प्रकृति और संस्कृति को आपस में जोड़े रखता है, भागलपुरी तसर रेशम

स्पर्श - बनावट/वस्त्र
04-06-2023 08:00 AM
Post Viewership from Post Date to 03- Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2951 671 0 3622
* Please see metrics definition on bottom of this page.
बॉलीवुड के कई फ़िल्मी गानों ने रेशम के कपड़े को भारत में अपार लोकप्रियता दिलाई! पूर्वी भारत का एक शहर भागलपुर, अपने रेशम उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ उत्पादित रेशम को  'तसर रेशम' कहा जाता है, और इसकी बनावट अनूठी होती है। अन्य चिकने और चमकदार रेशमों के विपरीत, तसर रेशम में छोटी गांठों और अनियमितताओं के साथ एक खुरदरापन होता है। हालांकि, यही खामियां इस कपड़े की असली सुंदरता मानी जाती हैं। तसर रेशम, भागलपुर के जंगलों में रहने वाले रेशम के कीड़ों के कोकून (cocoon) से बनाया जाता है। ये रेशम के कीट ‘आसन’ और ‘अर्जुन’ के पौधों की पत्तियों को खाते हैं। यही कारण है कि तसर रेशम को जंगली रेशम भी कहा जाता है। तसर रेशम का रंग तांबे जैसा होता है। भागलपुर में कई सदियों से तसर रेशम की बुनाई का काम किया जारहा है। हालांकि इस शिल्प की उत्पत्ति के बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में इसे तब मान्यता मिली जब यूरोपीय व्यापारियों ने भारत का दौरा किया, और बुनकरों के कौशल पर ध्यान दिया। उस समय, तसर के कपड़े मुख्य रूप से सूती और रेशम के मिश्रण से बनाए जाते थे! तब इसके डिजाइन और रंग सरल होते थे। 1950 के दशक में, कमला देवी चट्टोपाध्याय नाम की एक समाज सुधारक ने भागलपुर के आदिवासी क्षेत्र का दौरा किया। वह भारतीय हस्तकला के प्रति काफी समर्पित थी, और उन्होंने तसर रेशम उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम शुरु किया। इस प्रयास ने इस हस्तकला में नई जान फूंकी, और आज 1500 से अधिक बुनकर सुंदर भागलपुरी तसर रेशम के काम में लगे हुए हैं। ऊपर दिए गए वीडियो के माध्यम से आप यह समझ सकते है कि किस प्रकार भागलपुरी तसर रेशम, प्रकृति और संस्कृति को गूढ़ रूप से जोड़ता है।