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                                            अगर आपने कभी भी सुबह-सुबह, दस मिनट और सोने के लालच में बजते हुए अलार्म (Alarm) को बंद कर दिया होगा, तो एक घंटे बाद अपनी नींद खुलने पर आपको भी पछतावा जरूर हुआ होगा। ठीक ऐसे ही कुदरत भी एक अलार्म बजाकर पूरी दुनिया को चेतावनी दे रही है, लेकिन पैसे और सत्ता के विस्तार के मद में चूर होकर दुनिया के सभी जिम्मेदार मुल्क इस चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं! इसलिए उस दिन के लिए तैयार हो जाइये, जब हमारे पास संभलने का तो छोड़िये, पछतावा करने का भी समय नहीं बचेगा।  
हाल ही में ‘यूरोपीय संघ’ (European Union) की जलवायु निगरानी इकाई, जिसे ‘कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस’ (Copernicus Climate Change Service (C3S) के रूप में जाना जाता है, ने बताया कि इस साल मई में वैश्विक महासागरीय तापमान, 19वीं शताब्दी के बाद से किसी भी अन्य वर्ष के मई माह की तुलना में सबसे अधिक था। लगभग 10 मीटर की गहराई पर समुद्र का तापमान 1991 से 2020 तक के औसत तापमान से 0.25°c अधिक पाया गया। पिछले 40 वर्षों में समुद्र की सतह का पानी पहले ही 0.6°c अधिक गर्म हो चुका है। 2022, महासागर के इतिहास में अब तक का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया था, और इस दौरान वैश्विक समुद्र स्तर में भी वृद्धि देखी गई थी। C3s की उप निदेशक ‘समेंथा बर्गेस’ (Samantha Burgess) के अनुसार, भूमध्यरेखीय प्रशांत (Equatorial Pacific) क्षेत्र में एल नीनो ‘El Niño’ के उभरने के कारण, आने वाले महीनों में परिवर्तन की यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है। एल नीनो एक प्राकृतिक घटना या पैटर्न (Pattern) है, जो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में घटित होती है। यह समुद्र की सतह के पानी के गर्म होने की अवधि को संदर्भित करती है।
न केवल महासागर, बल्कि भूमि और पानी के ऊपर पृथ्वी की सतह का तापमान भी इस वर्ष, मई महीने में लगभग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। ये निष्कर्ष कंप्यूटर जनित मॉडल (Computer Generated Model) पर आधारित हैं, जो दुनिया भर के उपग्रहों, जहाजों, विमानों और मौसम स्टेशनों (Weather Stations) के प्राप्त आंकड़ों (Data) का उपयोग करके निकाले गए हैं। वैज्ञानिक विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके यह आंकड़े एकत्र करते हैं। ये उपकरण शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद करते हैं कि समय के साथ समुद्र की गर्मी की मात्रा कैसे बदल रही है!
C3s की उप निदेशक ‘समेंथा बर्गेस’ (Samantha Burgess) के अनुसार, भूमध्यरेखीय प्रशांत (Equatorial Pacific) क्षेत्र में एल नीनो ‘El Niño’ के उभरने के कारण, आने वाले महीनों में परिवर्तन की यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है। एल नीनो एक प्राकृतिक घटना या पैटर्न (Pattern) है, जो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में घटित होती है। यह समुद्र की सतह के पानी के गर्म होने की अवधि को संदर्भित करती है।
न केवल महासागर, बल्कि भूमि और पानी के ऊपर पृथ्वी की सतह का तापमान भी इस वर्ष, मई महीने में लगभग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। ये निष्कर्ष कंप्यूटर जनित मॉडल (Computer Generated Model) पर आधारित हैं, जो दुनिया भर के उपग्रहों, जहाजों, विमानों और मौसम स्टेशनों (Weather Stations) के प्राप्त आंकड़ों (Data) का उपयोग करके निकाले गए हैं। वैज्ञानिक विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके यह आंकड़े एकत्र करते हैं। ये उपकरण शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद करते हैं कि समय के साथ समुद्र की गर्मी की मात्रा कैसे बदल रही है! हमारी पृथ्वी की सतह का लगभग 70% हिस्सा सागरों एवं महासागरों से घिरा हुआ है। ये महासागर हमारे ग्रह पर जीवन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विभिन्न मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, को कम करने में मदद करते है। महासागर हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide (Co2) उत्सर्जन का 25 प्रतिशत, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अतिरिक्त गर्मी की 90 प्रतिशत मात्रा को अवशोषित कर लेते हैं। लेकिन ऐसा करने की उन्हें एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।  
दरअसल समुद्र की गर्म होती लहरें प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) और उन पर निर्भर पारिस्थितिक तंत्रों के विनाश का कारण बन रही हैं, जिससे 500 मिलियन से अधिक लोग भी प्रभावित हो रहे हैं।
हमारी पृथ्वी की सतह का लगभग 70% हिस्सा सागरों एवं महासागरों से घिरा हुआ है। ये महासागर हमारे ग्रह पर जीवन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विभिन्न मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, को कम करने में मदद करते है। महासागर हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide (Co2) उत्सर्जन का 25 प्रतिशत, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अतिरिक्त गर्मी की 90 प्रतिशत मात्रा को अवशोषित कर लेते हैं। लेकिन ऐसा करने की उन्हें एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।  
दरअसल समुद्र की गर्म होती लहरें प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) और उन पर निर्भर पारिस्थितिक तंत्रों के विनाश का कारण बन रही हैं, जिससे 500 मिलियन से अधिक लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। 
बढ़ती हुई गर्मी के कारण विशाल बर्फ की चादरों के पिघलने से भी समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है, जिसके कारण आने वाले समय में तटीय क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो जाएंगे। इसके अलावा, लगातार बर्फ पिघलने के कारण अंटार्कटिका (Antarctica) में भी समुद्री बर्फ की मात्रा में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है। इस साल मई में अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ का स्तर मासिक रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सैटेलाइट डेटा (satellite data) से पता चलता है कि यहां पर समुद्री बर्फ औसत सीमा से 17 प्रतिशत कम हो गई है। Co2 अवशोषण में वृद्धि के कारण महासागर में अम्लीकरण (Acidification) भी बढ़ रहा है, जो कटिबंधों से लेकर ध्रुवों तक समुद्री जीवन और खाद्य श्रृंखलाओं को बाधित कर रहा है। महासागर हमारे ग्रह की जलवायु प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल के मापों से पता चलता है कि 1955 से लगभग 90% जलवायु परिवर्तन समुद्र में घटित हुआ है। जब समुद्र गर्मी को अवशोषित करता है, तो पानी फैलता है, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि होती है। वास्तव में, वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि का एक तिहाई से आधा हिस्सा समुद्र की  गर्मी के कारण ही होता है। अधिकांश अतिरिक्त ऊर्जा शून्य से 700 मीटर की गहराई पर सतह पर जमा होती है।
महासागर हमारे ग्रह की जलवायु प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल के मापों से पता चलता है कि 1955 से लगभग 90% जलवायु परिवर्तन समुद्र में घटित हुआ है। जब समुद्र गर्मी को अवशोषित करता है, तो पानी फैलता है, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि होती है। वास्तव में, वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि का एक तिहाई से आधा हिस्सा समुद्र की  गर्मी के कारण ही होता है। अधिकांश अतिरिक्त ऊर्जा शून्य से 700 मीटर की गहराई पर सतह पर जमा होती है।
इसके अलावा, जंगलों और मिट्टी के साथ-साथ महासागरों की भी Co2 को अवशोषित करने की क्षमता समय के साथ कम हो सकती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अधिक बढ़ सकते हैं। इन प्रभावों से जुड़ी एक रिपोर्ट ने कनाडा (Canada) सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तापमान की असामान्य स्तिथि पर भी प्रकाश डाला, जहां विनाशकारी जंगल की आग ने लाखों हेक्टेयर भूमि को तबाह कर दिया है। पूरे कनाडा में 400 से अधिक जंगल आग में झुलस रहा हैं, जिनमें से कई को ‘नियंत्रण से बाहर’ माना जा रहा है।
‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ (World Meteorological Organization (WMO) के अनुसार, इस साल नवंबर के अंत तक एल नीनो के घटित होने की संभावना भी काफी बढ़ गई है। एल नीनो घटनाएं अक्सर सबसे गर्म वर्षों से जुड़ी होती हैं, जो जमीन और समुद्र दोनों में रिकॉर्ड तोड़ तापमान बड़ा सकती हैं। यह घटनाएं समुद्री जीवन और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं । समुद्र बहुत गर्म होने के कारण मूंगे अपना जीवंत रंग खो देते हैं और प्रक्षालित हो जाते हैं। समुद्र के गर्म होने और उसके परिणामों का अध्ययन करके हम अपने आसपास हो रहे परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, और अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए समाधान खोज सकते हैं। समुद्र के गर्म होने की निगरानी और शोध जारी रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका हमारे ग्रह और सभी जीवित प्राणियों के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
यह घटनाएं समुद्री जीवन और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं । समुद्र बहुत गर्म होने के कारण मूंगे अपना जीवंत रंग खो देते हैं और प्रक्षालित हो जाते हैं। समुद्र के गर्म होने और उसके परिणामों का अध्ययन करके हम अपने आसपास हो रहे परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, और अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए समाधान खोज सकते हैं। समुद्र के गर्म होने की निगरानी और शोध जारी रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका हमारे ग्रह और सभी जीवित प्राणियों के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
संदर्भ 
https://shorturl.at/hquxW
https://shorturl.at/yJTX0
 चित्र संदर्भ
1. समुद्र से बाहर निकले ध्रुवीय भालू को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
2. समुद्र के तापमान में आई विसंगतियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. पृथ्वी के कुल तापमान परिवर्तन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. पिघलती बर्फ के बीच में बैठे पक्षियों को दर्शाता चित्रण (news.essic.umd)
5. समुद्र में शोधकर्ताओं को दर्शाता चित्रण (Rawpixel)    
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        