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रानी लक्ष्मीबाई व पद्मावती के कुंदन, पोल्की आभूषणों से आज भी दुल्हने पाती हैं प्रेरणा

मेरठ

 04-10-2023 10:50 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

साहसी मराठा योद्धा रानी लक्ष्मी बाई अर्थात झांसी की रानी की जीवनी पर बनी फिल्म “मणिकर्णिका” कई मायनों में, बहुत प्रेरणादायक रही है। यह फिल्म हमें रोमांचित करती है, क्योंकि सभी की निगाहें रानी लक्ष्मी बाई का किरदार निभाने वाली एक कुशल अभिनेत्री कंगना रनौत की शैली और कुशलता पर टिकी रहती हैं। अगर आपने इस फिल्म को पहले ही देख लिया है, तो इसमें दिखाए गए, रानी लक्ष्मी बाई के राजसी वस्त्रों एवं आभूषणों ने आपका ध्यान जरूर खींचा होगा। दरअसल, फैशन डिज़ाइनर (Fashion Designer) नीता लुल्ला ने इस फिल्म के लिए कंगना के वस्त्र डिज़ाइन किए थे। जबकि, उनके गहनों को जयपुर के राजसी आभूषण सदन (Jewellery house), ‘आम्रपाली’ ने डिजाइन किया। रानी लक्ष्मी बाई की भूमिका निभाने वाली कंगना इस फ़िल्म में, महाराष्ट्र के अपने पारंपरिक परिधानों में नजर आ रही हैं। कंगना रनौत के आभूषण प्राचीन मराठा काल की कला और वास्तुकला से प्रेरित हैं। हम कंगना को नथ, माथा पट्टी, झुमके, चोकर और बड़े-बड़े राजसी हार आदि आभूषण पहने हुए देख सकते थे। इस फिल्म के किरदारों को पारंपरिक मराठी थुशी से लेकर, मोती के हार और जड़ाऊ आभूषण भी पहने हुए देखा जा सकता है। कंगना द्वारा पहनी गई माथा पट्टी से कई दुल्हनों ने प्रेरणा ली हैं। अभिनेत्री के हाथ के आभूषण रानी लक्ष्मी बाई की आभा और एक सच्ची योद्धा की भूमिका के साथ, पूरी तरह मेल खाते हैं। जबकि, युद्ध के मैदान में रानी लक्ष्मीबाई साधारण मोतियों के हार पहने दिखाई जाती हैं।
दूसरी ओर, संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित “पद्मावत” एक सामयिक फिल्म है। इसमें फिल्मी जगत की एक प्रतिभावान अभिनेत्री, दीपिका पादुकोण ने राजपूत रानी–पद्मावती की भूमिका निभाई है, जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थीं तथा महारावल रतन सिंह की पत्नी थीं। फिल्म पद्मावत ने फिल्मकारों को राजस्थान के शाही, जीवंत तथा भव्य विरासतीय आभूषणों को प्रदर्शित करने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान किया। रानी पद्मावती के रूप में दीपिका पादुकोण भारी राजपुताना कुंदन आभूषणों से सुसज्जित है। अभिनेत्री ने जटिल चित्रकारी से सुसज्जित आभूषण भी पहने थे। साथ ही, इस किरदार के मीनाकारी आभूषण भी हमारा ध्यान खींचते हैं। ‘घूमर’ नृत्य के लिए, दीपिका को ‘तनिष्क’ आभूषण सदन द्वारा डिजाइन किए गए, 3 किलोग्राम वजन तक के, जटिल आभूषण पहनाए गए थे। इसमें तिहरा बोरला, माथापट्टी और बाजूबंद शामिल थे, जो राजस्थानी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक आभूषण हैं। दीपिका को एक भारी लहंगे में, खूबसूरत बड़ी नथ, मोतियों के चोकर तथा हस्त फूल पहने हुए देखा जा सकता है। चित्तौड़ की रानी के रूप में, दीपिका के शाही स्वरूप के बारे में अधिक आकर्षक बात यह है कि उन्होंने जो भारी पोशाकें और मीनाकारी एवं कुंदन के गहने पहने हैं, वे रानी की भव्यता को सही ढंग से दर्शाते हैं। जड़ाऊ आभूषणों को एक पारंपरिक तकनीक के माध्यम से तैयार किया जाता है, जिसका उपयोग कुंदन और पोल्की आभूषण बनाने के लिए किया जाता है। मूल रूप से, कुंदन और पोल्की आभूषण दोनों की निर्माण प्रक्रिया एक समान है। इस प्रक्रिया को जड़ाऊ कहा जाता है। दरअसल, हम में से कई लोग कुंदन और पोल्की आभूषणों के बीच अंतर करने में भ्रमित हो जाते हैं। क्योंकि, कुंदन और पोल्की आभूषण दोनों एक जैसे ही दिखते हैं। हालांकि, वे एक-दूसरे से काफी भिन्न हैं।
कुंदन आभूषण मूल रूप से, कांच के पत्थरों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिन्हें बाद में सोने या चांदी में जड़ा जाता है। यह कांच की पोल्की से बना एक पारंपरिक राजस्थानी आभूषण है। कुंदन आभूषण बनाने के लिए, किसी भी हीरे का उपयोग नहीं किया जाता है।
कांच इसे भ्रामक रूप से, पोल्की या जड़ाऊ आभूषणों जैसा पेश करता है। कुंदन आभूषण कीमती धातुओं से बने होते हैं और इसके पीछे बहुत ही जटिल विवरण का काम होता है।
जबकि पोल्की, वास्तव में, अपने सबसे प्राकृतिक रूप में, एक हीरा है। इस हीरे को काटा, तराशा और पॉलिश (Polish) नहीं किया जाता है। पॉलिश किए गए हीरे की तरह, इस हीरे को अपना अंतिम आकार लेने के लिए, प्रसंस्करण के कई चरणों से नहीं गुजरना पड़ता है। इन हीरों का उपयोग किसी भौतिक या रासायनिक उपचार के बिना, उनके प्राकृतिक रूप में किया जाता है। इन हीरो को अक्सर उनके मूल खुरदरे स्वरूप में रखा जाता है और पत्थर की मूल संरचना का पालन करते हुए ही काटा जाता है। हीरे के पीछे प्रकाश को प्रतिबिंबित करने के लिए चांदी या सोने की परत लगाई जाती है।
आज, राजस्थान में बीकानेर शहर पोल्की के लिए सबसे प्रतिष्ठित केंद्र है। पोल्की आभूषणों का इतिहास लगभग 2500 वर्ष पुराना माना जाता है। माना जाता है कि मुगल शासकों ने इसे भारतीय उपमहाद्वीप में पेश किया था, जिसके बाद, देश के अन्य शाही परिवारों में भी इसके प्रति रुझान पैदा हुआ। आज, पोल्की आभूषणों का उपयोग दुल्हन के लिए, अति सुंदर आभूषण बनाने के लिए किया जाता है। इसमें हार, झुमके, अंगूठियां, नथ, माथा पट्टी या मांग टीका और हथफूल से लेकर, यहां तक कि, दूल्हे के वस्त्रों के लिए बटन और कफ़लिंक (Cufflink) भी शामिल हैं। पोल्की आभूषणों का हमारी संस्कृति से गहरा संबंध है। यह दुल्हनों के वर्तमान परिधान में अतीत की एक झलक जोड़ने का भी एक तरीका है। हमारे देश में, जब किसी दुल्हन के पहनावे की बात आती है, तो पारंपरिक पोशाक के रूप में साड़ी और लहंगा उनके लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प हैं। इसके साथ ही, आभूषणों के लिए पोल्की आभूषण भी दुल्हन के पसंदीदा विकल्प होते हैं।
इन डिज़ाइनों की महिमा पारंपरिक भारतीय पहनावे से भी पूरी तरह मेल खाती है। पोल्की आभूषणों को सोने के साथ तैयार किया जाता है, जो भारतीय पहनावे के साथ खूबसूरती से मेल खाता है। आपको इनमें से कौन से आभूषण पसंद है? आप पसंदीदा आभूषणों के बारे में भी, आप हमें कमेंट्स में बता सकते हैं। (ha ha)

संदर्भ
https://tinyurl.com/y7vspxjs
https://tinyurl.com/5ahwnzm7
https://tinyurl.com/5bd32t78
https://tinyurl.com/3xxyfpr6
https://tinyurl.com/yc7vxyxb

चित्र संदर्भ
1. 1857 में फर्रुखाबाद के नवाब के महल पर कब्ज़ा करने के दौरान झाँसी की रानी की एक सुंदर लघु प्रतिमा मिली। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कंगना को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. रानी पद्मावती की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
4. रानी पद्मावती के किरदार में दीपिका पादुकोण को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)

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