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परागणकर्ताओं के आवास के नुकसान से हुआ मेरठ में आम का उत्पादन प्रभावित

मेरठ

 01-06-2023 09:46 AM
निवास स्थान

हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में लगभग 2.64 लाख हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती की जाती है। हमारे मेरठ जिला में भी आम का अत्यधिक उत्पादन किया जाता है। अच्छी पैदावार के लिए किसान हर वर्ष भरपूर बारिश का बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण फसल के समय फूलों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ है। बढ़ते तापमान ने हमारे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को तो गंभीर रूप से प्रभावित किया ही है, इसके अलावा जलवायु परिवर्तन परागण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले जीवों, जैसे मधुमक्खी, तितली इत्यादि के आवास, पोषक तत्व और आहार को प्रभावित कर रहा है, जिससे परागण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है। तो आइए, इस बारे में सचित्र जानकारी प्राप्त करते हैं।' उत्तर प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर भूमि आम के उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है, जिस पर हर साल औसतन 45 लाख मेट्रिक टन (metric tonne) आम उत्पादित होते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण परागण की प्राकृतिक प्रक्रिया प्रभावित होने से आम का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। परागण की प्रक्रिया के द्वारा मधुमक्खी, तितली आदि जैसे जीव, फूलों के पराग कणों को एक पौधे से दूसरे पौधों तक पहुंचाते हैं, और निषेचन में सहायता करते हैं। आम की फसलों में परागण की प्रक्रिया प्रायः फरवरी और मार्च के महीने में होती है, लेकिन तापमान में वृद्धि से परागण में सहायक इन जीवों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन ने परागण सहित कई पारिस्थितिक प्रक्रियाओं में एक प्रमुख व्यवधान उत्पन्न किया है। फूल वाले पौधों और परागण प्रक्रिया में भाग लेने वाले जीवों के बीच तालमेल इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण दोनों के बीच यह तालमेल बाधित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण परागणकर्ताओं के आवासों का नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन इन जीवों के जीवन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों और आहार की कमी का कारण बन रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण सभी पौधों और फूलों का विकास भी प्रभावित हो रहा है। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के कारण फूल हर साल समय से पहले ही खिलने लगे हैं। ऐसा देखा गया है कि 45 साल पहले की तुलना में फूल अब एक महीने पहले ही खिल जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है, कि परागण में भाग लेने वाले जीवों को बिना भोजन के ही रहना पड़ता है, जिससे परागण की प्रक्रिया बाधित होती है। भोजन के अभाव ने एक नए विकार को जन्म दिया है, जिसे ‘कॉलोनी कोलैप्स डिसऑर्डर’ (Colony Collapse Disorder) के नाम से जाना जाता है। इसमें वयस्क मधुमक्खियां अपरिपक्व मधुमक्खियों को छत्ते में ही छोड़कर वहां से चली जाती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के कृषि विभाग के अनुसार, ‘कॉलोनी कोलैप्स डिसऑर्डर’ 2006 से अस्तित्व में है। अध्ययनों में पाया गया है कि खराब पोषण विकार के प्रमुख कारणों में से एक है। ‘कॉलोनी कोलैप्स डिसऑर्डर’ उत्पन्न करने वाले अन्य कारकों में मधुमक्खियों को मारने वाले रोग, मधुमक्खियों के झुंड पर रसायनों का उपयोग, पर्यावरण में मौजूद रासायनिक विषाक्त पदार्थ, वेरोआ माइट्स (Varroa mites) जैसे वयस्क शहद मधुमक्खियों के परजीवी, और संबंधित रोगजनक शामिल हैं। तापमान में वृद्धि भी परागणकों को प्रभावित कर रही है। उदाहरण के लिए, उत्तरी अमेरिका (North America) में चिड़ियों की चार प्रजातियाँ, जिनमें ऐलंस हमिंगबर्ड (Allen’s Hummingbird), ब्लैक-चिन्ड हमिंगबर्ड (Black-chinned Hummingbird), कैलिपी हमिंगबर्ड (Calliope Hummingbird) और रूफस हमिंगबर्ड (Rufous Hummingbird) शामिल हैं, आज जोखिम में हैं। बढ़ता तापमान इन चार प्रजातियों को अपने मूल क्षेत्रों को छोड़ने और ठंडे वातावरण में जाने के लिए मजबूर कर रहा है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, इन प्रजातियों के लिए तीव्र गर्मी खतरनाक है क्योंकि इसकी वजह से प्रजातियां आराम को प्राथमिकता देती हैं, भोजन को नहीं। इस प्रकार परागण में शामिल होने वाले जीवों को भुखमरी का शिकार होना पड़ रहा है। भारत में, अंजीर की कुछ प्रजातियों का परागण ततैया द्वारा किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, परागण करने वाले ततैया गंभीर सूखे के दौरान स्थानीय क्षेत्रों से विलुप्त हो जाते हैं, और परिणामस्वरूप परागण की प्रक्रिया नहीं हो पाती है। 2018 में ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक ‘बायोडायवर्सिटी एंड क्लाइमेट चेंज: एन इंडियन पर्सपेक्टिव’ (Biodiversity and Climate Change: An Indian Perspective) के अनुसार, हमारी धरती के गर्म होने के कारण आने वाले वर्षों में लगातार सूखे की स्थिति बनी रह सकती है, जो परागण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

संदर्भ:
https://t.ly/3RF8
https://t.ly/8xRI

 चित्र संदर्भ
1. आम के फूल में परागणकर्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
2. फूल के निकट आते परागणकर्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
3. फूल पर बैठी मधुमक्खी को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. मृत परागणकर्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. परागणकर्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (PIXNIO)

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