Post Viewership from Post Date to 08-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2430 500 2930

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मेरठ से होकर गुजरने वाली ऊपरी गंगा नहर हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग का चमत्कार मानी जाती है!

मेरठ

 08-09-2023 11:03 AM
नदियाँ

आज भी किसी नहर को मुख्य रूप से सिंचाई हेतु या फिर जल परिवहन (Water Transport) के अनुरूप डिज़ाइन किया जाता है। लेकिन, पश्चिम उत्तर प्रदेश की जीवन रेखा और हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग (Hydraulic Engineering) का चमत्कार मानी जाने वाली, “ऊपरी गंगा नहर (Upper Ganga Canal)” सिंचाई और परिवहन, ये दोनों काम कर सकती है। इस नहर का निर्माण कार्य 1842 में शुरू होकर 1854 में संपन्न हुआ था। लेकिन, आज 169 वर्षों बाद भी आप इस नहर के जरिये मेरठ से कानपुर और कानपुर से प्रयागराज पहुंच सकते हैं।
ऊपरी गंगा नहर का निर्माण तत्कालीन सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर (Superintending Engineer) सर प्रोबी कॉटले (Sir Proby Cautley) द्वारा, 16 अप्रैल 1842 के दिन शुरू करवाया गया था। यह नहर 898 मील लंबी है। यह नहर अपने ऊपरी हिस्से में अन्य नदियों और झरनों से होकर गुजरती है। इस नहर ने न केवल गंगा यमुना के बहुत बड़े भू-क्षेत्र को सिंचित किया, बल्कि इस क्षेत्र के लोगों के लिए परिवहन करना भी आसान बना दिया। जब ऊपरी गंगा नहर का निर्माण हो रहा था, तो इसकी ढलान को नियंत्रित करने के लिए आठ स्थानों पर फाल “Falls” (ऊंचाई से नीचे पानी गिराने की प्रणाली।) बनाए गए थे। इनमे से प्रत्येक फाल एक नेविगेशन (navigation) से सुसज्जित था। इस प्रणाली से यह तय होता था कि, यदि कोई नाव यात्रियों या माल को लेकर आ रही है, तो उन्हें ऊंचाई से नीचे कैसे लाया जाएगा। इस प्रणाली में एक गेट (Gate) को नीचे की स्ट्रीम (Stream) में और दूसरा गेट को ऊपर की स्ट्रीम में स्थापित किया गया है। इन दोनो गेटों को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि, कोई भी नाव पानी के बहाव के साथ नीचे की स्ट्रीम में पहुंच जाती है। इस नहर को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि, इसमें आज तक कभी भी पानी का भराव नहीं हुआ है। साथ ही आज तक कभी भी मुख्य नहर की सफाई की जरूरत भी नहीं पड़ी है। सुपर-पैसेज (Super-Passage) या सुपर-मार्ग (Super-Route) गंगा नहर की सबसे प्रभावशाली विशेषताओं में से एक माने जाते हैं। ये ऐसी संरचनाएं हैं, जो पानी के एक विशाल भंडार को ऊपर ले जाती हैं। नहर के पहले 20 मील में चार प्रमुख सुपर-मार्ग हैं, जिनमें से दो मार्ग 200 फीट चौड़े और 14 फीट गहरे हैं। इन सुपर-मार्गों को मानसून (जब नदियां खतरनाक मात्रा और गति से बढ़ जाती हैं) के मौसम का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इन सुपर-पैसेज का निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था और इन्हें अपने समय के सबसे उन्नत इंजीनियरिंग चमत्कारों में माना जाता था। 1854 में जब गंगा नहर को पहली बार खोला गया, तब यह दुनियां की सबसे बड़ी और सबसे महंगी जल प्रणाली बन गई थी। 19वीं सदी की ये संरचनाएं उस दौर में असाधारण मानी जाती थीं और आज भी प्रभावशाली हैं। इन्हें देखने के लिए विदेशों से इंजीनियर यहां आते थे! समय-समय पर इनकी मरम्मत और नवीनीकरण किया जाता रहा है। लेकिन, उनका मूल निर्माण अभी भी कायम है।
हमारे मेरठ में बिजली की बड़ी मात्रा की आपूर्ति भी "भोले की झाल" नामक एक बांध से ही पूरी की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण बांध है, जो मेरठ के पास सिसोला खुर्द नामक एक गांव में स्थित है। भोले की झाल को सलावा की झाल के नाम से भी जाना जाता है। बांध के आसपास के क्षेत्र में शहर के प्रमुख पिकनिक स्थल (Picnic Spot) भी मौजूद हैं। इस बांध का निर्माण 1930 के दशक में ब्रिटिश दौर में किया गया था। यह बांध 640 किलोवाट बिजली उत्पन्न करता है।
इस बांध का नाम "भोले की झाल " पड़ने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है। दरअसल, 1830 के दशक मे मेरठ में मिस्टर भोले बियर (Mr. Bhole Beer) नामक एक बियर का उत्पादन हुआ करता था। मेरठ में बनी यह देसी बियर, यूरोपीय सैनिकों को बहुत पसंद आती थी। इस बियर की चर्चाएं कई ब्रिटिश और यूरोपीय अखबारों और पत्रिकाओं में भी होने लगी थी। मेरठ की ये देसी बियर स्वाद मे बढ़िया और पौष्टिक थी तथा इसका सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता था। लेकिन, 1839 मे ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के एक चिकित्सक रहे, जॉन मरे (John Murray) की एक रिपोर्ट ‘ऑन द टोपोग्राफी ऑफ़ मेरठ’ (On The Topography Of Meerut) आने के बाद मेरठ कैंट के अंदर इस बियर के सेवन पर रोक लगा दी गई। आपको बता दें कि मिस्टर भोले बियर के रुझानों के बाद ही मेरठ में मौजूद बांध का नाम भोले की झाल पड़ा।

संदर्भ
http://tinyurl.com/rdpe84ad
http://tinyurl.com/yc5s6u2u
http://tinyurl.com/yd38m757
http://tinyurl.com/3zzbw6pr
http://tinyurl.com/4y2vks42

चित्र संदर्भ 
1. कानपुर में गंगा नहर के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. गंगा नहर पर एक पुराने पुल की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गंगा नहर पर बने एक पुल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. हरिद्वार में गंगा नहर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 5. भोले की झाल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id