Post Viewership from Post Date to 21-Sep-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2750 529 3279

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

निर्माण क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन है, पूर्वनिर्मित संरचना या प्रीफैब्रिकेशन तकनीक

मेरठ

 21-08-2023 09:45 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

पिछले कुछ दशकों के दौरान दुनिया भर के निर्माण उद्योग के विकास में प्रीफैब्रिकेशन (Prefabrication) तकनीक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। यह निर्माण संरचनाओं की मजबूती, अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय प्रदर्शन को बेहतर सुनिश्चित करता है। इसलिए, इसे निर्माण स्थल पर किए गए निर्माण की तुलना में प्राथमिकता दी जाती है। दरअसल, प्रीफैब्रिकेशन किसी कारखाने या कार्यशाला में निर्माण–स्थल से कहीं दूर अर्थात ऑफसाइट (Offsite), मानकीकृत घटकों या बुनियादी संरचनाओं का उत्पादन करने की एक विधि है। फिर इन्हें, निर्माण–स्थल अर्थात ऑन साइट (On site) पर एक साथ खड़ा किया जा सकता है। पूर्वनिर्मित घटकों या संरचनाओं को समतल तरीके से बांधकर या आंशिक रूप से खड़ा करके निर्माण–स्थल पर लाया जा सकता है। आम भाषा में हम इसे, पहले से गठित अथवा पूर्वनिर्मित संरचनाएं कह सकते हैं।
प्रीफैब्रिकेशन प्रौद्योगिकी का विकास 1960 के दशक के मध्य में हुआ था। अनुमान है कि, यह निर्माण तकनीक प्रागैतिहासिक काल से ही मौजूद है और तभी विकसित भी हुई है। जैसे-जैसे हम मानव 21वीं सदी में प्रगति कर रहे है, सतत विकास विश्व स्तर पर आवश्यक हो गया है। यह तकनीक भी इसी राह पर चलते हुए, न्यूनतम लागत पर, बड़ी संख्या में भवन इकाइयों का त्वरित निर्माण कर सकती है। अतः इस प्रणाली को पारंपरिक निर्माण विधियों की गति में तीव्रता लाने के लिए पहचाना गया है। इस प्रकार की पूर्वनिर्मित संरचना पर्यावरणीय लाभ भी प्रदान करती है। जैसे कि, निर्माण अपशिष्ट और कार्बन डाइऑक्साइड(Carbon dioxide) उत्सर्जन में गिरावट तथा निर्माण स्थल पर शोर और धूल को कम करके, यह पर्यावरण को लाभ प्रदान करती है। इस तकनीक के ये फायदे यूरोपीय भवन उद्योग में पूर्वनिर्मित भवन प्रणालियों के विस्तार के लिए प्रेरक शक्ति हैं। इसके अलावा, जनसंख्या में वृद्धि के कारण, कुछ अन्य विकसित देश भी घर, अपार्टमेंट (Apartment), कार्यालय आदि के निर्माण हेतु इस निर्माण तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। क्योंकि, यह प्रक्रिया अत्यधिक नियोजित साबित होती है, अतः इसके लिए उच्च उत्पादकता पर कम श्रम बल की आवश्यकता होती है।
हमारे देश भारत में, प्रीफैब उत्पादन की शुरुआत हिंदुस्तान हाउसिंग फैक्ट्री (Hindustan Housing Factory) द्वारा की गई थी। हालांकि, बाद में, कंपनी ने अपना नाम बदल लिया और वर्तमान में हम इसे हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड (Hindustan Prefab Limited) या एचपीएल (HPL) के रूप में जानते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित यह कंपनी सरकार द्वारा संचालित है तथा वास्तुशिल्प और नागरिक परियोजनाओं के लिए मुख्य रूप से प्रीकास्ट कंक्रीट (Precast concrete) का निर्माण करती है। इस कंपनी को हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1950 के दशक में, पाकिस्तान से आए सैकड़ों शरणार्थियों के कारण उत्पन्न हुए आवास संकट के समाधान के रूप में विकसित किया गया था। हिंदुस्तान हाउसिंग फैक्ट्री ने भारतीय रेलवे में जर्जर लकड़ी की बोगियों को बदलकर, प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट (Pre-stressed concrete) रेलवे बोगियों के उत्पादन का बीड़ा उठाया था।
भारत में विनिर्माण उद्योग, आज बहुमुखी और तकनीकी रूप से गहन परियोजनाओं को शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अतः केंद्र बिंदु लागत दक्षता से समय और क्षमता पर आ गया है। 25 जून 2015 को देश में प्रधान मंत्री आवास योजना लागू की गई थी, जिसमें शहरी गरीबों के लिए 2022 तक लगभग 2 करोड़ घरों का निर्माण शामिल था। जबकि, 1 अप्रैल 2016 को लागू की गई योजना में ग्रामीण आवास के लिए, इससे अगले तीन वर्षों में 1 करोड़ घरों की परिकल्पना की गई थी। इस विशाल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार के आवास और शहरी विकास मंत्रालय, ने देश के भीतर विकसित कई नवीन प्रीफैब निर्माण प्रणालियों को अपनाया है। जैसे कि नीति निर्माताओं का अनुमान था कि इस तकनीक में भारत में बड़े पैमाने पर आवास संकट की समस्या से निपटने की भी क्षमता है, जिसका हम इन दिनों सामना कर रहे हैं। इससे व्यक्तिगत लागत भी कम हो जाती है। साथ ही, बड़े पैमाने पर आवास संसाधनों और संरचनात्मक घटकों को मानकीकृत करके और किफायती बनाकर, सामग्री और संसाधनों का सुव्यवस्थित प्रबंधन भी इसमें किया जा सकता है।
जब निर्माण संरचनाओं का निर्माण, कारखाने जैसे स्थिर वातावरण में किया जाता है, तो निर्माण की गुणवत्ता भी बहुत अधिक होती है। यह भारत में विशेष रूप से सच है, जहां आज, प्रीफैब्रिकेशन टिकाऊ, आधुनिक और पश्चिमी निर्माण विधियों का पर्याय बन गया है। अतः इससे होने वाले लाभ के कारण, भारत में यह आम सहमति है कि, बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए पूर्वनिर्माण की इस प्रणाली को प्रीकास्ट कंक्रीट से आगे बढ़ाकर अधिक बाजार क्षेत्रों में लाया जाए। 1999 में ऑरोविले अर्थ इंस्टीट्यूट (Auroville Earth Institute) ने नई दिल्ली में एक पूर्वनिर्मित घर की प्रतिकृति बनाई थी, जिसने भूकंप के दौरान संरचनात्मक क्षमता में प्रगति को दर्शाया था। इसके निर्माण का मुख्य उद्देश, एक आपदा प्रतिरोधी और लागत प्रभावी घर बनाना था। कल्पना की गई थी, ऐसे घर को कहीं भी पहले से तैयार किया जाएगा और ट्रक द्वारा आपदा स्थान पर भेजा जाएगा। जबकि, आज तो हमारे सामने ऐसी तकनीक से बने निर्माण के अनगिनत उदाहरण हैं।
अपने फायदों के साथ प्रीफैब्रिकेशन तकनीक दुनिया भर में मौजूदा चुनौतियों को हराने के लिए निर्माण क्षेत्र में एक आवश्यक तकनीकी उन्नयन है। यह वित्तीय तथा सामाजिक मामले में भी इस क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता रखती है। भारत में भी इससे निर्माण क्षेत्र में पारिस्थितिक स्थिरता आ सकती है। यह तकनीक पूरे उद्योग में सुधार ला सकती है और उद्योग श्रृंखला में सभी हितधारकों को लाभान्वित कर सकती हैं, जिससे पूर्वनिर्मित निर्माण अधिक हरित, पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ हो जाएगा।

संदर्भ

https://tinyurl.com/29u387wn
https://tinyurl.com/bdz5wd3e

चित्र संदर्भ
1. मॉड्यूलर हाउसिंग, निर्माण कार्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. पूर्वनिर्मित मॉड्यूलर घर के निर्माण को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. प्रीकास्ट कंक्रीट घर के निर्माण को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. प्रीफ़ैब कंक्रीट बिल्डिंग को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. जर्मनी में एक गगनचुंबी इमारत प्लैटनबाउ को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id