Post Viewership from Post Date to 12-Sep-2023 31st Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2374 619 2993

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भोजन करने का कौन सा स्वरूप हैं उचित? जानें, आयुर्वेद व हमारी संस्कृति का विचार

मेरठ

 12-08-2023 09:39 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

आजकल आधुनिक संस्कृति में,व्यापक रूप से यह स्वीकार किया जाता है कि, उचित स्वास्थ्य के लिए, हमें अपने दैनिक आहार को तीन बड़े भोजन अर्थात, सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात के भोजन में विभाजित करना चाहिए। हालांकि, हाल के कुछ वर्षों में, विशेषज्ञों ने अपना दृष्टिकोण बदलना शुरू कर दिया है। वे यह सुझाव दे रहे हैं कि पुरानी बीमारी को रोकने एवं वज़न घटाने के लिए, छोटी मात्रा में दिन में चार–पांच बार भोजन करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अब कई लोग इस विचार एवं पक्ष के अनुसार अपने भोजन के स्वरूप को बदल रहे हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि, भोजन की आवृत्ति में वृद्धि करने से रक्त लिपिड(Lipid) या वसा के स्तर में सुधार हो सकता है और हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। इसलिए, कई विशेषज्ञ एक दिन में कम आवृत्ति में तथा एक ही समय पर अधिक भोजन न करने की सलाह देते हैं। साथ ही, कुछ अध्ययनों के निष्कर्ष है कि, जो लोग छोटी मात्रा में तथा चार–पांच भोजन करते हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) का स्तर काफ़ी अच्छा होता हैं। जबकि, उन लोगों के शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, जो एक या दो बार ही अधिक भोजन करते हैं। छोटे-छोटे एवं अधिक आवृत्ति वाले भोजन को अक्सर मोटापे का एक इलाज माना जाता है। कई लोग मानते हैं कि, हर दो से तीन घंटों के बीच खाना खाने से, हमारे मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। वास्तव में, कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि, बार-बार भोजन करने की तुलना में एक–दो बार ही अधिक भोजन करने से भोजन का तापीय प्रभाव(Thermic effect of Food) अधिक बढ़ सकता है। यह प्रभाव, भोजन के पाचन के लिए लगने वाली ऊर्जा की मात्रा से संबंधित है। इसका अर्थ यह है कि, प्रस्तुत अध्ययनों के आधार पर, कोई भी ठोस सबूत भोजन के एक विशिष्ट स्वरूप को एक–दूसरे की तुलना में समर्थन नहीं देता है। साथ ही, इनमें से कई अध्ययनों की अपनी सीमाएं भी हैं।उदाहरण के लिए, भोजन या नाश्ते में क्या शामिल होना चाहिए, इसकी कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है। इसका भी अध्ययन के परिणामों पर प्रभाव पड़ सकता है।
अतः खाने के यह दोनों स्वरूप तब तक फायदे मंद हो सकते हैं, जब तक कि हमारा प्राथमिक लक्ष्य स्वस्थ पदार्थ खाने पर केंद्रित होता हैं। इसके साथ ही,यह सुझाव दिया जाता है कि, फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा या वसा रहित दूध या डेयरी उत्पादों को भोजन में शामिल करना आवश्यक हैं।आहार में, समुद्र से प्राप्त भोजन, मांस और पोल्ट्री(Poultry), अंडे, विभिन्न बीज, सोया उत्पाद, फलियां और बादाम आदि सहित विभिन्न स्रोतों से प्रोटीन शामिल करें।साथ ही, अपनी आवश्यक कैलोरी(Calories)की मात्रा से थोड़ी कम ही कैलोरी ग्रहण करें। इसके अलावा, अतिरिक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल, ट्रांसवसा(Trans fat) और वसा को सीमित करें। क्योंकि, एक स्वस्थ एवं संतुलित आहार में उपरोक्त मानक पदार्थ होते हैं। वैसे तो, पारंपरिक तौर पर पूरे दिन में तीन अच्छे भोजन यानी कि सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना ही भोजन करने का उचित स्वरूप है। खाने का यह स्वरूप, मोटे तौर पर हमारे काम की सारणी और व्यस्त जीवनशैली पर आधारित है। इससे, हमारे लिए दिन में तीन बार भोजन करना आसान हो जाता है। हममें से कई लोगों का शरीर इस तरह के खाने का आदी भी बन गया है और भोजन का यह स्वरूप सबसे लोकप्रिय भी है।
क्या आप जानते हैं कि, इस स्वरूप पर बने रहने के कुछ स्वास्थ्य लाभ हैं? उदाहरण के लिए, इससे रक्त शर्करा नियंत्रण में रहता है। साथ ही, हम पूरे दिन तृप्त एवं ऊर्जावान महसूस कर सकते है।दिन में दो से तीन बार भोजन करना सबसे अच्छा है। इससे, दिन में हमारी अधिकांश कैलोरी की पहले ही खपत हो जाती है।और तो और, देर रात भोजन करना मधुमेह और हृदय रोग सहित कार्डियो-मेटाबॉलिक (Cardio–metabolic) बीमारी से भी जुड़ा है।
अतः विज्ञान कहता है कि,भोजन करने का सबसे स्वास्थ्यप्रद तरीका दो या तीन बार ही भोजन करना है। इसके साथ ही, रात में लंबे समय तक उपवास करना, दिन में बहुत जल्दी या फिर बहुत देर से खाना न खाना और दिन की शुरुआत में ही अधिक कैलोरी का सेवन करना, आदि भी भोजन के सही तरीके हैं।
आयुर्वेद एक अच्छी अग्नि, अर्थात सही पाचन अग्नि को बनाए रखने का सुझाव देता है। यह अग्नि तभी प्राप्त होती है,जब हम वास्तव में भूख लगने पर कुछ खाते हैं। यदि आपको दिन में 4-5 बार खाना पसंद हैं, तो सुनिश्चित करें कि, जब आपको भूख लगी हो, केवल तभी ऐसा भोजन करें। और हां, वह भी कम मात्रा में खाएं। भारतीय संस्कृति में भी तीन मुख्य भोजन हैं। हमारे देश भारत में, अधिकांश लोग सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का भोजन ही करते हैं। ऐसे में, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि, हमें भारतीय संस्कृति के अनुसार ही भोजन ग्रहण करना चाहिए, क्यूंकि यह यहां के मौसम और उपलभ्द सामग्री के भी अनुकूल है ।

संदर्भ
https://tinyurl.com/27a3a29j
https://tinyurl.com/2yyzz97v
https://tinyurl.com/c9vajnnc
https://tinyurl.com/ymc3veuz
https://tinyurl.com/78ejczuk
https://tinyurl.com/yc6fa4vu

चित्र संदर्भ

1. नाश्ता करते एक भारतीय परिवार को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. भारतीय तंदूरी का स्वाद लेते बच्चे को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
3. नाश्ता करते एक भारतीय युगल को दर्शाता चित्रण (Pexels)
4. एक हलके भारतीय नाश्ते को दर्शाता चित्रण (Pexels)
5. भोजन करती छोटी बच्ची को दर्शाता चित्रण (wikipedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id