शहरीकरण दो प्रकार के होते हैं। एक जिसमे गाँव या कोई नगर की जनसंख्या बढ़ने के कारण या प्रौद्योगिकी की वजह से होता है और दुसरे प्रकार में एक जगह को उचित योजना के तहत विकसित करते हैं। जब कोई नगर एक परियोजना के अनुसार विकसित किया जाता है, बसाया जाता है तब वहाँ पर रहनेवाले नागरिकों को शायद ही कभी कोई असुविधा होती है तथा परियोजना अंतर्गत बनाने की वजह से विकास के हर एक मायने को मद्देनजर में रखा जाता है। योजनाबद्ध शहर उस नगर के धरोहर को भी सहेजता है तथा सौन्दर्यदृष्टि और सहूलियत को भी, प्रकृति, संस्कृति और सुविधा का सुन्दर मिलाप। मात्र जब कोई गाँव या नगर बेतरतीब जनसंख्या की वजह से बढ़ने लगे तो बहुतायता से उस शहर का प्रकृति, संस्कृति और सुविधा का संतुलन बिगड़ जाता है। बहुत बार ऐसा होता है की शहर के कुछ हिस्से बड़े सुन्दर रहते हैं लेकिन कुछ हिस्से खास कर पुराने अथवा परिधि पर नए सिरे से बढ़ने वाले शहर के हिस्से बेतरतीब बढती आबादी की वजह से ठिक से विकसित नहीं होते। घनी आबादी जो बढ़ते रहती है शहर की क्षमता और सीमाओं को बस खींचते रहती हैं। ऐसी ही कुछ हालत है मेरठ के कुछ हिस्सों की। मेरठ, भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला शहर है तथा दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी शहर का दूसरा सबसे बड़ा शहरी केंद्र है एवं लघु उद्योग का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है और शिक्षा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है। मेरठ शहर अपने गौरवपूर्ण इतिहास, प्रकृति सौंदर्य और धरोहर की वजह से काफी प्रसिद्ध है। यहाँ पर मेरठ की प्रकृति-संस्कृति के साक्ष्य आज भी बड़ी शान से खड़े हैं। मात्र बेतरतीब शहरीकरण की वजह से यह खुबसूरत संतुलन बिगड़ रहा है। इसका सबसे विशद उदहारण है मेरठ नवाब की ढहती मज़ार। अबू का मकबरा सन 1688 में बनाया गया था। यह मेरठ के नवाब अबू मोहम्मद खान की मज़ार है जो औरंगजेब के दरबार में वज़ीर भी थे। मेरठ की अबू लेन और अबू का नाला यह इलाके इन्ही के नाम से जाने जाते हैं। इस मकबरे में नवाब के साथ उनकी बीवी भी दफ्न है। प्रस्तुत चित्र अबू के मकबरे का ब्रिटिश काल का शिलामुद्रण है। आज यहाँ पर आस-पास बढ़ते आबादी की वजह से इस सांस्कृतिक धरोहर की हालत ख़राब हो रही है। इस के कुछ हिस्से गिर रहे हैं और आस-पास नए घर/ दूकान बनाए जा रहे हैं तथा इस मज़ार का इस्तेमाल भेड़ बकरियों को बांधने तथा घरेलु कामों के लिए भी हो रहा है। यहाँ के सजग नागरिक और पुरातत्वविद इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के रखवाली में लेने के लिए अनुरोध कर रहे हैं मात्र अब तक इसके लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यही हाल औघड़नाथ और बिल्वेश्वर मंदिर का भी है जो मेरठ के सन 1857 आजादी के महासंग्राम के मौजूदा साक्ष्य हैं। यह दोनों मंदिर आज नए सिरे से पुनर्निर्मित किये जा चुके हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ महायोजना 2021 के अंतर्गत शहर की बढती आबादी और यहाँ पर उपलब्ध सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मेरठ शहर को यथोचित विकसित करने का जिम्मा उठाया है। 1. http://uptownplanning.gov.in/post/en/introduction-of-development-area-meerut 2.http://uptownplanning.gov.in/site/writereaddata/siteContent/201801181501127486MeerutMasterPlan.pdf 3. अर्बनायजेशन एंड क्वालिटी एनवायरनमेंट: ए केस सस्टडी ऑफ़ मेरठ सिटी http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/26678/5/014_synopsis.pdf
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