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क्या आप एक चलते–फिरते अस्पताल की कल्पना कर सकते है? दरअसल, आपकी यह कल्पना एक हकीकत का रूप ले चुकी है । लाइफलाइन एक्सप्रेस(Lifeline Express)या जीवन रेखा एक्सप्रेस एक ऐसी ट्रेन है,जो रेलवे लाईन पर चलने के दौरान ही अस्पताल जैसी सुविधाएं देती हैं।इसे‘भारत की जादुई ट्रेन (Magic Train of India)’और ‘पहियों पर शल्य चिकित्सा अस्पताल (Surgical Hospital on wheels)’ के नाम से भी जाना जाता है।आमतौर पर ‘अस्पताल ट्रेन’ के रूप में प्रख्यात यह ट्रेन, विभिन्न स्थानों पर अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल परिदृश्य में दौड़ती है। 16 जुलाई, 1991 को मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से झंडी दिखाकर इसकी उद्घाटन यात्रा पर इसे देश में रवाना किया गया था।
लाइफलाइन या जीवन रेखा एक्सप्रेस भारत और दुनिया भर में एक प्रेरणा के रुप में चलती है।इसने दुनिया में ऐसी ही कुछ समान पहलों को प्रेरित किया है। उदाहरण के तौर पर लाइफलाइन एक्सप्रेस ने चीन(China), दक्षिण अफ्रीका(South Africa)आदि देशों एवं बांग्लादेश(Bangladesh) और कंबोडिया(Cambodia)जैसे देशों के रिवरबोट अस्पतालों(Riverboat hospitals) को प्रेरणा दी है। इस ट्रेन को सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्टता के लिए संयुक्त राष्ट्र ग्रैंड पुरस्कार(United Nations Grand Award) जैसे कई सम्मान भी प्राप्त हुए हैं।साथ ही,इसे सरकार द्वारा लाइफलाइन एक्सप्रेस की छवि वाली राष्ट्रीय मुहर के साथ मान्यता भी दी गई है।
यह ट्रेन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों या प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हुए, पूरे देश में चलती है।यह आज तक सफलतापूर्वक 32 साल की सेवा पूरी कर चुकी है। लाइफलाइन एक्सप्रेस ने आज तक दस लाख से अधिक लोगों का इलाज किया है और एक लाख से अधिक लोगों की सर्जरी की है। इसट्रेन का उद्देश्य दूर-दराज के क्षेत्रों में गरीब, वंचित और विकलांग रोगियों को उनके घर तक मुफ्त में राहत और चिकित्सा सेवा पहुँचाना है।यह ट्रेन कई दिनों या हफ्तों तक भीप्रत्येक स्थान पर खड़ी रहती है, जब लोगों तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाई जाती हैं।
यह ट्रेन रोगियों के लिए आशा और उत्साह की लहर ले कर आती हैं।इसके डिब्बों या बोगियों में आधुनिक और परिष्कृत अस्पताल सुविधाएं है।जीवन रेखा इम्पैक्ट-इंडिया फाउंडेशन(Impact India Foundation)और हमारे देश के रेलवे मंत्रालय की एक पहल थी। महानगर मुंबई से,इसने मुख्य रूप से आदिवासी इलाकों में अपना रास्ता बना लिया था।आज तक सैकड़ों गरीब ग्रामीणों ने इसका लाभ लिया है।जीवन रेखा ने सुदूर ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों लोगों के बीच आशा जगाई है, क्योंकि यह ट्रेन अब आधुनिक चिकित्सा से बीमार लोगों को राहत देती हैं।ग्रामीणों के बीच ट्रेन की विश्वसनीयता रेटिंग(Rating) भी काफी अधिक है। उनका मानना है कि यह सरकारी अस्पतालों से बेहतर है, और वे इससे इलाज की बड़ी उम्मीद रखते है।
लाइफलाइन एक्सप्रेस में अब सात कोच हैं जिनमें एयर कंडीशनिंग(Airconditioning) और वाईफाई(WiFi) सहित सभी आधुनिक सुविधाएं हैं।साथ ही,ट्रेन में रोगियों के लिए विशेष रिकवरी रूम(Recovery room), दो पूरी तरह से सुसज्जित अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर(Operation theatre), बिजली जनरेटर(Generator), अच्छी पेंट्री(Pantry), चिकित्सा आपूर्ति, पैथोलॉजी लैब(Pathology lab), मैमोग्राफी यूनिट(Mammography unit), आर्थोपेडिक सर्जरी(Orthopaedic surgery), न्यूरोलॉजिकल उपचार इकाई(Neurological treatment unit), दंत चिकित्सा सुविधाएं, एक एक्स-रे(X–ray) मशीन, फार्मेसी(Pharmacy), परामर्श कक्ष और चिकित्सा कर्मचारियों के लिए आवास आदि शामिल है। ट्रेन में मौजूद सर्जन(Surgeon) और डॉक्टर मिर्गी, मोतियाबिंद, कैंसर(Cancer), पोलियो, प्लास्टिक सर्जरी(Plastic surgery), दांतों और मुंह की सर्जरी, विकलांगतातथा आंख, कान, नाक और अंगों के विकारों सहित कई चिकित्सा स्थितियों का इलाज कर रहे हैं।
दूरदराज के ग्रामीण इलाकों तक बेहतरीन चिकित्सीय सुविधाएं पहुंचाने हेतु, सुसज्जित मोबाइल वैन(Mobile Van) के बजाय अस्पताल-ट्रेन को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि रेलवे देश भर में 65,000 किलोमीटर से अधिक लंबी रेलवे लाईन पर दौड़ता, पानी,तथा बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता, देश के लगभग 7,000 दूरस्थ कोनों तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है।
क्या आप जानते हैं, हमारे देश में जीवन रेखा ट्रेन जैसी पहलों की आवश्यकता क्यों है? आइए जानते है।हाल ही में जारी की गई‘ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2021-22’ से पता चलता है कि स्वास्थ्य उप केंद्र(Sub centres), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र(Primary health centres) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(Community health centres)में कार्यरत कर्मचारी, वांछित कर्मचारियों की संख्या, तथा वर्ष 2020-21 में कार्यरत कर्मचारियों की तुलना से भी कम थे।ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 के अनुसार, मार्च 2022 में देश में उप केंद्रों में सहायक नर्स दाइयों(Auxiliary nurse midwives) की संख्या 2,07,587 थी;जबकि मार्च 2021 में यह संख्या 2,14,820 थी। वे स्वास्थ्य उप केंद्र में प्राथमिक संपर्क के व्यक्ति हैं। इसी तरह, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉक्टरों की संख्या 31,716 से घटकर,2021-2022 में 30,640 हो गई थी।
एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चार से छह बेड(बिस्तर), एक प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, और अधीनस्थ कर्मचारी होने चाहिए। 30 हजार की जनसंख्या के लिए एक पीएचसी (Primary Health Care) होना चाहिए। अन्य विशिष्ट सेवाओं के साथ-साथ लेबर रूम(Labour room) और ऑपरेशन थिएटर में बेड की पर्याप्त संख्या का होना अनिवार्य है। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1,20,000 जनसंख्या के लिए एक सीएचसी (community health centre) होना चाहिए।
सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल के लिए निर्धारितमापदंडों को अपनाती, दुनिया में अपनी तरह की पहली लाइफलाइन एक्सप्रेस, भविष्य में भी, विकासशील देशों में, चिकित्सा देखभाल के प्रसार के लिए एक आदर्श के रूप में काम करेगी, और एक स्थायी छाप छोड़ेगी।
संदर्भ
https://bit.ly/3Cohb74
https://bit.ly/45UtW6X
https://bit.ly/460loLG
https://bit.ly/3qBrzWn
चित्र संदर्भ
1. जीवनरेखा एक्सप्रेस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बल्हारशाह जंक्शन से गुजरती जीवनरेखा एक्सप्रेस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. लाइफलाइन एक्सप्रेस में 2016 में अधिकारीयों के निरिक्षण को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मेरठ नगर जंक्शन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)