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छोटे द्वीपों पर महाद्वीपीय प्रजातियों की तुलना में जानवरों और पक्षियों की प्रजातियों का इंसानों द्वारा विलुप्त होना आम बात है। यूरोपीय लोगों के संपर्क में आने के कारण, दुनिया भर में विलुप्त हो चुकी पक्षियों की कुल 94 प्रजातियों में से केवल 9 प्रजातियां ही महाद्वीपीय थी, अर्थात, 85 पक्षी प्रजातियां छोटे-छोटे द्वीपों से संबंधित थी। द्वीपों पर इनकी विलुप्ति के लिए ज़िम्मेदार कुछ कारण वनों की कटाई, वनों में आग, चरने वाले स्तनधारियों का वन भ्रमण, खेती और खरपतवार पौधों का बढ़ना आदि हैं। इसके अलावा, द्वीपीय प्रजातियां मानव उपनिवेशीकरण से पहले भी अपनी कम आबादी, प्रतिबंधित आनुवंशिक विविधता तथा संकीर्ण सीमाओं के कारण भी विलुप्त होने की उच्च दर का सामना करती रही हैं। साथ ही, मानव–जनित भूमि परिवर्तन इन प्रजातियों के महत्वपूर्ण आवासों को नष्ट कर देते हैं, जिससे दुनिया भर में द्वीपीय प्रजातियों को भारी नुकसान पहुंचता है।
क्या आप जानते हैं कि मेडागास्कर (Madagascar) द्वीप की राजसी प्रजातियों में से एक, हाथी-पक्षी (Elephant bird) प्रजाति को अब तक जीवित रहने वाला सबसे बड़ा पक्षी माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एप्योर्निस मैक्सिमस (Aepyornis Maximus) है। हाथी-पक्षी की सबसे पहली जानकारी 9वीं शताब्दी में कुछ मुस्लिम तथा भारतीय व्यापारियों के मेडागास्कर के दौरे के रिकॉर्ड से प्राप्त होती है । हालांकि, फिर यूरोपीय लोगों द्वारा मेडागास्कर के तटीय क्षेत्रों तथा बाद में भीतरी भूमि पर बसने के साथ हाथी पक्षी दुर्लभ होता गया। और 17वीं शताब्दी में अत्यधिक शिकार के कारण अंततः विलुप्त हो गया।
दरअसल, हाथी-पक्षी उनके बड़े आकार और भारी वजन के कारण उड़ने में असमर्थ थे। माना जाता है कि, संभवतः वे मानव गतिविधि के परिणामस्वरूप पहली सहस्राब्दी के अंत से दूसरी सहस्राब्दी ईसवी की शुरुआत तक विलुप्त हो गए थे। इन हाथी-पक्षियों की तीन प्रजातियां थीं जिनमें से वंश मुलेरोर्निस (Mullerornis) की एक उप-प्रजाति तथा वंश एपीयोर्निस (Aepyornis) की दो उप-प्रजातियां थीं।
हाथी-पक्षी पैलियोग्नैथी (Palaeognaths) पक्षी थे तथा उनके सबसे करीबी जीवित संबंधी/रिश्तेदार कीवी(Kiwi) पक्षी माने जाते हैं, जो केवल न्यूजीलैंड (New Zealand) में ही पाए जाते हैं।
हाथी पक्षियों की लंबाई खड़े होने पर सामान्यतः 3 मीटर होती थी। हाथी-पक्षियों में अवशेषी पंख (Vestigial wings) होते थे, अर्थात, वे पंखों का उड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। उनकी गर्दन व पैर लंबे होते थे। जबकि, उनके शरीर के आकार की तुलना में, उनका सिर छोटा होता था, तथा चोंच सीधी व मोटी शंक्वाकार होती थी।
मुलेरोर्निस (Mullerornis) प्रजाति का पक्षी इन पक्षियों में सबसे छोटा होता है, जिसके शरीर का वजन लगभग 80 किलोग्राम था। इसका जीवाश्म कंकाल एप्योर्निस मैक्सिमस की तुलना में बहुत कम मजबूत था। माना जाता है कि एपीयोर्निस हिल्डेब्रैंड्टी (Aepyornis Hildebrandti ) प्रजाति के पक्षियों के शरीर का वजन लगभग 230-285 किलोग्राम था। जबकि, एपीयोर्निस मैक्सिमस के शरीर का अनुमानित वजन लगभग 275 किलोग्राम से लेकर 700-1,000 किलोग्राम तक था। और क्या आप जानते हैं कि एपीयोर्निस मैक्सिमस की मादाएं इस प्रजाति के नरों से बड़ी होती थी।
इन पक्षियों के अंडों की परिधि लगभग 3 फुट, लंबाई 13 इंच तथा द्रव्यमान 9 लीटर की क्षमता वाला हुआ करता था। इनके एक अंडे का आकार लगभग 200 मुर्गी के अंडे के बराबर होता था।
हाल ही में हुई, हाथी पक्षियों के जीवाश्म कंकाल की खोज के बाद, अध्ययनों में यह निष्कर्ष निकला है कि प्रागैतिहासिक मनुष्य भोजन के लिए मेडागास्कर के हाथी पक्षियों का शिकार करते थे और अतः उन्हें मार देते थे। दरअसल, इन पक्षियों के अवशेष कंकालों पर कटे हुए निशान मिले है, जिससे यह अनुमान लगाया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये अवशेष लगभग 10,000 वर्ष पूर्व के हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि, मनुष्य 9,000 वर्षों से भी अधिक समय से हाथी पक्षियों और अन्य विलुप्त हो रही प्रजातियों के साथ सह-अस्तित्व में हैं। जाहिर तौर पर, इस अवधि के अधिकांश समय में इस सह-अस्तित्व का जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
यह तो बात हुई सबसे बड़े न उड़ सकने वाले पक्षी की, किंतु क्या आप जानते हैं कि वर्तमान में धरती पर सबसे बड़ा और उड़ सकने वाला पक्षी कौन सा है ? सारस क्रेन (Sarus Crane) दुनिया का सबसे ऊंचा, उड़ने वाला पक्षी है। इसकी ऊंचाई 152 सेंटीमीटर से 156 सेंटीमीटर तक होती है जबकि, इनके पंखों का फैलाव 240 सेंटीमीटर तक होता है। इनके पंख मुख्य रूप से भूरे रंग के होते है। सारस क्रेन का सिर छोटा तथा गर्दन थोड़ी लंबी होती है और पैर हल्के लाल रंग के होते हैं। इनका वजन 6.8 किलोग्राम से 7.8 किलोग्राम तक हो सकता है।
सारस क्रेन एक सामाजिक पक्षी है, जो अधिकतर जोड़ों या तीन से चार के छोटे समूहों में पाया जाता है। इनका प्रजनन काल मानसून में भारी वर्षा के साथ मेल खाता है। वे प्राकृतिक आर्द्रभूमि में या बाढ़ वाले धान के खेतों में पानी पर अपने घोंसले बनाते हैं। आमतौर पर, मादाएं एक बार में केवल एक या दो अंडे देती हैं, जिन्हें माता-पिता दोनों 26 से 35 दिनों की अवधि के लिए सेते हैं।
हमारे देश भारत में, आर्द्रभूमि की निकासी और कृषि भूमि के रूपांतरण के कारण सारस क्रेन के निवास स्थान की हानि और गिरावट के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है। राजमार्गों, आवास योजनाओं, सड़कों तथा रेलवे लाइनों के निर्माण के कारण इनकी ऐतिहासिक सीमा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अभी हाल ही में, बिजली लाइनों से टकराने के कारण कई सारस पक्षियों की मृत्यु की घटनाएं भी सामने आई हैं। इसके अलावा, कृषि भूमि में वृद्धि के कारण, सारस क्रेन के पास इन खेतों में भोजन करने के अलावा अन्य दूसरा कोई भी विकल्प नहीं बचता है, जिसके कारण वे फसलों पर होने वाले कीटनाशकों को भी ग्रहण कर लेते हैं जिससे उन्हें विषाक्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इसीलिए, भारत के ‘विश्व वन्यजीवन कोष’ (World Wildlife Fund) ने हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में सूरजपुर आर्द्रभूमि (Wetland) जैसे सारस क्रेन के लिए प्रमुख अनुकूल क्षेत्रों की बहाली और प्रबंधन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की है। दूसरी ओर, कानपुर शहर में दो आर्द्रभूमियों की पुनर्स्थापना की योजनाओं पर भी कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही स्थानीय समुदायों को आर्द्रभूमियों में कृषि रसायन छोड़ने के खतरों के बारे में जागरूक किया जा रहा है तथा आर्द्रभूमि के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रथाओं को जारी रखने के लिए हतोत्साहित किया जा रहा है।
इसी संस्थान ने उत्तर प्रदेश में, सारस क्रेन संरक्षण समिति की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सारस क्रेन संरक्षण पहल को बढ़ावा देने के लिए, परियोजनाएं विकसित करने में भी राज्य की सहायता करता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5n8xmaea
https://tinyurl.com/bdj9uej9
https://tinyurl.com/n9uddxbr
https://tinyurl.com/yf2249mb
चित्र संदर्भ
1. हाथी-पक्षी (Elephant bird) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. एप्योर्निस मैक्सिमस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. इंसान एवं विविध पक्षियों के कंकाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. नजदीक से सारस क्रेन पक्षी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. हवा में उड़ते सारस क्रेन पक्षी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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