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आज इंटरनेट पर कई लेखों और चलचित्रों में भारत के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कई जानकारियां आयदिन साझा की जाती है। हालांकि इनकी वास्तविकता और सत्यता पर हमेशा एक प्रश्न चिन्ह बना रहता है, क्यों की इनमें से अधिकांश चलचित्रों में जानकारी के मूल स्त्रोत को साझा ही नहीं किया जाता है। लेकिन यदि आप भारत के असल इतिहास की गौरवपूर्ण गाथा को देखना चाहते हैं तो आपके लिए "भारत एक खोज" नामक एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक काफी फायदेमंद साबित हो सकता है! यह धारावाहिक टेलीविजन पर साल 1988 में प्रसारित हुआ था। यह जवाहरलाल नेहरू की "द डिस्कवरी ऑफ इंडिया (The Discovery of India)" नामक पुस्तक पर आधारित था और इसमें भारत के शुरुआती दिनों से लेकर 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी तक के इतिहास को दर्शाया गया था। इस धारावाहिक का निर्देशन, लेखन और निर्माण, श्याम बेनेगल द्वारा किया गया था और इसमें ओम पुरी, रोशन सेठ, टॉम ऑल्टर (Tom Alter) और सदाशिव अमरापुरकर सहित कई प्रतिभाशाली कलाकार थे।
1857
में
मेरठ
में
घटित
महान
क्रांति
को
भारतीय
आजादी
के
इतिहास
की
पहली
चिंगारी
माना
जाता
है! आज
लक्ष्मी
बाई
की
पुण्यतिथि
पर, ऊपर
दिए
गए
वीडियो
के
माध्यम
से
हम
उन
कारणों
की
पड़ताल
करेंगे, जिनकी वजह
से
हमारे
बहादुर
सैनिकों
के
बीच
विरोध
और
प्रतिशोध
की
पहली
चिंगारी
भड़की।
यह
दृश्य
दो
ब्राह्मणों
के
साथ
शुरू
होता
है
जो
मदद
की
उम्मीद
में
अहिल्याबाई
होल्कर
से
मिलने
के
लिए
राजधानी
जाने
की
तैयारी
कर
रहे
हैं।
इस
नाटक
में, झाँसी
की
रानी
को
बहुत
कम
पेंशन
और
ग्वालियर
किले
में
रहने
के
लिए
जगह
के
बदले
में
अंग्रेजों
के
मेजर
एलिस (Major Ellis) को आत्मसमर्पण
करने
के
लिए
मजबूर
किये
जाने
के
दृश्य
को
मार्मिक
ढंग
से
दर्शाया
गया
है।
धारावाहिक का
संगीत
बंगाल
में
अकाल
की
पीड़ा
की
कहानी
को
भी
उजागर
करता
है
लेकिन
कहानी
में
सबसे
बड़ा
मोड़
तब
आता
है
जब
नए
राइफल
कारतूसों
के
निर्माण
के
लिए
गाय
के
चमड़े
के
प्रयोग
होने
की
बात
फैलती
है
जो
हिंदुओं
और
मुसलमानों
दोनों
को
नाराज
कर
देती
है।
विरोध
की
पहली
आवाज
मंगल
पांडे
उठाते
हैं।
इसके
बाद
मेरठ
में, पत्थर
दिल
ब्रिटिश
कमांडरों
द्वारा 85 सैनिकों
को
कारतूसों
का
उपयोग
करने
से
मना
करने
के
जुर्म
में
उनका
कोर्ट-मार्शल (Court-Martial) कर दिया
जाता
है।
इससे
आगे
की
स्थिति
का
अनुभव
आप
पूरे
विडियो
को
देखकर
ही
कर
सकते
हैं।
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