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एक समय था जब हमारे मेरठ शहर की आबोहवा में क्रांति की महक उठा करती थी। 1857 की क्रांति के बाद, हमारा निडर मेरठ शहर आजादी के लिए पहल करने में अग्रणी रहा था। लेकिन आज हमारे मेरठ शहर की आबोहवा में हानिकारक प्रदूषित कणों की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ रही है, इसलिए शहर को एक बार फिर से एक ठोस क्रांतिकारी निर्णय लेने की आवश्यकता है।
आज उत्तर भारत, खासकर दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हालाँकि, दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों के कई अन्य शहर भी गंभीर स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। मार्च 2022 में स्विस संगठन ‘आई क्यू एयर’ (Swiss organisation IQAir) द्वारा जारी ‘विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट’ (World Air Quality Report) के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 35 भारतीय शहर शामिल हैं। उनमें से शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर अकेले भारत में हैं, जो सभी उत्तर भारत मेंस्थित हैं--उत्तर प्रदेश में सात, हरियाणा में पांच, राजस्थान में एक, और नई दिल्ली में एक।
इस क्षेत्र में भयानक स्तर के वायु प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें सर्दी की धुंध, दिवाली की आतिशबाजी, और पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश जैसे कृषि आधारित राज्यों में पराली जलाने जैसे प्राकृतिक एवं मानव-जनित कारण शामिल हैं। इनके अलावा वाहनों के उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण धूल, और ईंट भट्टों से निकलने वाला प्रदूषण आग में घी डालने का काम करता है। ऊपर से ‘प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों’ (Pollution Control Boards) और स्थानीय परिवहन कार्यालयों के बीच समन्वय की कमी ने पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है।
उत्तर भारत में प्रदूषण स्तर के उच्च होने का प्राथमिक कारण ‘शीतकालीन उत्क्रमण” (Winter Inversion) नामक एक मौसम संबंधी घटना भी है। यह घटना तब घटित होती है जब ठंडी हवा, गर्म हवा की एक परत के नीचे दब जाती है, जिससे वायुमंडलीय कंबल जैसा प्रभाव पैदा होता है। ये प्रदूषकों को पृथ्वी की सतह के करीब रखता है और वायुमंडल में फैलने से रोकता है।
सर्दियों के दौरान बारिश न होने से भी हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। वर्षा के बिना, हवा का पैटर्न स्थिर और धीमा हो गया है, जिससे प्रदूषक पृथ्वी की सतह के करीब बने रहते हैं। सर्दियों के दौरान इस क्षेत्र में तापमान 4°c से 10°c के बीच रहता है, जिससे उत्तर-पश्चिमी हवाएँ भारी हो जाती हैं और प्रदूषक एक ही जगह पर स्थिर हो जाते हैं।
इसके अलावा, प्रशांत महासागर में ला नीना (La Nina) जैसी मौसम संबंधी घटनाओं ने भी वर्षा के संचलन को धीमा करके मौसम पैटर्न में बड़ा योगदान दिया है। इन कारकों के संयोजन के परिणामस्वरूप वर्षा और बर्फबारी की कमी होने से प्रदूषण स्तर काफी बढ़ चुका है।
इस मुद्दे से निपटने के लिए, भारत सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने, थर्मल ऊर्जा सुविधाओं (Thermal Power Facilities) को बंद करने, और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हालांकि, हमारे उत्तर प्रदेश के ‘प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ में कर्मचारियों की भारी कमी है, जिसके कारण प्रदूषण के स्तर की निगरानी और रिपोर्टिंग करना काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इसके अलावा जागरुकता कार्यक्रमों के बावजूद भी पराली जलाने की समस्या स्थिर बनी हुई है, जिसके कारण उत्तर प्रदेश सरकार कानूनी दंड लागू करने पर विचार कर रही है।
तेजी से बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी बिगड़ती वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण बन रहे हैं। जैसे-जैसे भारत का विनिर्माण क्षेत्र बढ़ रहा है, वैसे-वैसे देश में ऊर्जा की मांग, वाहन उत्सर्जन, और प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसलिए आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाना जरूरी हो गया है।
वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों को संबोधित करने के लिए जन जागरुकता, वैज्ञानिक अध्ययन और बेहतर पर्यावरणीय नीतियों को लागू करने के लिए सरकारों पर दबाव की आवश्यकता है।
इसके अलावा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
१.किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना।
२.सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle (EV) के उपयोग को बढ़ावा देना।
३.अक्षय ऊर्जा स्रोतों में निवेश करना
४.पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन करना
इस प्रदूषण की चपेट में हमारा मेरठ शहर भी आ रहा है। इसलिए यहाँ पर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। पिछले वर्ष जून 2022 तक, मेरठ के नगर निगम को विशेष रूप से वायु गुणवत्ता सुधार के लिए 15वें वित्त आयोग से 81 करोड़ रुपये की पर्याप्त राशि प्राप्त हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें से केवल 27.59 करोड़ रुपये अर्थात 34 प्रतिशत धनराशि खर्च की गई, जबकि 53.40 करोड़ रुपये अप्रयुक्त रह गए। निगम की धीमी रफ़्तार और लापरवाही, शहर में प्रदूषण की समस्या को और अधिक बढ़ा रही है।
निगम की लापरवाही के कारण टीपी नगर (TP Nagar), बागपत रोड, मेवला फ्लाईओवर (Mevla Flyover), मलियाना फ्लाईओवर (Maliana Flyover), गढ़ रोड समेत शहर के विभिन्न इलाकों में धूल उड़ती रहती है। पूरा शहर ‘धूल का बुलबुला’ नजर आता है। इस विषम स्थिति से शहरवासी काफी परेशान हैं। हालांकि समस्या को कम करने के लिए वाटर स्प्रिंकलर (Water Sprinkler), एंटी-स्मॉग गन मशीन (Anti-Smog Gun Machine), और रोड स्वीपिंग मशीन (Road Sweeping Machine) आदि उपकरण खरीदे गए थे, किंतु उचित रख-रखाव और संचालन के अभाव में ये सभी वाहन भी अप्रयुक्त और बेकार पड़े हैं।
इसके अलावा, कई प्रस्तावित कार्य--जैसे निर्माण और विध्वंस कार्य से उत्पन्न हुए अपशिष्ट के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए एक संयंत्र की स्थापना, सड़क की मरम्मत और इंटरलॉकिंग टाइलों (Interlocking Tiles) की स्थापना, पार्कों का सौंदर्यीकरण, और वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए ग्रीनबेल्ट (Greenbelt) और बुनियादी ढांचे का विकास--अधूरे रह गए हैं। आवंटित धन के प्रभावी उपयोग की कमी और अधूरी प्रस्तावित पहलों का खामियाजा आम मेरठवासियों को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए वायु प्रदूषण को कम करने, और शहर के निवासियों के स्वास्थ्य तथा भलाई की रक्षा के लिए तत्काल निवेश और कार्यवाही की आवश्यकता है।
आज के दिन, 5 जून को प्रतिवर्ष पर्यावरण की सुरक्षा हेतु जागरुकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ (World Environment Day) मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस को एक अनुस्मारक के रूप में मनाया जा रहा है, क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण पर लोगों की कार्रवाई मायने रखती है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारें और व्यवसाय जो कदम उठा रहे हैं, वे इसी कार्रवाई का परिणाम हैं। यह समय है इस कार्रवाई में तेजी लाने, अधिनियम, प्रतिबद्ध और नए मानदंड और मानक निर्धारित करने, और एक परिपत्र अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का। आइए, आज विश्व पर्यावरण दिवस के इस मौके पर हम भी अपने मेरठ शहर की आबोहवा को स्वच्छ बनाने का प्रण लें।
संदर्भ
https://rb.gy/jjggc
https://rb.gy/e9qto
https://rb.gy/8o2k7
चित्र संदर्भ
1. मेरठ की ख़राब वायु गुणवत्ता को दर्शाता एक चित्रण (flickr, aqi)
2. वायु प्रदूषण से मृत्यु दर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत में वायु प्रदूषण के श्रोत को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मेरठ में प्रमुख वायु प्रदूषको की लाइव रैंक को संदर्भित करता एक चित्रण (AQI)
5. एक उद्योग कारखाने से निकलते प्रदूषित धुंए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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