Post Viewership from Post Date to 15-Aug-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
4276 683 4959

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

किन उद्देश्यों से घोड़ों की छोटी नस्लें बनाई गईं, और क्या हैं इनकी विशेषताएं?

मेरठ

 17-07-2023 10:10 AM
शारीरिक

मोटर वाहनों के आगमन के बाद घोड़ों का प्रयोग, शौकिया तौर पर घुड़ सवारी और ऊँचे पहाड़ों पर माल ढोने तक ही सीमित रह गया। लेकिन आज से लगभग 200-250 साल पहले, यूरोप में घोड़ों की कई बहुत छोटी नस्लें बनाई गईं। इन छोटे-छोटे लेकिन मासूम और सुंदर घोड़ों को जब चिड़ियाघरों में रखा गया, तो इनकी वजह से चिड़ियाघर में और अधिक दर्शक आकर्षित होने लगे, जिससे यहां के मालिकों को खूब फायदा हुआ। लेकिन दुर्भाग्य से इस फायदे के बदले, कीमत कृत्रिम तौर पर छोटे किये गए इन नन्हे घोड़ों को चुकानी पड़ी।
मिनिएचर (Miniature) या लघु घोड़ा एक छोटे घोड़े की नस्ल होती है, जो 100 सेमी (40 इंच) से कम लंबा होता है। हालांकि ये छोटे घोड़ों की तरह दिखते हैं, लेकिन आनुवंशिक रूप से शेटलैंड (Shetland) जैसी टट्टू नस्लों के समान होते हैं। ये घोड़े विभिन्न रंगों और कोट पैटर्न (Coat Pattern) में देखे जा सकते हैं। इन घोड़ों को अर्जेंटीना (Argentina), ऑस्ट्रेलिया (Australia), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), हॉलैंड (Holland), आयरलैंड (Ireland), नामीबिया (Namibia), और संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) जैसे देशों में देखा जा सकता हैं। छोटे घोड़ों को अक्सर एक अच्छे साथी के रूप में या ड्राइविंग (Driving) और हॉर्स शो (Horse Shows) कार्यक्रमों और चिड़ियाघरों जैसी खेल गतिविधियों के लिए पाला जाता है। साथ ही इन्हे अंधे लोगों के लिए मार्गदर्शक घोड़े के रूप में भी प्रशिक्षित किया जाता है। माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति यूरोप में हुई और इनका एक लंबा इतिहास रहा है, जिसका दस्तावेजीकरण अठारहवीं शताब्दी के अंत में हुआ था। फ़लाबेला (Falabella), नामक एक प्रसिद्ध लघु घोड़े की नस्ल, 1800 के मध्य में चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से अर्जेंटीना में विकसित की गई थी। बीसवीं सदी की शुरुआत में, छोटे घोड़ों को विशेष रूप से इंग्लैंड में लेडी एस्टेला मैरी होप (Estella Mary Hope) और उनकी बहन लेडी डोरोथिया (Lady Dorothea) द्वारा पाला जाता था।
यूरोप और अर्जेंटीना में इन प्रयासों ने एक विशिष्ट नस्ल के रूप में लघु घोड़ों की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेडी एस्टेला मैरी होप, लेडी डोरोथिया, पैट्रिक न्यूटाल (Patrick Newtall) और जुआन फलाबेला (Juan Falabella) जैसी हस्तियों द्वारा शुरू किये गए प्रजनन प्रयासों और तकनीकों ने लघु घोड़ों की विशेषताओं और लक्षणों को आकार देने में काफी मदद की। ये घोड़े आम तौर पर बहादुर होते हैं और इनका जीवनकाल 25 से 35 वर्ष तक लंबा होता है। इसके आलावा यह छोटे घोड़े, बड़े घोड़ों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं और उनके स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी अलग-अलग होते हैं, उनमें कुछ बीमारियों का खतरा कम होता है। हालांकि ये नन्हे जानवर हाइपरलिपेमिया (Hyperlipemia) और दंत विकृति जैसी स्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
 दुनिया में सबसे छोटे घोड़े की कुछ शानदार नस्लों की सूची निम्नवत दी गई है: 1. फलाबेला (Falabella): फलाबेला दुनिया में घोड़ों की सबसे छोटी नस्ल मानी जाती है, जिसे जानबूझकर चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से बनाया गया है। ये लगभग 24 से 28 इंच लंबे होते हैं और इनका व्यवहार शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण होता है। इन्हें आम तौर पर पालतू जानवर के रूप में रखा जाता है और इन्हें तकरीबन 1200 डॉलर की कीमत पर खरीदा जा सकता है। इनका जीवनकाल 40 से 45 वर्ष का होता है। 2. शेटलैंड पोनी (Shetland Pony): शेटलैंड पोनी की उत्पत्ति स्कॉटलैंड के शेटलैंड (Shetland) द्वीप समूह से हुई। ये घोड़े छोटे और मजबूत होते हैं, जिनकी औसत ऊंचाई 9 से 10 हाथ (36 से 40 इंच) होती है। उनके बाल घने होते हैं और वे अपनी ताकत के लिए जाने जाते हैं। इनका उपयोग कोयला खदानों में पैक जानवरों के रूप में या वज़न ढोने के लिए किया जाता था, लेकिन अब इन्हें अक्सर साथी घोड़ों के रूप में उपयोग किया जाता है। 3. योनागुनी (Yonaguni): योनागुनी घोड़ा जापान के ओकिनावा (Okinawa) में योनागुनी (Yonaguni) द्वीप का मूल निवासी माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से इसका उपयोग कृषि कार्यों और परिवहन के लिए किया जाता था। आज, केवल लगभग 80 योनागुनी घोड़े और 120 जंगली घोड़े शेष बचे हैं, इसलिए इसे एक लुप्तप्राय नस्ल माना जाता है। 4. लघु घोड़ा: लघु घोड़े दो प्रकार के होते हैं: पहला प्रकार अरबी नस्ल जैसा दिखता है, जबकि दूसरा प्रकार गठीला होता है और उसके पैर छोटे होते हैं। ये लगभग 400 वर्षों से अधिक समय से मौजूद हैं। शुरुआत में इनका उपयोग कोयला खदानों में किया जाता था। उनके छोटे जबड़ों के कारण उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है लेकिन वे लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। 5. फ्योर्ड घोड़ा (Fjord Horse): फ्योर्ड घोड़ा, जिसे नॉर्वेजियन फ्योर्ड (Norwegian Fjord) घोड़ा भी कहा जाता है, अपनी अनूठी उपस्थिति और सीधी अयाल के लिए जाना जाता है। इसे मूल रूप से नॉर्वे में कृषि उद्देश्यों के लिए पाला गया था और अभी भी इसका उपयोग खेतों और गाड़ी के घोड़े के रूप में किया जाता है। 6. वेल्श सेक्शन ए पोनी (Welsh Section A Pony): वेल्श टट्टू, विशेष रूप से वेल्श सेक्शन ए पोनी, घोड़ों की सबसे छोटी नस्लों में से एक हैं। इनका 1600 ईसा पूर्व पुराना एक समृद्ध इतिहास रहा है। ये प्रबल और साहसी होते हैं, तथा खानों में गड्ढे वाले टट्टुओं के रूप में उपयोग किए जाते थे। 7. आइसलैंडिक घोड़ा (Icelandic Horse): आइसलैंडिक घोड़े अपनी सघनता और ताकत के लिए जाने जाते हैं। इनका उपयोग पशुओं को चराने और पशुओं के झुंड के प्रबंधन के लिए किया जाता है। उनके अनोखे छोटे पैर, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए अनुकूल बने होते हैं। 8. हाफलिंगर घोड़ा (Haflinger Horse): हाफलिंगर घोड़े, जिन्हें एवेलिग्नीज़ (Avelignese) के नाम से भी जाना जाता है, साहसी पहाड़ी घोड़े होते हैं जो कम भोजन पर भी जीवित रह सकते हैं। इनका स्वभाव चंचल और हंसमुख होता है।
घोड़ों की ये छोटी नस्लें कई प्रकार की विशेषताएं रखती हैं और साहचर्य से लेकर कृषि कार्य तक विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयुक्त हो सकती हैं। हालांकि घोड़े की नस्ल चुनते समय उनकी विशिष्ट देखभाल आवश्यकताओं पर विचार करना भी जरूरी होता है।
अपने छोटे आकार के बावजूद, लघु घोड़े विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। जिनमें से कुछ की सूची निम्नवत दी गया है:
1. टेढ़े पैर: छोटे घोड़े अक्सर गंभीर रूप से टेढ़े पैरों के साथ पैदा होते हैं, जिस कारण उनके लिए चलना मुश्किल और असुविधाजनक हो सकता है । हालांकि सर्जरी करने के बाद इन विकृतियों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
2. अकड़ने वाले पैर: कभी-कभी, छोटे घोड़े का घुटना फंस जाता है और पैर अकड़ जाता है। गंभीर मामलों में, दोनों पिछले पैर प्रभावित हो सकते हैं।
3. पटेला या घुटने की हड्डी (Patella Bone or Knee Cap) का विस्थापित होना: छोटे घोड़ों का पटेला दोनों तरफ विस्थापित हो सकता है, जिससे उनमें लंगड़ापन पैदा हो सकता है। पटेला को पुनः स्थापित करने और स्थिति में सुधार करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है।
5. जबड़े की विकृति: लघु घोड़ों में ओवरबाइट और अंडरबाइट (Overbite And Underbite) जैसी समस्याएं आम होती हैं। गंभीर मामलों में इनकी चबाने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए इन्हें नियमित दंत चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।
6. वसा संचय और यकृत की समस्याएं: छोटे घोड़ों में आसानी से वसा जमा हो जाती है, जिससे इनके यकृत में सूजन हो जाती है। ऐसे मामलों में जल्दी इलाज की आवश्यकता होती है।
7. कठिन जन्म: आकार में अंतर के कारण, मिनी घोड़ी को अक्सर जन्म के समय कठिनाई का अनुभव होता है, जिसके लिए सिज़ेरियन सेक्शन (Cesarean Section) जैसी पशु चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
8. बौनापन: आनुवंशिक स्थितियों के कारण इनके अंग छोटे या मुड़े हुए हो सकते हैं।
9. नेत्र असामान्यताएं: इन घोड़ों में पूर्वकाल खंड डिसजेनेसिस (Anterior Segment Dysgenesis) आंख के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है, जिससे इनमें कॉर्निया (Cornea) का बढ़ना जैसी असामान्यताएं हो सकती हैं और दृष्टि हानि का खतरा बढ़ जाता है।
कुल मिलाकर लघु घोड़ों का मालिक होना एक शानदार अनुभव हो सकता है, लेकिन इनकी बेहतर देखभाल के लिए उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को समझना और उनका समाधान करना भी जरूरी है।

संदर्भ
Https://T.Ly/Hsnz
Https://T.Ly/27gge
Https://T.Ly/R5-R

चित्र संदर्भ
1. लघु घोड़े को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. दौड़ लगाते लघु घोड़ों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. फलाबेला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. शेटलैंड पोनी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. योनागुनी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. लघु घोड़े को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. फ्योर्ड घोड़े को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
8. वेल्श सेक्शन ए पोनी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. आइसलैंडिक घोड़े को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10 हाफलिंगर घोड़े को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id