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कलीला वा-दिमना: भारत की पंचतंत्र दंतकथाओं से प्रेरित एक प्राचीन फ़ारसी कहानी संग्रह

मेरठ

 09-08-2023 09:42 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

नब्बे के दशक या उससे पहले जन्मा प्रत्येक भारतीय बच्चा “पंचतंत्र” की रोमांचक और प्रेरणादायक कहानियों से भली भांति परिचित होगा। इन प्राचीन कहानियों ने न केवल उस समय के बच्चों की जिज्ञासा को नए पंख प्रदान किये, बल्कि उन्हें एक आदर्श और दया भाव से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए भी प्रेरित किया। आधुनिक बच्चे रोमांच और सीख से भरी इन पशु-पक्षी से जुड़ी कहानियों को ऑनलाइन (Online) भी देख सकते हैं। पंचतंत्र की कहानियों में शिक्षा और रोमांच का अनोखा संगम नजर आता है। शायद इन्हीं कारणों से अरब और ईरानी संस्कृति में भी पंचतंत्र का बोलबाला दिखाई देता है। "कलीला वा-दिमना (Kalila and Dimna)" या "केलीलेह वा देमनेह (Kelileh Wa Demneh)" (अरबी में: كليلة ودمنة) दिलचस्प कहानियों से भरी किताब है। ये कहानियाँ पंद्रह भागों में विभाजित हैं, और दिलचस्प जानवरों से जुड़ी हैं। सभी कहानियों में मुख्य पात्र एक शेर होता है, जो राजा की तरह व्यवहार करता है। इन कहानियों में शेत्रेबा नाम का एक बैल भी है, जो शेर की सेवा करता है। इसके अलावा कहानी में कलिला और दिमना नामक दो सियार भी होते हैं जो न केवल कहानियां सुनाते हैं बल्कि उनके अपने रोमांच भी जोड़ते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कई जानकारों के अनुसार इस पुस्तक की उत्पत्ति "पंचतंत्र" नामक एक पुरानी भारतीय कहानी संग्रह से हुई है। पंचतंत्र को लगभग 200 ईसा पूर्व में संस्कृत में लिखा गया था। पिछले कई दशकों के दौरान पंचतंत्र का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। प्राचीन काल में पंचतंत्र पुस्तक बेस्टसेलर (Bestseller) यानी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक हुआ करती थी। वर्ष 1600 से पहले भी 200 से अधिक संस्करणों के साथ 50 विभिन्न भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया था। "पंचतंत्र" जीवन का पाठ पढ़ाने वाले जानवरों की कहानियों का एक संग्रह है। इसे बहुत समय पहले, तीसरी शताब्दी के आसपास या उससे भी पहले, विष्णु शर्मा द्वारा लिखा गया था। इसका उद्देश्य युवा राजकुमारों को अच्छी तरह से शासन करना सिखाना था। पंचतंत्र की तर्ज पर ही लिखी गई "कलीला वा-दिमना” न केवल अरबी में बल्कि पूरी दुनिया के लिए साहित्य का एक अद्भुत नमूना मानी जाती है। फ्रांस के ला फोंटेन (La Fontaine) जैसे प्रसिद्ध लेखक भी इससे प्रेरित होने की बात करते थे। कलीला वा-दिमना की कहानियों का भी अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया गया और समय के साथ इनमें कई बदलाव किये गए। लोगों को कलीला वा-दिमना की कहानियाँ इतनी पसंद आईं कि उन्होंने इनके साथ तस्वीरें बनानी भी शुरू कर दीं। पुराने समय में, चित्रों वाली कई किताबें थीं जो इन कहानियों को बताती थीं। लोगों ने इनका खूब लुत्फ उठाया। समय के साथ किताबों में चित्र अधिकाधिक विस्तृत होते गये। हमारे पास सबसे शुरुआती तस्वीरें वर्ष 1200 के आसपास की हैं। तस्वीरों में विभिन्न शैलियों में जानवरों और परिदृश्यों को दिखाया गया है। 1300 और 1400 के दशक में, ईरान और भारत में लोगों ने कहानियों के लिए और भी बेहतर चित्र बनाए। तस्वीरों में कहानियों के दृश्य और वे स्थान दिखाए गए हैं जहां वे घटित हुए थे। ये चित्र रंगीन और विस्तृत थे, और उन्होंने कहानियों को और भी दिलचस्प बना दिया। 1500 के आसपास, ओसायन वासे कासेफी (Osayan Wase Kasefi) नाम के एक व्यक्ति ने कहानियों को थोड़ा बदल दिया और उन्हें और अधिक समृद्ध बना दिया। उसके बाद की कहानियों के लिए लोगों ने उतनी तस्वीरें नहीं बनाईं, लेकिन कुछ बहुत अच्छी तस्वीरें फिर भी बनाई गईं। इन चित्रों में कहानियों के दृश्यों को वास्तविक जानवरों और स्थानों की तरह बहुत यथार्थवादी तरीके से दिखाया गया है। बहुत से लोगों को ये कहानियाँ इसलिए पसंद आईं क्योंकि इनमें न केवल अच्छे सबक निहित थे, बल्कि इसलिए भी क्यों कि इन्हें पढ़ने और सुनने में बड़ा ही आनंद आता था। कहानियों के अंदर कई छोटी कहानियाँ थीं, जो उन्हें और भी रोमांचक बनाती है। हालांकि पहली नजर में "कलीला वा-दिमना", पंचतंत्र के ही थोड़े अलग संस्करण की तरह नजर आती है। इसे आप एक ऐसा गाना मान सकते हैं जिसे रीमिक्स (Remix) कर दिया गया हो! इसके कुछ हिस्से बदल दिए गए हैं। परिचय और मुख्य कथानक बिल्कुल एक जैसे नहीं हैं। कलीला वा-दिमना की एक कहानी में मगरमच्छ की जगह कछुए ने ले ली है। साथ ही, हर कहानी में एक सबक होता है। कुल मिलाकर, यह कुछ हद तक समान है लेकिन थोड़ी अलग भी है। 18 फरवरी, 2018 के दिन, भारत की यात्रा के दौरान, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को "कलीला वा-दिमना" कहानी का एक एनिमेटेड संस्करण (Animated Version) और एक प्रति भी भेंट स्वरूप दी थी। "पंचतंत्र" का भारत के बाहर पहला अनुवाद वर्ष 570 के आसपास पहलवी नामक भाषा में किया गया था। ईरान से बोरज़ुया (Borzuya) नाम का एक व्यक्ति एक ऐसे पौधे की तलाश में भारत आया था जो लोगों को हमेशा के लिए जीवित रख सके। इसके बजाय, उन्हें "पंचतंत्र" नामक पुस्तक मिली जो लोगों को बुद्धिमान बना सकती थी। उसने गुप्त रूप से इसकी प्रतिलिपि बनाई और इसका अनुवाद किया और इसे वापस ईरान ले आए । इसके बाद इस अनुवाद का अरबी और सिरिएक (Syriac) जैसी अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया। मध्य पूर्व में, कहानियों के दो पात्रों के आधार पर पुस्तक को अरबी में "कलीलाह वा दिमनाह" नाम मिला। वहां प्रचलित होने के बाद इसका ग्रीक और फ़ारसी जैसी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया और इसके सरलीकृत संस्करण बनाए गए, जो पढने में आसान थे। भारत में भी, मुगल शासकों के बीच "अनवर-ए-सोहायली" नामक एक सरलीकृत संस्करण प्रसिद्ध हुआ। 12वीं सदी में इसका हिब्रू और बाद में लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया, जो पूरे यूरोप में भी लोकप्रिय हुआ । अनुवादों के अलावा, "पंचतंत्र" ने "द अरेबियन नाइट्स (The Arabian Nights)" जैसी अन्य प्रसिद्ध कहानियों और कई आधुनिक लेखकों की रचनाओं को भी प्रभावित किया। इससे पता चलता है कि प्राचीन भारतीय ज्ञान कितनी दूर-दूर तक फैला हुआ था। इसलिए, जब ईरानी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को "पंचतंत्र" का फारसी अनुवाद दिया, तो यह इस बात का प्रतीक था कि कैसे यह पुराना भारतीय ज्ञान विश्व भर में अभी भी जीवित है ।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4d7mshwc
https://tinyurl.com/444z9xcn
https://tinyurl.com/46jf8jf8
https://tinyurl.com/2prc2j7c

चित्र संदर्भ
1. कलीला वा-दिमना और पंचतंत्र की नक्काशी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कलीला वा-दिमना के एक पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
3. पंचतंत्र पांडुलिपि के एक दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कलीला वा-दिमना की एक कहानी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कलीला वा-दिमना में गधे और शेर की कहानी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पंचतंत्र के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)

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