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क्या आप जानते हैं कि हमारे मेरठ में स्थित “गांधी आश्रम” एक समय में पूरे देश में खादी के राष्ट्रीय ध्वजों का निर्माण करने वाला एकमात्र निर्माता हुआ करता था। इस आश्रम की स्थापना साल 1920 में ‘स्वदेशी उत्पादों’ के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि साल 1997 में देश के 50 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर, इस आश्रम में 1.25 लाख खादी के झंडे बनाए गए थे, लेकिन आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है, जहां आज इस आश्रम में सालाना केवल 4,000 झंडे ही बनाये जाते हैं। आज यहां पर मात्र 60 कर्मचारी कार्य करते हैं। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से गांधी आश्रम की अहमियत और लोकप्रियता कम हो गई है। इनमें सबसे पहला कारण यह है कि आज इस आश्रम को आधुनिक मशीन-निर्मित पॉलिएस्टर झंडों (Polyester Flags) से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। पॉलिएस्टर झंडे, खादी झंडों की तुलना में बनाने में आसान और सस्ते होते हैं। इसकी लोकप्रियता कम होने का दूसरा कारण यह है कि इस आश्रम के प्रबंधकों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज यह आश्रम भारी कर्ज में डूबा हुआ है। इसके परिचालन का विस्तार करने के लिए आश्रम के प्रबंधकों ने विभिन्न बैंकों से 6.5 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, लेकिन बिक्री न होने के कारण यह कर्ज हर साल बढ़ रहा है।
यह आश्रम बैंकों को हर साल लगभग 50 लाख रुपये, केवल ब्याज के रूप में भुगतान करता है।
इन सभी कारणों के अलावा खादी के प्रति आम जनता का लगाव भी कम हुआ है, जिस वजह से भी आश्रम की लोकप्रियता घटी है। हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बावजूद, आश्रम अभी भी 3.5 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार करता है। लेकिन यह पैसा झंडो की बिक्री से नहीं आता है। बल्कि यह आश्रम खादी की चादरें, रजाइयां और पोशाकें बेचकर यह राजस्व अर्जित कर पाता है।
हालांकि, मेरठ में स्थित देश के सबसे पुराने गांधी आश्रमों में से एक यह गांधी आश्रम, यदि ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ जैसे वैधानिक निकाय की विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना सीख ले, तो संभवतः आश्रम की स्थिति में काफी हद तक सुधार आ सकता है।
वैधानिक निकाय संसद द्वारा अधिकृत होते हैं। उनके पास देश या राज्य की ओर से कानून पारित करने की शक्ति होती है। ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’ (Securities and Exchange Board of India (SEBI)) वैधानिक निकाय का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह एक नियामक संस्था के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो सिक्योरिटी बाजार पर अधिकार रखती है। वैधानिक निकायों को अपने क्षेत्र में कानून बनाने की आधिकारिक अनुमति होती है।
भारत में मौजूद वैधानिक निकायों की सूची निम्नवत है:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
राष्ट्रीय विधि आयोग
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
सेबी
खादी और ग्रामोद्योग आयोग
‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (Khadi and Village Industries Commission (KVIC) एक वैधानिक निकाय है, जो कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises (MSME) के अंतर्गत आता है। इस निकाय की स्थापना ‘खादी और ग्रामोद्योग अधिनियम, 1956’ के तहत की गई थी। इसे आज तक दो बार (1965 और 2006 में) संशोधित किया गया है। यह भारत के महत्वपूर्ण संवैधानिक, वैधानिक और अर्ध-न्यायिक निकायों में से एक है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना कई व्यापक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु की गई थी। जैसे:
देश में रोजगार को बढ़ावा देना।
खादी उत्पादों के प्रचार-प्रसार एवं बिक्री को बढ़ावा देना।
समाज के वंचित और ग्रामीण वर्गों को सशक्त बनाकर देश को आत्मनिर्भर बनाना।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के मुख्य कार्य निम्नवत दिए गए हैं:
खादी और ग्रामोद्योग के विकास के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाना, प्रचार करना, व्यवस्थित करना और उन्हें कार्यान्वित करना।
ग्रामीण विकास में लगी अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करना।
खादी और ग्रामोद्योग के लिए कच्चे माल का भंडार बनाए रखना।
कच्चे माल के प्रसंस्करण के लिए सामान्य सेवा सुविधाएं उपलब्ध कराना।
खादी और ग्रामीण उत्पादों के विपणन में सहायता करना। इसमें विपणन चैनल (Marketing Channel) विकसित करना, व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन करना और विज्ञापन तथा प्रचार के माध्यम से केवीआई उत्पादों को बढ़ावा देना शामिल है।
केवीआई क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना।
खादी एवं ग्रामोद्योग से संबंधित व्यक्तियों एवं संस्थाओं को वित्तीय सहायता जैसे ऋण, सब्सिडी (Subsidy) और अनुदान प्रदान करना।
उत्पादन मानकों के अनुपालन के लिए दिशा निर्देश लागू करना।
आसान शब्दों में समझें तो “केवीआईसी” ग्रामीण कारीगरों और व्यवसायों को उच्च गुणवत्ता वाले खादी एवं ग्रामीण उत्पाद बनाने और बेचने में मदद करने का काम करता है। यह मदद उन्हें वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण एवं कच्चे माल और बाजारों तक पहुंच प्रदान करके की जाती है।
केवीआईसी ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में हुई प्रगति से जुड़े कुछ जरूरी आंकड़े भी प्रदर्शित किये हैं। उदाहरण के लिए, 2004 से 2014 के बीच औसत खादी उत्पादन 6.52% था, जो कि 2015-18 में बढ़कर 26.43% हो गया है। वहीँ खादी की औसत बिक्री 2004-14 में 6.62% से बढ़कर 2015-18 में 31% हो गई है।
केवीआईसी ने केवीआई क्षेत्र को आधुनिक बनाने और इसे अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भी कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, इसने 2015-2018 के बीच 728 खादी बिक्री दुकानों के आधुनिकीकरण के लिए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की। साथ ही खादी उद्योग के डिजिटलीकरण के लिए खादी संस्थानों को 400 कंप्यूटर (Computers), इससे संबंधित अन्य हार्डवेयर (Hardware) और सॉफ्टवेयर (Software) की आपूर्ति भी की गई है। केवीआईसी ने खादी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में 2018 में ‘खादी हाट’ और ‘भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले’ में एक ‘डिजिटल इंडिया पवेलियन’ (Digital India Pavilion) की स्थापना भी की और उसी साल अप्रैल में महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की स्मृति में पूर्वी चंपारण में एक बड़े स्टील चरखे का उद्घाटन किया गया। इसके अलावा केवीआईसी ने विश्व स्तर पर केवीआई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ (International Non-Violence Day) पर युगांडा (Uganda) को एक गांधी चरखा भी उपहार में दिया।
लेख में आगे हमारे मेरठ सहित राज्य में स्थित खादी ग्रामोद्योग समितियों (Khadi Village Industries Societies) की एक विस्तृत सूची दी गई है। यह पंजीकृत समितियां ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देती हैं और उसे विकसित करती हैं।
1. आदर्श ग्रामोद्योग प्रतिष्ठान, 67 सी, बालाजी नगर, कमला नगर, आगरा
2. अंतोदय ग्रामोद्योग संस्थान, वीपीओ-धनौली, जिला-आगरा
3. क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम, कमला नगर, आगरा
4. उत्तर प्रदेश ग्रामोद्योग संस्थान सत्संग आश्रम, शाहजहां पार्क ताजगंज रोड, आगरा
5. अरिदमन सेवा आश्रम, बिनोवा मार्ग, छर्रा, अलीगढ
6. ग्राम सेवा आश्रम, गंगा जवाहर कॉलोनी, रामघाट रोड, अलीगढ
7. जन सेवा आश्रम, रामपुर छर्रा, अलीगढ
8. क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम, अलीगढ
9. सुमन खादी ग्रामोद्योग समिति, वीपीओ-धनसारी, जिला-अलीगढ़
10. सुनील खादी ग्रामोद्योग विकास समिति, ग्राम-सिंहपुर, पो0-विजयगढ़, जिला-अलीगढ़
11. विनोवा सेवा समिति, एलआईजी-52 स्वर्ण जयंती, एडीए कॉलोनी, रामघाट रोड, अलीगढ़
12. आदर्श खादी ग्रामोद्योग विकास समिति, वीपीओ-पथरा, जिला-अमरोहा
13. भारतीय खादी विकास ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, मोहल्ला लकड़ा, बिजनौर रोड, जिला-अमरोहा
14. ग्रामीण विकास सेवा समिति, वीपीओ-बुरावली, जिला-अमरोहा
15. ग्रामोद्योग विकास समिति, मकनपुर, कमल सिंह, जोया, जिला-अमरोहा
16. जागृति खादी ग्रामोद्योग विकास समिति, ग्राम-सलामतपुर, तहसील-तोफापुर, जिला-अमरोहा
17. कपिल खादी ग्रामोद्योग विकास समिति, ग्राम-बिबड़ा कलां, तहसील-बिबड़ा खुर्द, जिला-अमरोहा
18. राम ग्रामोद्योग संस्थान, ग्राम- ढकिया भूर, तहसील- गजरौला, जिला-अमरोहा
19. सघन क्षेत्र विकास समिति, वीपीओ-करौंदी, जिला-अमरोहा
20. सघन क्षेत्र विकास समिति, गणेश्वरी, वीपीओ- रहरा, जिला-अमरोहा
संदर्भ
https://tinyurl.com/zw63y2a2
https://tinyurl.com/2p98t4fn
https://tinyurl.com/59h63f3w
https://tinyurl.com/4hbvysaj
https://tinyurl.com/2bdxmucs
https://tinyurl.com/mr2pbybz
https://tinyurl.com/mpuvep5c
चित्र संदर्भ
1. मेरठ के गाँधी आश्रम को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. मेरठ के गाँधी आश्रम के बाहर लगे बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. खादी तिरंगे के साथ भारतीय महिला को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
4. खादी और ग्रामोउद्योग आयोग की झांकी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. खादी वस्त्र बनाती महिला को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
6. खादी विनिर्माण में लगी महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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