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दिसंबर 2022 में तमिल नाडु राज्य के तिरुनेलवेली सब्जी बाजार में भिंडी की कीमत गिरकर 2 रुपए प्रति किलोग्राम हो गईं थी, जिस वजह से तिरुनेलवेली जिले के मनूर तालुक के हताश किसानों ने लगभग 3,000 किलोग्राम भिंडी सड़कों पर फेंक दी। इसके अलावा भिंडियों को या तो खेतों में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया या फिर मवेशियों को चारे के रूप में दे दिया गया। तो आइए जानते हैं, कि किस वजह से भिंडी की कीमत में इतनी अधिक गिरावट आई। साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत में भिंडी की कौन सी नई किस्में पुनर्जीवित हो रही हैं।
तिरुनेलवेली, वेल्लापनेरी और इसके आसपास के क्षेत्रों के किसानों ने लगभग 150 एकड़ में इस फसल की खेती की, लेकिन बेकार सब्जियों और बढ़ते नुकसान के अलावा उनके पास कुछ भी नहीं बचा।चूंकि तत्कालीन वर्ष में जिले में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई, इसलिए कई किसानों ने धान की खेती छोड़कर विभिन्न सब्जियां उगाने पर ध्यान केंद्रित किया।इससे बाजारों में भिंडी जैसी सब्जियों की आपूर्ति में तीव्र उछाल आया और परिणामस्वरूप इन सब्जियों की कीमतें गिर गईं। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा उपज का उचित मूल्य तय नहीं करने के कारण, और दूसरी तरफ व्यापारियों द्वारा अनुचित तरीके से कीमतें तय करने के कारण भी सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई।इसके अलावा बुनियादी ढांचे की कमी के कारण किसानों के पास अपनी उपज को कई दिनों तक स्टोर करने के साधन भी नहीं होते हैं, जिस कारण सब्जियों की कीमतों में गिरावट आती है।
भिंडी, भारत की एक सामान्य सब्जी है, जिसे लेडीज फिंगर (Ladies Finger), ओकरा (Okra),धेनरस (Dhenras), वेंडाई, भिंडो, बेंडेकेयी, वेंटायक्का, असरा-पत्रक आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक वार्षिक सीधी शाक है, जिसकी ऊंचाई 0.9 से 2.1 मीटर होती है। इसके पौधों में 12.5 से 30 सेंटीमीटर की त्रिकोणी आकार की फलियाँ होती हैं।यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फसल है। भिंडी विटामिन A और विटामिन B, प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। यह आयोडीन (Iodine) का एक उत्कृष्ट स्रोत है और इसलिए घेंघा रोग के उपचार के लिए अत्यंत उपयोगी है। ऑफ-सीजन के दौरान उपयोग के लिए सब्जी को पहले सुखाया या जमाया (Freeze) जाता है। सूखी सब्जी की खाल और रेशों का उपयोग कागज, कार्ड बोर्ड और रेशों के निर्माण में किया जाता है। इस पौधे के जड़ और तने का उपयोग गुड़ बनाने के लिए गन्ने के रस को साफ करने के लिए किया जाता है। भारत में प्रमुख भिंडी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक हैं। अपनी वृद्धि की लंबी अवधि के कारण भिंडी को लंबे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। यह गर्म आर्द्र वातावरण में अच्छी उपज देता है तथा 24-27°C के तापमान में अच्छी तरह बढ़ता है। इसे वर्षा ऋतु में भारी वर्षा वाले क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। भिंडी, पाले से होने वाली क्षति के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। जब तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम होता है, तब इसके बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं।भिंडी को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। हालाँकि, यह कार्बनिक पदार्थों से भरपूर ढीली, भुरभुरी, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगती है।
अपनी आय में वृद्धि करने के लिए अब किसान लाल भिंडी को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। लाल भिंडी स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन खजाना है। बाजारों में हरी भिंडी का दृश्य आम है,लेकिन लाल भिंडी बहुत ही कम देखने को मिलती है। लाल भिंडी पोषक तत्वों से भरपूर है, और इसलिए अनेकों स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए इनका सेवन बहुत फायदेमंद है। लाल भिंडी में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है, जो शरीर में मांसपेशियों के विकास में बहुत फायदेमंद है। यह शरीर के उपापचय को सही रखने में भी सहायक है।लाल भिंडी में आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर की वृद्धि में सहायक है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह भ्रूण के विकास में मदद करता है। अपने विशिष्ट गुणों के कारण यह हरी भिंडी से महंगी है। मंडियों में इनकी कीमत 100-150 रुपए प्रति किलोग्राम है, और इनकी मांग बहुत अधिक है। इसलिए अब किसान भी इस फसल की खेती में रुचि दिखा रहे हैं।
मानसून के मौसम में लाल भिंडी अच्छी तरह से बढ़ती है, जबकि गर्मियों के दौरान इसकी पत्तियां थोड़ी सिकुड़ जाती हैं और पीली हो जाती हैं। हरी भिंडी की तुलना में इस किस्म के पौधे लंबे समय तक भिंडी का उत्पादन करते हैं। लाल भिंडी से किसानों को 2 महीने तक की उपज मिल जाती है। जबकि हरी भिंडी केवल 45 दिनों तक ही उपज देती है। विदेशी बाजारों में भारतीय भिंडी की एक अच्छी मांग है।यूरोपीय महाद्वीप (European continent) में सर्दियों के समय भारतीय भिंडी की मांग बहुत अधिक होती है।यूरोपीय बाजार में भिंडी की मौजूदा मांग पहले से ही अच्छे स्तर पर है और आने वाले समय में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। इस बाजार के व्यापार में भविष्य में और भी सुधार होगा।
बाजारों में हरी भिंडी का दृश्य आम है, लेकिन लाल भिंडी बहुत ही कम देखने को मिलती है। लाल भिंडी पोषक तत्वों से भरपूर है, और इसलिए अनेकों स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए इनका सेवन बहुत फायदेमंद है। हरी भिंडी की तुलना में इस किस्म के पौधे लंबे समय तक भिंडी का उत्पादन करते हैं।
संदर्भ:
https://rb.gy/he4my
https://rb.gy/zr8l3
https://rb.gy/xjt6r
https://rb.gy/pf82u
चित्र संदर्भ
1. लाल भिंडी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. भिंडी के पौंधे के साथ खड़ी महिला को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. भिंडी के पौंधे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. लाल भिंडी के पौंधों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. लाल भिंडी के पौंधे पर खिले सुंदर फूल को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
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