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सुबह जल्दी उठकर पानी भरने नहीं, स्कूल जाने के लिए तैयार होंगी देश की होनहार बालिकाएं

मेरठ

 30-06-2023 09:37 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

जिंदगी अनमोल है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले लोग इस अनमोल जीवन को दूर-दराज के क्षेत्रों से पानी ढोने में खर्च कर देते हैं। हालांकि पिछले दशक की तुलना में आज ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता के मामले में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। और यह सुधार मेरठ के ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा गया है।
पूरी दुनिया में किसी भी स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए स्वच्छ जल की निरंतर आपूर्ति होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से, दुनिया भर में इस अहम् मुद्दे को उतनी प्राथमिकता नहीं दी जाती, जितनी कि आवश्यक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में जल जनित यानी दूषित पानी के कारण होने वाली बीमारियों से देश की अर्थव्यवस्था को हर साल लगभग 600 मिलियन डॉलर (600 Million Dollar) का नुकसान होता है। यह नुकसान उन क्षेत्रों में सबसे अधिक होता है, जहां सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएँ घटती रहती हैं। आज देश में भूजल का तेजी से खत्म होना एक बड़ी चुनौती बन गया है। किसी भी अन्य देश की तुलना में, भारत में भूजल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। भारत के 30 मिलियन से अधिक लोग (ग्रामीण क्षेत्रों में 85%) और (शहरी क्षेत्रों में 48%) पानी की आपूर्ति भूजल से करते हैं, जिसके कारण भारत के दो-तिहाई जिलों में पानी की अत्यधिक कमी हो गई है। 2015 में, भारत सरकार ने 93% ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर जल आपूर्ति पहुंचाने का वादा किया था। लेकिन 2017 तक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 49% से भी कम लोगों को सुरक्षित, स्वच्छ, हमेशा उपलब्ध और किसी भी प्रदूषण से मुक्त पीने का पानी उपलब्ध हो पाया।
जब परिवारों के पास घर में सुरक्षित और विश्वसनीय जल स्रोत नहीं होता है, तो पानी लाने की अहम् जिम्मेदारी आमतौर पर महिलाओं और बच्चों के ऊपर डाल दी जाती है। दूर- दराज स्थित जलस्रोत से पानी लाने में बहुत अधिक समय लगता है, और इसलिए बच्चों को विद्यालय से छुट्टी भी करनी पड़ती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सूखा प्रभावित राज्यों में विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में 22% की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही लगभग 54 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं और किशोरियां प्रतिदिन पानी लाने में लगभग 35 मिनट तक खर्च करती हैं, जो एक वर्ष में 27 दिनों की मजदूरी के बराबर है।
इन सभी गंभीर मुद्दों को संबोधित करने के लिए, भारत सरकार ने 2019 में ‘जल जीवन’ (Jal Jeevan) योजना की शुरुआत की । इस योजना का लक्ष्य 2024 तक देश के हर घर में नल के माध्यम से पानी की आपूर्ति प्रदान करना है। इस योजना का समर्थन और कार्यान्वयन करने के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपात निधि’ (United Nations International Children's Emergency Fund (UNICEF) भी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सरकार ने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 65.6 बिलियन डॉलर से अधिक धन का आवंटन किया है। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ बुनियादी ढांचे का निर्माण करना ही नहीं है, बल्कि समुदायों को अपनी जलापूर्ति प्रणालियों का प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाना भी है। स्थानीय सरकारी संस्थाएँ अर्थात ग्राम पंचायतें इन जल योजनाओं के कार्यान्वयन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ‘जल जीवन’ योजना की शुरुआत के बाद से, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यात्मक घरेलू नल संयोजन का विस्तार 17% से बढ़कर 49% से अधिक हो गया है। सरकार दावा कर रही है कि देश के लगभग सभी विद्यालयों में नल का पानी भी उपलब्ध कराया जा चुका है। जल प्रबंधन और इससे संबंधित निर्णय लेने में महिलाओं को शामिल करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। योजना के दिशा निर्देश जल योजनाओं के कार्यान्वयन और प्रबंधन में विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी पर जोर देते हैं।
हाल ही में भारत के ‘जल शक्ति मंत्रालय’ ने भी यह घोषणा की है कि अब भारत के लगभग 60% ग्रामीण परिवारों (11.66 करोड़ घर) तक नल का पानी पहुंच चुका है। अगस्त 2019 में ‘जल जीवन’ योजना के शुरू होने से पहले केवल 16.65% ग्रामीण घरों में ही नल के पानी के कनेक्शन (Connection) थे। सरकार दावा कर रही है कि गुजरात, तेलंगाना, गोवा, हरियाणा, पंजाब और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में तो 100% जलापूर्ति का लक्ष्य हासिल भी कर लिया गया है।
पिछले तीन वर्षों में, 8.42 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों की 40 करोड़ से अधिक आबादी को इस कार्यक्रम से लाभ हुआ है। इस योजना के प्रयासों के तहत ग्रामीण विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं (आदिवासी आवासीय विद्यालयों) में पीने, खाना पकाने, हाथ धोने और शौचालयों के लिए नल का पानी कनेक्शन प्रदान करके बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। वर्तमान में, 88.26% विद्यालयों और 83.71% आंगनबाड़ी केंद्रों में नल के पानी की पहुंच हो गई है। ‘जल जीवन’ योजना ने आर्सेनिक (Arsenic) और फ्लोराइड (Fluoride) संदूषण के कारण होने वाली पानी की बीमारियों की समस्या को भी दूर कर दिया है। जल जीवन योजना की शुरुआत से पहले, 14,020 बस्तियाँ जल में आर्सेनिक के संदूषण से और 7,996 बस्तियाँ जल में फ्लोराइड के संदूषण से प्रभावित थीं। लेकिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संयुक्त प्रयासों की बदौलत आर्सेनिक से प्रभावित बस्तियों की संख्या घटकर 612 और फ्लोराइड से प्रभावित बस्तियों की संख्या घटकर 431 रह गई है। अब आर्सेनिक या फ्लोराइड प्रभावित इन बस्तियों में रहने वाले सभी 1.79 करोड़ लोगों को पीने और खाना पकाने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध हो गया है।
इन क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 2,078 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जिनमें से 1,122 प्रयोगशालाएं ‘परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड’ (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL) से मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में 21 लाख से अधिक महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (Field Test Kit) का उपयोग करके पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। 2022-23 की अवधि में, इन किटों का उपयोग करके लगभग 1.03 करोड़ पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया था। इन प्रयासों से देश में जल जनित बीमारियों के मामलों में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मेरठ डिवीज़न (Meerut Division) के बागपत जिले में 73% से अधिक ग्रामीण घरों में नल के पानी का कनेक्शन लग चुका है। 15 अगस्त, 2019 तक, बागपत में केवल 11,908 ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन थे। हालांकि, इस साल 14 अप्रैल तक यह संख्या 73.10% बढ़कर 1,21,004 हो गई है। हमारे मेरठ मण्डल के अन्य जिलों में, घरों में पानी के कनेक्शन लक्ष्य का बुलन्दशहर ने 52.91%, गौतमबुद्ध नगर ने 56.22%, गाजियाबाद ने 57.94%, मेरठ ने 63.75% और हापुड़ ने 62.89% लक्ष्य हासिल कर लिया है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘जल जीवन’ योजना के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने 1.03 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल का पानी कनेक्शन प्रदान किया है। सरकार का लक्ष्य 2024 तक 2.65 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों तक नल का पानी पहुंचाना है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/zsdshajr
https://tinyurl.com/26uy26v4
https://tinyurl.com/5t4tduxz

चित्र संदर्भ
1. पानी भरती और स्कूल जाती बालिकाओं को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. पानी भारती बालिकाओं को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. पानी के नलके को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. हैंडपंप से पानी भरते बुजुर्ग को दर्शाता चित्रण (Flickr)
5. पानी के पंप को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)

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