Post Viewership from Post Date to 16-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2837 457 3294

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

हमारे उत्तर पूर्वी राज्यों की इदु-मिश्मी जनजाति से सम्बंधित मानी जाती हैं, देवी रुक्मिणी

मेरठ

 16-09-2023 09:36 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

इदु मिश्मी भाषा दिबांग घाटी, निचली दिबांग घाटी, लोहित, पूर्वी सियांग, अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिलों और ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्, चीन (China) की ज़ायु काउंटी (Zayü County)’ में मिश्मी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक लघु भाषा है। विभिन्न कारकों की वजह से इस भाषा को एक संकटग्रस्त भाषा माना जाता है। 1981 में भारत में इदु मिश्मी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या 8569 थी तथा 1994 में चीन में इदु मिश्मी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या 7000 थी।
हमारे देश भारत के उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में लगभग 10,000 लोग इदु-मिश्मी (Idu-Mishmi) भाषा बोलते हैं। इसके अलावा तिब्बत-चीन (Tibet-China) सीमा पार स्थित ज़ेंग (Xeng) गांव में रहने वाले लगभग 7000 लोग भी इदु-मिश्मी भाषा बोलते हैं। जिस प्रकार से यह बर्मन (Burman) भाषी समूह अपनी अनूठी भाषा के लिए जाना जाता है, ठीक उसी प्रकार वर्षों से मौजूद इस जनजाति से जुड़ी एक किंवदंती भी उल्लेखनीय है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी भी इदु-मिश्मी जनजाति से सम्बंधित थी। तो आइए आज इस लेख के जरिए इदु-मिश्मी भाषा और इससे सम्बंधित कुछ रोचक बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। इदु मिश्मी भाषा को केरा'आ (Kera’a), सुलिकाता (Sulikata), इदु, यिदु, मिदु, मिंदरी और मिठू आदि नामों से भी जाना जाता है। जिन स्थानों पर मिश्मी भाषी लोग मूल रूप से रहते हैं, उन्हें मिश्मी पहाड़ियां भी कहा जाता है, हालांकि दक्षिणी तिब्बत में ज़ायू काउंटी पर रहने वाले समूह को देंग (Deng) कहा जाता है। हालांकि, मिश्मी जनजाति को भौगोलिक वितरण के कारण चार उप-जनजातियों में इदु मिश्मी, डिगारो जनजाति, मिजू मिश्मी और देंग मिश्मी- में विभाजित किया गया है लेकिन नस्लीय रूप से सभी चार उप-जनजातियां एक ही समूह की हैं। इदु को तिब्बत में यिदु लोबा (Yidu Lhoba) तथा असम में चुलिकातास (Chulikatas) के नाम से भी जाना जाता है।
मूल रूप से इदु मिश्मी लोगों के पास अपनी भाषा के लिए कोई लिपि नहीं थी, लेकिन समय के साथ आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने तिब्बती लिपि का उपयोग किया। वर्तमान समय में इदु मिश्मी भाषी लोगों ने अपनी एक लिपि विकसित की है जिसे "इदु अज़ोबरा" (Idu Azobra) के नाम से जाना जाता है। इदु मिश्मी समुदाय अपने शिल्प कौशल और बुनाई के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इदु मिश्मी समूह के लोगों का अपनी क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों के साथ गहरा संबंध है। इदु मिश्मी समुदाय के लोगों में मान्यता है कि बाघ उनके "बड़े भाई" हैं और इस सम्बंध के बारे में उनके समाज में कई लोककथाएँ भी प्रचलित हैं। इसलिए इस समुदाय में बाघों का शिकार करना वर्जित है। इदु मिश्मी जनजाति के पैतृक घर दिबांग घाटी और निचली दिबांग घाटी के जिलों में मौजूद है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इदु मिश्मी जनजाति की आबादी 12,000 से अधिक है और उनकी भाषा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation (UNESCO) ने संकटग्रस्त माना है।
मिश्मी जनजाति किसी धर्म को नहीं मानती है, लेकिन वे जीववाद और शैमैनिक (shamanic) अनुष्ठानों का अनुसरण करते हैं। वे मानते हैं कि मरने के बाद भीएक जीवन होता है तथा संसार में आत्माओं का अस्तित्व है। प्राचीन काल से मिश्मी जनजाति के लोगों का प्रकृति पर अटूट विश्वास रहा है और वे पर्वतों को देवताओं के रूप में पूजते हैं। यह विश्वास विभिन्न कहानियों के जरिए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हुआ है। मिश्मी जनजाति के पूर्वज अत्यधिक शिकार किया करते थे तथा वे कस्तूरी मृग, एशियाई भालू आदि की तलाश में मिश्मी पहाड़ियों के भीतरी इलाकों में दिन बिताते थे। उनके अपने शिकार क्षेत्र हुआ करते थे, जिन पर आगे चलकर उनके वंशजों का अधिकार हुआ। मिश्मी जनजाति से जुड़ी एक किंवदंती अत्यधिक रोचक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी मिश्मी जनजाति से सम्बंधित थी। मान्यताओं के अनुसार, देवी रुक्मिणी अरुणाचल प्रदेश के प्राचीन शहर भीष्मक नगर की इदु मिश्मी जनजाति से थीं। अरुणाचल प्रदेश के लोग आज भी अपनी बेटियों का नाम देवी रुक्मिणी के नाम पर रखते हैं। उनका मानना है कि वे यादव हैं तथा भगवान कृष्ण रुक्मिणी से विवाह करने के लिए गुजरात से अरुणाचल प्रदेश आए थे। गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में ऐसे कई स्थल हैं, जो देवी रुक्मिणी और भगवान कृष्ण की कथाओं से संबंधित हैं। इसी कारण मिश्मी जनजाति अपने यहां भगवान श्री कृष्ण से सम्बंधित विभिन्न त्यौहारोंका आयोजन करती है। त्यौहारों के दौरान भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह पर आधारित नृत्य-नाटिकाओं का आयोजन भी किया जाता है।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/bdy3hp9e
https://tinyurl.com/5n7h27mp
https://tinyurl.com/5e466ndu
https://tinyurl.com/w6dn8xks

चित्र संदर्भ 

1. इदु-मिश्मी जनजाति की महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. अरुणाचल प्रदेश की इदु-मिश्मी जनजाति के जादूगर द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक जटिल डिजाइन वाले 'अथुमाबरा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इदु-मिश्मी जनजाति के एक पुजारी 'आईजीयू' की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जवाहरलाल नेहरू संग्रहालय, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id