Post Viewership from Post Date to 18-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2290 411 2701

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पेंसिल के विभिन्न प्रकारों का वर्गीकरण

मेरठ

 18-09-2023 09:49 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)


पेंसिल एक ऐसा छोटा सा उपकरण है, जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें लिखावट करने में मदद कर, हमारे शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है । पेंसिल का निर्माण लकड़ी से होता है, जिसमें ग्रेफाइट की एक पतली छड़ डली रहती है। इसका गृप होल्डर (Grip Holder) हमारे हाथ में आसानी से बैठ जाता है । सभी बच्चे जानते हैं कि एचबी पेंसिल (HB Pencil) क्या है और सभी कलाकार इसके एच1, एच2, आदि प्रकार से परिचित हैं। लेकिन, पेंसिल के प्रकारों की यह ग्रेडिंग और वर्गीकरण क्या है और इसे किसने शुरू किया? हम इस लेख के माध्यम से समझते हैं। आइए सबसे पहले हम पेंसिल के इतिहास को जानते हैं। पेंसिल का आविष्कार 1954 में हुआ था। इसका निर्माण करने के लिए सबसे पहले ग्रेफाइट (Graphite) की परत काटी जाती है, फिर इसे पतले लंबे गोलाकार में परिवर्तित कर, पेंसिल बनाने के लिए इस गोलाकार छड़ी को लकड़ी के गोल सांचे में फिट किया जाता था। 15वीं सदी के मध्य से पहले, पेंसिल का उपयोग केवल कलाकार ही करते थे। "पेंसिल" (Pencil) शब्द का उत्पत्ति लैटिन शब्द "पेनीसिलस" (Penicillis) से हुआ है, जिसका अर्थ होता है "छोटी पूंछ"।
1500 के आस-पास या फिर लगभग 1565 में चित्रकला की तकनीक के रूप में, पेंसिल के सिल्वरपॉइंट या लेड पॉइंट का उपयोग किया जाता था। इस दौरान इंग्लैंड के एक शहर में ग्रेनाइट की खदान में से बड़ी मात्रा में ग्रेफाइट मिला, जो कि अत्यंत शुद्ध और ठोस था, और इसे आसानी से छड़ी के रूप में काटा जा सकता था। वह समय रसायन शास्त्र के प्रारंभिक दौर में था और इस तत्व को लेड (Lead) या सीसा का एक रूप माना गया था। इसलिए, इसे प्लम्बागो (लैटिन में "लेड ओर", Lead – Ore ) या सीसा अयस्क कहा गया। क्योंकि पेंसिल के काले मध्य इसके अलावा लगभग 1560 के दौरान, एक इटालियन दम्पत्ती, सिमोनियो और लिंडियाना बर्नाकोट्टी (Simonio and Lyndiana Bernacotti), ने संभवत: पहले आधुनिक, लकड़ी के परत से ढके, बढ़ई पेंसिल के लिए पहले ब्लूप्रिंट बनाए। उनका संस्करण एक चप्पू, अंडाकार, और अधिक संकुचित प्रकार का पेंसिल था। माना जाता है की सबसे पहले उन्होंने ही पेंसिल बनाने के लिए लकड़ी को खोखला करने के शिल्प का आविष्कार किया । इसके तुरंत बाद, एक बेहतर तकनीक की खोज हुई, जिसमें दो लकड़ी के टुकड़े काटे गए, इनके बीच में एक ग्रेफाइट छड़ी डाली गई और फिर यह दो लकड़ी के टुकड़े आपस में ग्लू किए गए। आज तक सभी इस मूल तरीके को अपनाकर ही पेंसिल का निर्माण कर रहे हैं।
दूसरी तरफ यह भी माना जाता है की, आधुनिक पेंसिल का आविष्कार 1795 में निचोलस-जैक्वेस कॉन्टे नामक वैज्ञानिक द्वारा किया गया था, जो नेपोलियन बोनापार्ट की सेना में कार्यरत थे। वास्तव में, पेंसिल का जादूई तत्व, “शुद्ध कार्बन”, जिसे हम ग्रैफाइट कहते हैं, पहली बार बावेरिया (Bavaria, Germany), यूरोप में 15वीं सदी की शुरुआत में पाया गया था; हालांकि दक्षिणी अमरीका के प्राचीन आज़टेक्स समुदाय (Aztecs) ने इसका उपयोग कुछ हज़ारों साल पहले ही मार्कर (Marker) के रूप में किया था। शुरुआत में इसे लेड के रूप में माना जाता था, और इसे 'प्लंबागो' या 'ब्लैक लेड ' कहा जाता था, एक ऐसा नाम जिसका अज्ञात अर्थ, अब भी “पेंसिल लेड ” के रूप में हमारी आम बोलचाल में गूँथा हुआ है। और तो और, आपको जानकार हैरानी होगी की हमारे घरों में, लेड जल पाइप (Lead water pipe) की मरम्मत करने वाले मिस्त्री को आज भी अंग्रेजी में 'प्लम्बर्स' (Plumbers) ही कहा जाता है! वर्ष 1789 के बाद ही “पेंसिल के लेड” को 'ग्रैफाइट' कहा गया, जो ग्रीक शब्द 'ग्राफेइन', जिसका अर्थ “लिखना” है, पर आधारित था । दूसरी तरफ अंग्रेजी शब्द, 'पेंसिल', भी एक पुराना शब्द है, जो लैटिन शब्द 'पेंसिल्लस' से निकला है। जो शून्य से छोटी धारी के इंक ब्रश के विवरण के लिए, मध्ययुग में, उपयोग किया जाता था ।
वर्तमान में उपयोग की जाने वाली पेंसिल क्ले और ग्रेफाइट के मिश्रण से बनाई जाती हैं, और उनकी गहराई हलके ग्रे रंग से लेकर गहरे काले रंग तक होती है। जितना अधिक क्ले, उतनी ही पेंसिल कठोर होती है। यहां पर एक विशेषता, ग्रेड्स की विशाल विविधता है, मुख्यतः उन कला कर्मियों के लिये, जो हलके ग्रे रंग से काले रंग तक के विभिन्न टोन बनाने में रुचि रखते हैं। इंजीनियर समुदाय हार्ड पेंसिल पसंद करते हैं, जिससे अधिक नियंत्रण होता है।
पेंसिल निर्माता अपनी पेंसिल्स को ग्रेडिंग के द्वारा विभाजित करते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में कोई सामान्य मानक नहीं है। एक ही ग्रेड की दो पेंसिल्स, लेकिन विभिन्न मैन्युफैक्चरर्स की, आमतौर पर एक ही टोन का निर्माण नहीं करती हैं और उनकी हार्डनेस यानी कठोरता भी अलग-अलग होती है। अधिकांश पेंसिल को “H” जिसे आमतौर पर "हार्डनेस" (Hardness), “B”, जिसे आमतौर पर "ब्लैकनेस" (Blackness), और F जिसे आमतौर पर "फाइनेस" (Fineness) के रूप में जाना जाता है । हालांकि, F पेंसिल्स किसी अन्य ग्रेड की तरह अधिक फाइन या आसानी से नहीं धार्पित होती हैं। यह जापान में "फर्म" (Firm) के रूप में भी जाना जाता है। मानक लेखन पेंसिल की ग्रेडिंग HB होती है। इस नामकरण का, "H. B." के रूप में, कम से कम वर्ष 1814 से उपयोग हो रहा था। सॉफ्ट या हार्ड पेंसिल ग्रेड को बी.एस, एच, एचएच और एचएचएच या बीबी और बीबीबी के रूप में वर्णित किया गया था । कोहिनूर हार्डमुथ (Koh-i-Noor Hardtmuth) पेंसिल मैन्युफैक्चरर्स का दावा है कि, उन्होंने पहली बार HB का उपयोग किया, जिसमें H हार्ड्टमूथ के लिए, B कंपनी के स्थान बुड्योवीत्से (České Budějovice) के लिए, और F फ्रांज हार्ड्टमूथ के लिए था, जिन्होंने पेंसिल निर्माण में प्रौद्योगिकी सुधार किए थे। कोहिनूर हार्डमुथ ए.एस., एक चेक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, जो किताबों और अन्य स्टेशनरी उत्पादों का निर्माण करती है, जिसका मुख्यालय चेस्के बुड्योवीत्से (České Budějovice) में है। 1790 में स्थापित , यह दुनिया की सबसे पुरानी स्टेशनरी कंपनियों में से एक है। कंपनी के संस्थापक ऑस्ट्रिया के जोसेफ हार्डटमूथ (Joseph Hardtmuth) (1758–1816) थे। 1802 में, कंपनी ने कैओलिन और ग्रेफाइट के मिश्रण से बनाए गए पहले पेंसिल लेड को पेटेंट किया था।
आज कल, कोहिनूर हार्डमुथ के पेंसिल्स सेट में एक बहुत ही नरम, काली मार्किंग पेंसिल से लेकर एक बहुत ही हार्ड यानी कठोर, हलकी मार्किंग पेंसिल तक , निम्नलिखित रूप से पेंसिल्स होती है:
बहुत ही सॉफ्ट पेंसिल
सॉफ्ट पेंसिल
एक्स्ट्रा सॉफ्ट पेंसिल
मीडियम पेंसिल
हार्ड पेंसिल
एक्स्ट्रा हार्ड पेंसिल
वर्तमान में पेंसिल बनाने वाली कई कंपनियां बाजार में आ गई हैं और हम भी उनकी बनाई हुई पेंसिल का उपयोग अपने कार्यों के लिए करते हैं।

संदर्भ:
https://shrturl.app/ScHxV_
https://shrturl.app/AhlMQw
https://shrturl.app/0joH51
https://shrturl.app/gC9jTG

चित्र संदर्भ 
1. पेंसिल के प्रकारों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. एचबी पेंसिल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक विशिष्ट आधुनिक पेंसिल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रे टोन को पेंसिल से दर्शाने के विभिन्न तरीकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. दो ग्रेफाइट पेंसिलों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id