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प्रत्येक दिन सुबह उठने के बाद शायद हममें से कई लोग सबसे पहले खिड़की से बाहर यह जानने के लिए कि ‘मौसम कैसा है’, देखते हैं। कहीं बाहर घूमने जाने से पहले कुछ लोग मौसम का पूर्वानुमान भी सुनते हैं। मौसम का पूर्वानुमान हमें हमारे दिन की कार्यविधि को निश्चित करने में मदद करता है। वास्तव में मौसम शब्द का तात्पर्य हमारे वायुमंडल, जो पृथ्वी के चारों ओर स्थित वायु की एक परत है, की अस्थायी स्थितियों से होता है। आम तौर पर, जब हम वातावरण की स्थिति के संदर्भ में बात करते हैं तो वास्तव में हम मौसम के बारे में सोचते हैं। कुछ लोगों को मौसम और जलवायु को लेकर भ्रम की स्थिति भी होती है। वास्तव में मौसम थोड़े समय के दौरान वायुमंडल की स्थिति को दर्शाता है, जबकि जलवायु अपेक्षाकृत लंबी अवधि में वातावरण के व्यवहार के बारे में दर्शाता है। मौसम वातावरण में तापमान, आर्द्रता, वर्षा, बादल, दृश्यता और हवा का संयोजन है। लेकिन, मौसम पानी में कोई पत्थर फेंकने के बाद उठने वाली तरंगों के समान काम करता है। ये तरंगें पानी को, पत्थर गिरने के विशिष्ट स्थान से भी बहुत दूर तक प्रभावित करती हैं। विश्व में मौसम के साथ भी ऐसा ही होता है।
एक सीमित क्षेत्र का मौसम अंततः सैकड़ों या हजारों किलोमीटर दूर के मौसम को भी प्रभावित करता है। किसी विशिष्ट स्थान या क्षेत्र पर मौसम की क्रियाएं चलती रहती है, और घंटे-दर-घंटे या दिन-प्रतिदिन बदलती रहती है। हालांकि, कुछ वर्षों तक लगातार रहने वाली मौसम की सामान्य स्थितियाँ किसी क्षेत्र में परिचित मौसम बन जाती हैं, और इनमें अधिक बदलाव नहीं होता है। किसी विशिष्ट क्षेत्र में, कई वर्षों के औसत मौसम को, इसकी विविधताओं और चरम स्थितियों के साथ-साथ, ‘जलवायु’ कहा जाता है।
वास्तव में, मौसम के छह मुख्य घटक या भाग: तापमान, वायुमंडलीय दबाव, हवा, आर्द्रता, वर्षा और बादल हैं। ये सभी घटक मिलकर किसी क्षेत्र में किसी समय के मौसम का वर्णन करते हैं। वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के ज्ञान के साथ ये बदलते घटक, मौसम का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को यह अनुमान लगाने में मदद करते हैं, कि भविष्य में मौसम कैसा होगा!
हम सभी ने ‘मौसम के पूर्वानुमान’ के बारे में अखबार, टेलीविजन, पत्र–पत्रिकाओं में जरूर पढ़ा या सुना होगा। दरअसल, मौसम के पूर्वानुमान का अर्थ, सांख्यिकीय और अनुभव जन्य तकनीकों द्वारा भौतिकी के सिद्धांतों के अनुप्रयोग के माध्यम से की गई मौसम की भविष्यवाणी से है। वायुमंडलीय घटनाओं की भविष्यवाणियों के अलावा, मौसम पूर्वानुमान में वायुमंडलीय स्थितियों के कारण पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों की भविष्यवाणियां भी शामिल होती हैं। इन भविष्यवाणियों में बर्फ और बर्फ के आवरण, तूफान और बाढ़ के बारे में भी हमें जानकारी मिलती है।
मौसम के पूर्वानुमान की विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता होती हैं। आइए पढ़ते हैं-
• सेना के लिए: किसी युद्ध के दौरान कामयाब होने के लिए, सेना अपेक्षित मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी योजना बना सकती है।
• नुकसान कम करने के लिए: मौसम पूर्वानुमान लोगों को बाढ़ और तूफान जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से बचने हेतु योजना बनाने और सावधानी बरतने में सक्षम बनाता है, ताकि इन आपदाओं के प्रभावों को कम किया जा सके।
• किसानों के लिए: किसान अपेक्षित मौसम की स्थिति के अनुरूप अपनी कृषि गतिविधियों को समायोजित कर सकते हैं।
• परिवहन के लिए: मौसम का पूर्वानुमान विशेष रूप से, हवा और पानी के परिवहन को बहुत प्रभावित करता है। मौसम विमानों की उड़ान को भी प्रभावित करता है; जबकि, तूफान और तेज़ हवाएँ जल यात्रा को प्रभावित करती हैं।
• पर्यटकों के लिए: मौसम का उचित पूर्वानुमान पर्यटकों को पसंदीदा क्षेत्रों में घूमने के लिए मार्गदर्शन और योजना बनाने में मदद कर सकता है।
हमारे देश में मौसम पूर्वानुमान के कई तरीके अपनाए जाते हैं। मौसम पूर्वानुमान विशेषज्ञ कंप्यूटर मॉडल (Computer model) और सिमुलेशन (Simulation) द्वारा डिजाइन किए गए आंकड़ों का उपयोग करते हैं, जो मौसम में आने वाले बदलावों की भविष्यवाणी करने में उन्हें मदद करते हैं।
‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department (IMD) मौसम पूर्वानुमान के लिए एक मौसम डेटा एक्सप्लोरर एप्लिकेशन (weather data explorer application) ‘उत्पादों और सूचना प्रसार का वास्तविक समय विश्लेषण’ (Real-Time Analysis of Products and Information Dissemination (RAPID) के साथ–साथ ‘इनसैट’ सैटेलाइट (INSAT Satellite) श्रृंखला का उपयोग करता है। यह 4-डाइमेंशनल (Dimensional) विश्लेषण तेज़ी से इंटरैक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन (Interactive visualisation) प्रदान करता है। मौसम पूर्वानुमानकर्ता बादलों की गति, बादल के तापमान तथा जलवाष्प के आसपास उपग्रहों या सैटेलाइट द्वारा उत्पन्न आंकड़ों का उपयोग करते हैं। ये आंकड़े उन्हें वर्षा, आंधी, तूफान आदि के विषय में मौसम की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं, और चक्रवातों की उत्पत्ति और उनकी दिशा के बारे में भी जानकारी प्रदान करते हैं।
उपग्रहों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर नज़र रखने के अलावा, मौसम विभाग स्वचालित मौसम स्टेशनों (Automatic Weather Stations) और वैश्विक दूरसंचार प्रणाली (Global Telecommunication System), जो तापमान, धूप, हवा की दिशा, गति और आर्द्रता को मापता है, से जमीन-आधारित अवलोकन करने हेतु, ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (Indian Space Research Organisation (ISRO) के साथ सहयोग भी करता है। इनके अलावा ‘कृषि-मौसम विज्ञान टॉवर’ (Agro-Meteorological Tower (AGROMET) और ‘डॉपलर मौसम रडार’ (Doppler Weather Radar (DWR) प्रणाली भी मौसम के अवलोकन को बढ़ाते हैं।
2021 में, मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिए अपनी द्विचरणीय पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके एक नई रणनीति अपनाई है। यह नई रणनीति पूर्व सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली और नव विकसित ‘मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल’ (Multi-Model Ensemble) आधारित पूर्वानुमान प्रणाली पर आधारित है। ‘मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल’ दृष्टिकोण विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्रों से संयोजित ‘वैश्विक जलवायु मॉडल’ (Global climate model) का उपयोग करता है, जिसमें मौसम विभाग का मानसून मिशन ‘जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली’ (Climate Forecasting System) मॉडल भी शामिल है। यह तकनीकी प्रगति 2012 में ‘राष्ट्रीय मानसून मिशन’ (National Monsoon Mission) के लागू होने के कारण संभव हुई है। इस मिशन के लिए सरकार द्वारा केंद्रीय बजट में 551 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य देश में मौसमी पूर्वानुमान के लिए एक गतिशील भविष्यवाणी प्रणाली स्थापित करना और मानसून पूर्वानुमान कौशल में सुधार करना था।
हमारे उत्तर प्रदेश राज्य एवं मेरठ जिले के मौसम पूर्वानुमान के बारे में आप https://tinyurl.com/mrxcfhaf लिंक की मदद से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, वैश्विक मौसम प्रणालियों को प्रभावित करने वाली समुद्री धाराओं में परिवर्तन की अप्रत्याशितता के कारण कई बार मौसम के पूर्वानुमान गलत भी हो जाते हैं। दरअसल, मौसम पूर्वानुमान के गतिशील मॉडल कुछ मान्यताओं पर आधारित होते हैं, और प्रकृति के सभी घटकों को इन गतिशील मॉडल में सही तरीके से शामिल करना संभव नहीं होता है। इसी वजह से, कभी-कभी मौसम के पूर्वानुमान गलत हो सकते हैं। मौसम पूर्वानुमान के किसी गतिशील मॉडल में कंप्यूटर पर वातावरण का 3 डाइमेंशनल (3D) गणितीय अनुकरण शामिल होता है। मॉडल में दी गई, प्रारंभिक सूचनाओं में त्रुटियों के कारण भी कभी-कभी पूर्वानुमान गलत हो सकते हैं।
भारत में, बंगाल की खाड़ी हमारे पूरे देश भर के मौसम को प्रभावित करती है। वर्तमान समय में, मौसम पूर्वानुमान के लिए भारत सैटेलाइट से प्राप्त आंकड़ों और कंप्यूटर मॉडल पर निर्भर है। जबकि, कई अन्य देश इस दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) मौसम पूर्वानुमान में सुपर कंप्यूटर (Super computer) को एकीकृत करने के साथ आगे बढ़ गया है, जो उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों को एकत्र और दृष्टिगत करता है। ये सुपर कंप्यूटर कुछ ही क्षणों में डेटा को विकसित कर सकते हैं, जिससे पूर्वानुमान की प्रक्रिया प्रभावी एवं तेज हो जाती है और सटीकता बढ़ जाती है। समय के साथ, यह प्रणाली और अधिक सुधार की ओर अग्रसर है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि भविष्यवाणियों में लगातार सुधार होगा। अतः हमें भी शायद ऐसी ही किसी प्रणाली की जरूरत है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yvv4r3ds
https://tinyurl.com/5dx4mfuw
https://tinyurl.com/bdfwzpyn
https://tinyurl.com/mrxcfhaf
चित्र संदर्भ
1. मौसमी जानकारी को दर्शाता चित्रण (google)
2. मानूसन के बादलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मौसम के पूर्वानुमान को बताती एक मशीन को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4.डॉपलर मौसम रडार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. विश्व मौसमी मानचित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. मौसम की जानकारी लेती महिला को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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