भारत की नई संसद के साथ अब नई राजनीतिक पहल की आवश्यकता है!

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
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भारत की नई संसद के साथ अब नई राजनीतिक पहल की आवश्यकता है!

भारत की नवनिर्मित संसद ने अपने उद्घाटन के साथ ही, देश-विदेश में खूब सुर्खियां बटोर ली हैं। भारतीय मीडिया (Media) के साथ-साथ विदेशी मीडिया में भी इस संसद की वास्तुकला को लेकर विशेष रुचि नजर आ रही है। इस नए संसद भवन का स्वरूप, विभिन्न धर्मों में पाई जाने वाली पवित्र ज्यामिति से प्रभावित नजर आता है। संसद के भीतर प्रवेश करते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा कि, आप अत्याधुनिक सुविधाओं सेयुक्त, अखंड भारत की किसी प्राचीन इमारत में प्रवेश कर रहे हैं।
भारत के नए संसद भवन ने अपनी शानदार वास्तुकला से सभी लोगों का मन मोह लिया है। यह भव्य त्रिकोणीय इमारत, प्राचीन भारतीय वास्तुकला से प्रेरित मूर्तियों और कलाकृतियों से भरी हुई है। इमारत के छह दरवाजे इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक माने जा रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक को मूर्तियों से सजाया गया है। इमारत में गज द्वार पर, दो शानदार पत्थर के हाथी स्थापित किये गए हैं, जो 9वीं शताब्दी में बने कर्नाटक के मधुकेश्वर मंदिर की मूर्तियों की याद दिलाते हैं। दूसरी ओर, अश्व द्वार 13 वीं शताब्दी में बनाए गए ओडिशा के सूर्य मंदिर में मौजूद घोड़े की मूर्तियों से प्रेरित नजर आता है। इमारत के अन्य दरवाजे जैसे शारदुला, हम्सा और मकर द्वार भी ग्वालियर में गुजरी महल, हम्पी में विजय विट्ठल मंदिर और कर्नाटक में होयसलेश्वर मंदिर की मूर्तियों से प्रेरित दिखाई देते हैं। यहां तक कि गरुड़ द्वार की प्रेरणा भी 18 वीं शताब्दी के नायक काल की तमिलनाडु की मूर्तिकला (भगवान विष्णु के वाहन की मूर्तियों) से ली गई है। फूको का पेंडुलम (Foucault's pendulum) नए संसद भवन के अंदर सबसे शानदार आकर्षणों में से एक है। ‘कॉन्स्टिट्यूशन हॉल’ (Constitution Hall) में एक बड़े रोशनदान से लटका हुआ यह पेंडुलम, पृथ्वी के घूर्णन को प्रदर्शित करता है। यह भारत और ब्रह्मांड के बीच संबंध का प्रतीक है। राज्य सभा के आंतरिक भाग को, भारत के राष्ट्रीय पुष्प, कमल के आधार पर डिज़ाइन किया गया है, और लोकसभा का डिज़ाइन, राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरित है। इस इमारत में तीन औपचारिक उप-कक्ष भी शामिल हैं, जो महात्मा गांधी, चाणक्य और सरदार वल्लभभाई पटेल की बड़ी पीतल की छवियों को प्रदर्शित करते हैं। इसके अतिरिक्त, पूरे भवन में ढेरों (कुल मिलाकर लगभग 5,000) कलाकृतियाँ लगाई गई हैं, जिनमें पेंटिंग (Painting), दीवार पैनल, पत्थर की मूर्तियाँ और धातु के भित्ति चित्र शामिल हैं। हालांकि, आलोचकों और विपक्षियों के बीच इस नई संसद के निर्माण को लेकर विवाद भी छिड़ गया है।
संसद के अलावा, ‘सेंट्रल विस्टा’ (Central Vista) पुनर्विकास परियोजना’ के तहत, देश की राजधानी नई दिल्ली की ब्रिटिश काल के दौरान बनी इमारतों, स्मारकों और सरकारी भवनों की वास्तुकला को नया रूप देने की कवायत जारी है। इन कोशिशों के तहत ‘इंडिया गेट’ (India Gate) और ‘राष्ट्रपति भवन’ के बीच के क्षेत्र का नवीनीकरण भी किया जा रहा है, जिसमें भारत का राष्ट्रीय संग्रहालय भी शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य, सरकार की बढ़ती जरूरतों को पूरा करना और अपने औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़कर, एक आधुनिक भारतीय सांस्कृतिक पहचान स्थापित करना है। ‘कर्तव्य पथ’ को, जिसे पहले राजपथ या ‘किंग्स वे’ (King's Way) के रूप में जाना जाता था, इस परियोजना के केंद्र में रखा गया है। सरकार के अनुसार, इस पथ का नाम बदलना, औपनिवेशिक प्रतीकों से दूर जाने का प्रतीक है। इससे भारत के राष्ट्रीय गौरव और स्वायत्तता को बल मिलेगा। कई लोग इस परियोजना को, राष्ट्र की खुद की पहचान को परिभाषित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं।
हालांकि, अपनी उच्च लागत, और कथित तौर पर एक ‘हिंदू राष्ट्रवादी’ विचारधारा को शामिल करने के लिए, नई संसद के निर्माण के साथ-साथ पूरी परियोजना को आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है। परियोजना के आलोचकों का मानना है कि इस पुनर्विकास का मूल उद्देश्य, केवल हिंदू राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाना है। उनका मानना है कि यह भारतीय इतिहास को संशोधित करने, और एक विशिष्ट आख्यान को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। साथ ही इस परियोजना की लागत भी विवाद का विषय रही है। कुछ लोगों का तर्क है कि इस विकास कार्य के बजाय, इस धन को दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने जैसी पर्यावरणीय पहलों में आवंटित किया जाना चाहिए था। कुल मिलाकर नया संसद भवन वास्तव में एक भव्य और प्रभावशाली संरचना है, लेकिन इसका उद्देश्य केवल तभी सार्थक होगा जब इसका उपयोग विचारशील, उपयोगी बहस करने, और आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाले लाभदायक कानूनों को पारित करने के लिए हो। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, पुरानी संसद की भांति यहां भी सभी दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है। केवल शोरगुल, अपमानजनक शब्दों और हिंसा का सहारा लेने के बजाय, सांसदों को विचारशील बहस करने के विचार के साथ इस नवीनीकृत संसद भवन में प्रवेश करना चाहिए।

संदर्भ
https://shorturl.at/ltwyQ
https://shorturl.at/etAZ2
https://shorturl.at/fwyD3

 चित्र संदर्भ
1. भारत की नई संसद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत की नई संसद में अखंड भारत के मानचित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. इंडिया गेट को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
5. कर्तव्यपथ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. भारत के वे 70 लोग जिन्होंने भारत का संविधान लिखा, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)