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स्वतंत्रता दिवस विशेष:राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास व् प्रयोजन जानकर इसका सम्मान करना जरूरी है

मेरठ

 15-08-2023 09:35 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

भारत में संस्कृति, रीति रिवाज और भाषाएँ कदम-कदम पर बदलती रहती हैं। लेकिन इतनी विविधताओं के बावजूद भी सभी संस्कृतियां आश्चर्यजनक रूप से आपस में एक ही माला में बंधी हुई नजर आती हैं। अनेकता में भी इस अटूट एकता को स्थापित करने का बहुत बड़ा श्रेय हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगे झंडे को दिया जाना चाहिए। राष्ट्रध्वज एक ऐसी छतरी के रूप में काम करता है, जिसके नीचे पूरा भारत सुरक्षित महसूस करता है। गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के उत्सव पर हवा में शान से लहराते तिरंगे को देखने मात्र से हमारा सिर गर्व से उठ जाता है। लेकिन उसी दिन शाम को सड़कों और गंदी नालियों में बहते हुए तिरंगे को देखने पर वही सिर शर्म से भी झुक जाता है। ध्वज अथवा झंडा किसी कपड़े का एक विशेष टुकड़ा होता है, जिसका उपयोग किसी चीज़ का प्रतिनिधित्व करने, प्रतीक, संकेत भेजने या सजावट के लिए किया जाता है। हमारे बीच झंडे बहुत लंबे समय से मौजूद हैं। झंडों पर प्रतीकों के प्रयोग का विचार, प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। लगभग 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व में चीन, मिस्र और रोम जैसी अन्य प्राचीन सभ्यताओं में, समान प्रतीकों का उपयोग किया जाता था। हालाँकि हम स्पष्ट तौर पर यह नहीं कह सकते हैं कि झंडे का विचार वास्तव में कहाँ से शुरू हुआ। पुराने समय में, अरब और नॉर्स (Norse) जैसे क्षेत्रों के लोग झंडे बनाने के लिए चीन से रेशम का आयात करते थे। इन झंडों को वे खंभों पर लगाते थे। झंडे के लिए अंग्रेजी शब्द फ्लैग (flag) का प्रयोग अंग्रेजी में 15वीं शताब्दी के अंत में किया जाने लगा। संभव है कि यह शब्द मध्य अंग्रेजी शब्द "फ्लैकेन" से आया हो, जिसका अर्थ है फड़फड़ाना होता है। यह नॉर्स भाषा के एक पुराने शब्द "फ्लाका" से भी जुड़ा हो सकता है, जिसका अर्थ झिलमिलाना या ढीला लटकना होता है। इन शब्दों की जड़ें प्रोटो-जर्मनिक (Proto-Germanic) और प्रोटो-इंडो-यूरोपीय (Proto-Indo-European) जैसी पुरानी भाषाओं में भी हो सकती हैं, जिनका संबंध सपाट होने से था। मध्ययुगीन काल में, हेराल्ड्री (Heraldry) (जो महत्वपूर्ण लोगों के लिए प्रतीकों को डिजाइन करने की तरह है) ने यूरोपीय देशों में शासकों और महत्वपूर्ण लोगों के लिए विशेष झंडे बनाने का चलन शुरू किया। आगे चलकर जब समुद्री जहाज, यात्रा के लिए महत्वपूर्ण होने लगे, तो जहाजों में अंतर करने और संचार करने के लिए जहाजों पर झंडों का इस्तेमाल किया जाने लगा। 1700 के दशक के बाद, राष्ट्रवाद की प्रबल भावना के कारण, दुनिया भर के लोग अपने देशों के प्रतिनिधित्व या प्रतीक के रूप में झंडों, का प्रयोग करने लगे। आज के समय में, सभी देश और कई छोटे क्षेत्र अपना अस्तित्व और प्रतिनिधित्व दिखाने के लिए झंडे का उपयोग करते हैं।
यदि हम विशेषतौर पर राष्ट्रीय ध्वजों की बात करें तो डेनमार्क (Denmark) का झंडा विश्व स्तर पर सबसे पुराना झंडा माना जाता है। डेनमार्क का झंडा एक सफेद क्रॉस के साथ लाल रंग का होता है। इस झंडे को डैनबॉर्ग (Danborg) भी कहा जाता है। यह राष्ट्रध्वज 1219 से अस्तित्व में है, हालांकि इसे आधिकारिक तौर पर 1625 में राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता दी गई थी। एक दंतकथा इस ध्वज को 1219 में लिंडेनिज़ की लड़ाई से भी जोड़ती है। राष्ट्रध्वज चाहे डेनमार्क का हो या भारत का, वह उस देश और वहां रहने वाले लोगों का प्रतिनिधत्व करता है, और सीधे तौर पर उनके सम्मान, इतिहास, भावनाओं और गर्व से जुड़ा होता है। इसलिए झंडा फहराने से पहले हम सभी के लिए इसे प्रयोग करने से जुड़े नियमों के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए:
- अधिकांश देशों में झंडा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराना चाहिए। अंधेरा होने से पहले झंडे उतार देने चाहिए।
- खराब मौसम के दौरान भी इसे उतार देना चाहिए, जब तक कि यह हर मौसम में इस्तेमाल होने वाला झंडा न हो।
- कभी-कभी महत्वपूर्ण लोगों की मृत्यु के पश्चात, उनके सम्मान में या राष्ट्रीय त्रासदियों के दौरान झंडे को आधा झुका दिया जाता है।
- यदि आपका झंडा फटा हुआ है या खराब स्थिति में है, तो उसे प्रदर्शित करना सम्मानजनक नहीं है।
- यदि आप विभिन्न देशों के झंडे एक साथ प्रदर्शित कर रहे हैं, तो एक ही आकार के झंडे का उपयोग करें।
- मेजबान देश के झंडे को पहले स्थान दिया जाता है, उसके बाद वर्णानुक्रम में अन्य ध्वज आते हैं।
- यदि आप ध्वज शिष्टाचार का पालन करते हैं, तो आप अपने देश और ध्वज के प्रति सम्मान दिखा रहे हैं।
यदि कोई सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या भारत के संविधान को जलाता है, नुकसान पहुंचाता है या उसका अनादर करता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। द प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 (The Prevention of Insult to National Honor Act 1971) नामक कानून कहता है कि ऐसे व्यक्ति को तीन साल तक की जेल हो सकती है, या उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है, या दोनों हो सकते हैं। यदि किसी को पहले भी इस तरह के व्यवहार का दोषी पाया गया है, और वह दोबारा ऐसा करता है, तो उसे प्रत्येक बार के अपराध के लिए कम से कम एक वर्ष के लिए जेल भेजा जा सकता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/bdcxx8s3
https://tinyurl.com/5cjrcdz8
https://tinyurl.com/2p9wmxnt
https://tinyurl.com/yd4zv8dp
https://tinyurl.com/bdf3ak6a

चित्र संदर्भ
1. झंडा लहराते भारतीयों को दर्शाता चित्रण (Flickr)
2. दरवाजे में लटके हुए तिरंगे को दर्शाता चित्रण (Flickr)
3. एक समुद्री जहाज को दर्शाता चित्रण (Flickr)
4. तिरंगा लहराते हुए करतब करते भारतीय सैनिक को दर्शाता चित्रण (Rawpixel)

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