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मैमथ (Mammoth), आधुनिक हाथियों के प्राचीन रिश्तेदार हुआ करते थे जो, लगभग 50,000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व के दौरान हमारी पृथ्वी पर घूमा करते थे। ये काफी हद तक हाथियों जैसे दिखते थे, लेकिन वास्तव में हाथियों से बहुत बड़े होते थे। मैमथ का वैज्ञानिक नाम 'मैमुथस प्राइमिजीनियस' है, और अब यह पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं। सालों पहले भारतीय वैज्ञानिकों को कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) में इन्हीं का एक विशाल जीवाश्म मिला था। यद्यपि, भारत में अभी तक मनुष्यों द्वारा तराशे कोई भी मैमथ हाथी दांत नहीं मिले हैं। लेकिन जर्मनी (Germany) की वोगेलहर्ड नामक एक गुफा (Vogelherd Cave) में शोधकर्ताओं को अलग-अलग जानवरों के आकार की, बारीकी से शानदार नक्काशी किये हुए विशाल मैमथ के दांत मिले हैं ।
वोगेलहर्ड गुफा, दक्षिण-पश्चिमी जर्मनी में पूर्वी स्वाबियन जुरा (Eastern Swabian Jura) नामक स्थान में मौजूद है। यह गुफा चूना पत्थर की चट्टान से बनी है। शोधकर्ताओं की इस गुफा पर नजर 1931 में पड़ी जब उन्हें इसके अंदर कुछ छोटी-छोटी मूर्तियां मिलीं। दरअसल 23 मई, 1931 में, हरमन मोन (Hermann Mohn) नामक एक व्यक्ति को यहां पर फ्लिंटस्टोन (Flintstones) के कुछ टुकड़े मिले। इसके बाद उन्होंने ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय (University Of Tübingen) को अपनी खोज के बारे में बताया। उसी वर्ष, ट्यूबिंगन के गुस्ताव रीक (Gustav Rieck) नामक एक वैज्ञानिक ने 15 जुलाई से 1 अक्टूबर 1931 तक तीन महीने तक इस गुफा में खुदाई की। इसके बाद जाकर उन्हें इस बात के प्रमाण मिले कि, “इस स्थान पर मनुष्य रहते थे, क्योंकि यहाँ पर उन्हें पुराने पाषाण युग से लेकर कांस्य युग तक, विभिन्न समय अवधि के औजार और अन्य वस्तुएँ मिलीं।” यहाँ उन्हें ऑरिग्नेशियाई काल (Aurignacian Period) की मिट्टी की एक परत में विशाल हाथी दांत से बनी कई छोटी-छोटी आकृतियाँ भी मिलीं। इन आकृतियों में बिंदु, रेखाएं और एक्स-आकार के निशान जैसी सजावट भी की गई थी। ये निशान यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि उनका उपयोग धार्मिक या अनुष्ठानिक उद्देश्यों के लिए किया गया होगा।
साथ ही यहाँ पर उन्हें गहने और हाथी दांत से बनी बांसुरी के टुकड़े भी मिले। ये सभी कलाकृतियाँ ऊपरी पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic) के दौरान ऑरिग्नेशियाई संस्कृति (Aurignacian Culture) के प्रारंभिक मनुष्यों द्वारा विशाल ऊनी मैमथ हाथी दांत से बनाई गई थीं। इन्हें दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात कला कृतियों में से एक माना जाता है। 2017 में इन्हें यूनेस्को (UNESCO) द्वारा, विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल कर लिया गया था। इन मूर्तियों में शामिल है:
जंगली घोड़ा: यह एक घोड़े की मूर्ति है, जो लगभग 30,000 - 29,000 वर्ष पुरानी है। यह मूर्ति बहुत सटीक आकार की है। जानकार मानते हैं कि यह एक आक्रामक या प्रभावशाली घोड़े का प्रतिनिधित्व करती है। इसका केवल सिर ही पूरी तरह सुरक्षित है।
शेर का सिर: यह मूर्ति लगभग 40,000 वर्ष पुरानी है। इसे 1931 में अधूरे सिर के साथ खोजा गया था। इसका एक अन्य खोया हुआ टुकड़ा 2005 और 2012 के बीच खुदाई के दौरान खोजा गया था और इसके बाद दोनों को सफलतापूर्वक पुनः जोड़ा गया था, जिससे यह पुष्टि हुई कि मूर्ति वास्तव में एक त्रि-आयामी मूर्तिकला है। इसकी रीढ़ पर लगभग 30 बारीक कटे हुए क्रॉस (Cross) हैं।
मैमथ: यह लगभग 35,000 वर्ष पुरानी ऊनी मैमथ (Wooly Mammoth) की मूर्ति है। यह पूरी मूर्ति पूरी तरह से अक्षुण्ण (Intact) है, और इसमें विस्तृत नक्काशी की गई है। यह अपने पतले आकार, नुकीली पूंछ, मजबूत पैरों और गतिशील रूप से घुमावदार धड़ के कारण इन सभी में सबसे अलग दिखती है। वोगेलहर्ड गुफा में खोजी गई ऊनी मैमथ की यह नक्काशी बहुत छोटी (केवल 3.7 सेमी लंबी और वजन केवल 7.5 ग्राम) है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं को यहां पर 200,000 से अधिक पत्थर के औजार, हड्डी और हाथी दांत से बने औजार, पक्षियों की हड्डियों सहित अन्य जानवरों की लगभग 500 किलोग्राम हड्डियां और 28 किलोग्राम विशाल हाथी दांत मिले।
यदि हम भारत में मैमथ की उपस्थिति पर नजर डालें तो ओडीशा राज्य के जाजपुर ज़िले सहित 2019 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) के बिजरानी क्षेत्र में भी एक 'विशाल मैमथ” का जीवाश्म खोजा गया। इस खोज ने वन्य जीवन रूचि रखने वाले लोगों और वैज्ञानिकों के बीच उत्सुकता बड़ा दी है। एमपीएस बिष्ट (MPS Bisht) नामक एक भूविज्ञानी, जो उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक भी हैं और इस जीवाश्म की खोज करने वाली टीम का हिस्सा थे, के अनुसार यह विशाल मैमथ का एक का जबड़ा है और लगभग 1.2 मिलियन वर्ष पुराना हो सकता है। लेकिन इसकी पुष्टि के लिए उन्हें और परीक्षण करने की जरूरत है।
हालांकि कश्मीर में गैलेंडर पंपोर नामक एक जगह में भी इसी तरह के एक मैमथ के जीवाश्म मिलने का दावा किया गया था। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, गैलेंडर पंपोर में पाए गए जीवाश्म वास्तव में मैमथ के नहीं, बल्कि किसी अन्य प्राचीन हाथी के हैं। हाथी की खोपड़ी से पता चलता है कि वह पेलियोलोक्सोडोन प्रजाति (Palaeoloxodon Species) का था और लगभग 50 वर्ष का था।
जीवाश्मों के साथ-साथ यहां पर प्रारंभिक मध्य पुरापाषाण युग के पत्थर के औजार भी खोजे गये हैं। ये सभी जीवाश्म और पत्थर के औजार अब जम्मू विश्वविद्यालय के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में रखे गए हैं। हालांकि इस जीवाश्म के कुछ हिस्से 2004 के बाद चोरी हो गए या नष्ट हो गए थे।
मैमथ (Mammoth), आधुनिक हाथियों के प्राचीन रिश्तेदार हुआ करते थे जो, लगभग 50,000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व के दौरान हमारी पृथ्वी पर घूमा करते थे। ये काफी हद तक हाथियों जैसे दिखते थे, लेकिन वास्तव में हाथियों से बहुत बड़े होते थे। यद्यपि, भारत में अभी तक मनुष्यों द्वारा तराशे कोई भी मैमथ हाथीदांत नहीं मिले हैं। लेकिन जर्मनी की वोगेलहर्ड नामक एक गुफा में, शोधकर्ताओं को शानदार नक्काशी के साथ विशाल मैमथ के दांत मिले हैं, जिन्हें मनुष्यों द्वारा अलग-अलग जानवरों के आकार में उकेरा गया है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2u577jzr
https://tinyurl.com/4afjx5bb
https://tinyurl.com/mrsphhw4
https://tinyurl.com/24u6ub24
https://tinyurl.com/345s5aay
चित्र संदर्भ
1. मैमथ हाथी और जर्मनी की वोगेलहर्ड नामक गुफा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. विशाल मैमथ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. वोगेलहर्ड नामक गुफा के भीतर शोधकर्ताओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वोगेलहर्ड नामक गुफा के भीतर मिले एक घोड़े की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. वोगेलहर्ड नामक गुफा के भीतर मिले शेर की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. वोगेलहर्ड नामक गुफा के भीतर मैमथ की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. टोरंटो रॉयल ओंटारियो संग्रहालय में मैमथ के कंकाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)