसल, इन समस्याओं को संबोधित करने के कई तरीके हैं। टिकाऊ पाम तेल को परिभाषित करना और फिर उसके आयात और उत्पादन को प्रोत्साहित करना इसका पहला चरण है। यूरोप(Europe) ने 2020 तक ही, टिकाऊ पाम तेल के लिए, राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं 100% पूर्ण करने का लक्ष्य रखा था। अब तो, एशिया(Asia) के पांच प्रमुख पाम तेल आयातक देश– भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल,एशियन पाम ऑयल एलायंस(Asian Palm Oil Alliance) या एशियाई पाम तेल संगठन बनाने के लिए, एक साथ आए हैं। इस पाम तेल संगठन को 21 सितंबर 2022 को आगरा में,ग्लोबोइल सम्मेलन(Globoil Summit) के दौरान कार्यान्वित किया गया था।एशियाई पाम तेल आयातकों का यह गठन कई एशियाई देशों को सशक्त बनाता है, जिनके लिए पाम तेल किफायती भोजन और पोषण का एक स्रोत है।
इस गठन से, पाम तेल उपभोक्ता देशों के आर्थिक और व्यावसायिक हितों की रक्षा करने और एशिया में भोजन, फ़ीड(Feed) और ओलियो-रसायनों(Oleo-chemicals) में उपयोग किए जाने वाले सभी वसा और तेलों के लिए, एक समान अवसर बनाने की उम्मीद है। यह सदस्य देशों में स्थायी पाम तेल की खपत बढ़ाने की दिशा में भी काम करेगा।
आने वाले वर्षों में, संगठन वैश्विक पाम तेल उद्योग की आम समस्याओं, हितों और आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिए, सबसे महत्वपूर्ण मंचों में से एक बनकर उभरेगा। साथ ही, आने वाले दशकों में, एशिया की बढ़ती संपत्ति पाम तेल की क्षेत्रीय मांग को और बढ़ाएगी।दूसरी ओर, टिकाऊ पाम तेल में भी एशिया की अहम भूमिका है। इस प्रकार, इस संगठन का निर्माण एशिया में एक स्थायी और समावेशी पाम तेल उद्योग की दिशा में परिवर्तन का समर्थन और गति प्रदान करेगा।

संदर्भ
https://tinyurl.com/m64f58c4
https://tinyurl.com/3whxdahx
https://tinyurl.com/3jtnwy9t
https://tinyurl.com/2s4fn6at
https://tinyurl.com/4teffjrw

चित्र संदर्भ
1. ताड़ के खेतों में काम करते दो लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एलाएइस गिनीन्सिस के फलों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ताड़ के बागान में काम करते व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बिक्री हेतु रखे गए ताड़ के तेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ताड़ का तेल बनाने की तैयारी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ताड़ के तेल के बीजों को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)

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