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संस्कृत का अन्य भारतीय भाषाओं, जैसे हिंदी पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।संस्कृत की उत्पत्ति 1700-1200 ईसा पूर्व में वैदिक संस्कृत के रूप में हुई थी, और इसे वैदिक मंत्रोच्चार परंपरा के हिस्से के रूप में मौखिक रूप से संरक्षित किया गया था। लगभग 500 ईसा पूर्व में पाणिनि ने व्याकरण को परिभाषित करते हुए वैदिक संस्कृत को शास्त्रीय संस्कृत में मानकीकृत किया। पाणिनि की “अष्टाध्यायी”, व्याकरण के ग्रंथों में सबसे महत्वपूर्ण है - यह संस्कृत का भाषाई विश्लेषण है, इसमें आठ अध्याय शामिल हैं जो संस्कृत के नियमों और इसके स्रोतों को बताते हैं। इस मानकीकरण के माध्यम से, पाणिनि ने शास्त्रीय संस्कृत को बनाने में मदद की।संस्कृत साहित्य का शास्त्रीय काल, गुप्त काल से लेकर पूर्व-इस्लामिक मध्य साम्राज्यों तक रहा है, जो लगभग तीसरी से आठवीं शताब्दी ईस्वी तक फैला हुआ है। हिंदू पुराण, भारतीय साहित्य की एक शैली जिसमें मिथक और किंवदंतियाँ शामिल हैं, शास्त्रीय संस्कृत के काल में आती हैं।
वैदिक संस्कृत हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ, वेदों की भाषा है।वैदिक काल के दौरान तथा उसके बाद संस्कृत का ज्ञान उच्च सामाजिक वर्ग का प्रतीक बन गया।संस्कृत की भाषाई वंशावली को प्रोटो-इंडो-ईरानी (Proto-Indo-Iranian ) और प्रोटो-इंडो-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषाओं में खोजा जा सकता है, जिसका अर्थ है संस्कृत भाषा का पता उन लोगों से लगाया जा सकता है जो इंडो-ईरानी बोलते हैं, जिन्हें आर्य भाषाएं भी कहा जाता है। इंडो- यूरोपीय कई सौ भाषाओं और बोलियों का एक परिवार है। सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली इंडो-यूरोपीय भाषाएँ अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, पंजाबी, स्पेनिश, पुर्तगाली और रूसी हैं, जिनमें से प्रत्येक के 100 मिलियन से अधिक वक्ता हैं।धार्मिक साहित्य में, मुख्य रूप से हिंदू धर्म में, इसके व्यापक उपयोग के कारण यह भारतीय संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण बन गयी, और परिणामस्वरूप अधिकांश आधुनिक भारतीय भाषाएँ सीधे तौर पर संस्कृत से ली गई, या उससे बहुत प्रभावित हुयी।
संस्कृत, इंडोनेशिया (Indonesia) की आधुनिक भाषा और मलेशिया (Malaysia) में बोली जाने वाली पारंपरिक मलय भाषा के साथ भी जूड़ी हुयी है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ शताब्दियों तक इंडोनेशियाई शिलालेखों में संस्कृत ही एकमात्र भाषा थी।इन संस्कृत शिलालेखों में पश्चिम जावा के पूर्णावर्मन पत्थर, जो पाँचवीं शताब्दी के हैं, और मध्य जावा के कंगगल शिलालेख, 732 ई.पू. के हैं। हालाँकि, संस्कृत को धीरे-धीरे स्थानीय भाषाओं द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। द्वीपसमूह में पहला शिलालेख पूर्वी बोर्नियो (eastern Borneo) में पाया गया है, जो मुख्य व्यापार मार्गों से बहुत दूर स्थित है। वास्तव में कोई नहीं समझ पाया कि ऐसा कैसे हुआ, हां लेकिन इन्हें चौथी शताब्दी ईस्वी में संस्कृत में अंकित किया गया था।
संस्कृत उत्तर भारत की एक इंडो-यूरोपीय (Indo-European ) भाषा है, लेकिन इन शुरुआती शिलालेखों में इस्तेमाल की गई लिपि (कुछ अन्य सुरागों के साथ) से पता चलता है कि इसे दक्षिण भारतीयों - तमिल भाषी, (पहले हिंदुओं फिर बौद्धों द्वारा) दक्षिण पूर्व एशिया में लाया गया था।
कुछ इंडोनेशियाई समकालीन सम्मान पदक और पुरस्कार, जैसे बिंतांगमहापुत्र पदक, कल्पतरु पुरस्कार और आदिपुरा पुरस्कार भी संस्कृत से व्युत्पन्न नाम हैं। संस्कृत से लिए गए शब्द धर्म, कला और रोजमर्रा की जिंदगी के कई पहलुओं को कवर करते हैं। पहली शताब्दी से बहुत पहले भारत के साथ संपर्क से यहां पर संस्कृत का प्रभाव आया। ये शब्द या तो सीधे भारत से उधार लिए गए हैं या पुरानी जावानीस भाषा के माध्यम से लिए गए हैं। जावा की शास्त्रीय भाषा, पुरानी जावानीज़ में, संस्कृत से उधार लिए गए शब्दों की संख्या कहीं अधिक है।
इंडो-यूरोपीय अध्ययन के अकादमिक भाषाई क्षेत्र में संस्कृत का अपना एक विशेष स्थान है, जो विलुप्त और वर्तमान इंडो-यूरोपीय दोनों भाषाओं पर केंद्रित है, और दुनिया भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों में इसका अध्ययन किया जा सकता है। हमारे मेरठ शहर के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में जुलाई 1969 में संस्कृत विभाग की स्थापना हुई और स्नातक की शिक्षा प्रारंभ की गयी। 1986 में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्रारंभ की गयी। इसमें 1996 में नियमित शिक्षण शुरू हुआ और 1998 में इसे अपना भवन मिला। पीएच.डी. कार्यक्रम 1997 में शुरू किया गया था, जबकि ज्योतिष पाठ्यक्रम जुलाई 1999 में शुरू किया गया था।प्राचीनता की ओर लगातार बढ़ती रूचि ने संस्कृत जानने वाले व्यक्ति को आधुनिक समाज का एक अनिवार्य सदस्य बना दिया है। समाज में सांस्कृतिक और नैतिक मानकों के तहत अधिक कुशल प्राच्य और उचित रूप से प्रशिक्षित ज्योतिषियों का होना आवश्यक हो गया है।
संदर्भ:
https://shorturl.at/fpCSU
https://shorturl.at/rwHPW
https://shorturl.at/erGTW
चित्र संदर्भ
1. मध्य जावा में बोरोबुदुर, दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध मंदिर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. भूर्ज छाल पांडुलिपि, पाणिनि के संस्कृत व्याकरण पर आधारित एक व्याकरणिक पाठ्यपुस्तक (1663) को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. पल्लव लिपि में लिखे गए केडुकन बुकिट शिलालेख,को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. इंडोनेशियाई भाषा के उधार शब्दों पर अन्य भाषाओं के योगदान का प्रतिशत दर्शाने वाले पाई चार्ट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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