भारत के संविधान में २२ भाषाओं को मान्यता दी गई है लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहाँ लगभग 1600 बोलियों में 30 भाषाएँ लाखो लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
2011 और 2016 के बीच भारतीय भाषा के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में 41% की वृद्धि हुई है। इस प्रभावशाली वृद्धि ने भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ता को अंग्रेजी इंटरनेट उपयोगकर्ता से आगे कर दिया है। के.पी.एम.जी. की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय भाषा के इंटरनेट उपयोगकर्ता 2011 से 2016 के बीच 4 करोड़ से लगभग 23.4 करोड़ हो गए हैं।
और माना जा रहा है कि यह आंकड़ा 2021 तक लगभग 53 करोड़ हो जायेगा जो कि अंग्रेज़ी इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं से अनुमानित ढाई गुना ज्यादा होगा।
भारत में इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं के बड़ी मात्रा में बढ़ने के कई कारण हैं- मोबाइल डेटा शुल्क में कमी इसका एक कारण रहा है। के.पी.एम.जी. की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल डेटा शुल्क में सितम्बर 2016 महीने से दिसम्बर 2016 के बीच 96% की गिरावट आई थी। इसका एक और कारण स्मार्ट फोन उपयोगकर्ताओं में बढ़ोतरी है। रिपोर्ट की मानें तो आने वाले 5 वर्षों में 17 करोड़ नये स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता बढेंगे। इन्टरनेट उपयोगकर्ता के बढ़ने का मुख्य कारण ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता में सुधार भी है। सरकार के डिजिटल लिट्रेसी ड्राइव को 60 मिलियन ग्रामीण घरों तक पहुँचाने के लिए 3.5 करोड़ US डॉलर का बजट है।
वैसे तो हिंदी भाषा पूरे विश्व में शीर्ष से चौथे स्थान पर बोली जाने वाली भाषा है लेकिन जब इन्टरनेट में भाषाओँ के इस्तेमाल की बात आती है तो शीर्ष 10 भाषाओं में स्पष्ट रूप से हिंदी या किसी अन्य भारतीय भाषा का नाम शामिल ही नहीं होता। इन आंकड़ों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इन्टरनेट का प्रयोग करने वाले भारतीयों की तादात तो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है किन्तु वे इसका सीमित लाभ उठाने में ही सक्षम हैं जैसे मनोरंजन इत्यादि। क्योंकि भारत की स्थानीय भाषाओँ में बुद्धिमत्ता से सम्बंधित अच्छी सामग्री इन्टरनेट पर उपलब्ध ही नहीं है, इसलिए इन नए इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं को ना चाहते हुए भी इसका सीमित लाभ ही उठाना पड़ता है।
1. इंडियन लैंग्वेजेस – डीफ़ायनिंग इंडियाज़ इन्टरनेट – आ स्टडी बाय केपीएमजी इन इंडिया एंड गूगल अप्रैल -2017
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