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भारतीय संस्कृति में डॉक्टर को ईश्वर का ही प्रतिरूप माना जाता है! लेकिन अस्पताल में काम का दबाव अधिक होने के कारण सफ़ेद कोट पहने ये भगवान चाहकर भी मरीज को अपना पूरा समय नहीं दे पाते हैं! ऐसी कठिन स्थिति में देवदूत बनकर सामने आती हैं उपचारिकाएं अर्थात नर्सें,जो न केवल मरीज की दवाई और सेहत का ध्यान रखती हैं, साथ ही मानसिक तौर पर भी उनकी हिम्मत बढ़ाती हैं। लेकिन विडंबना देखिये कि भारत में दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले तो अस्पताल (Hospitals) ही नहीं हैं, और यदि हैं भी, तो उनमें मरीजों की देखभाल के लिए नर्सिंग स्टाफ (Nursing Staff) की भारी कमी है।
आज भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, दो प्रमुख समस्याओं (अपर्याप्त चिकित्सक और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे) का सामना कर रही है। हाल ही में जारी नवीनतम ‘ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी’ (Rural Health Statistics) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में विशिष्ट विशेषज्ञताओं वाले चिकित्सकों (सर्जन (Surgeon) 83.2%, प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ 74.2%, चिकित्सक 79.1% और बाल रोग विशेषज्ञ 81.6%) की भारी कमी है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (Primary Health Centers (PHCs) में स्थिति और भी खराब है। रोगियों के लिए पहला संपर्क बिंदु माने जाने वाले और सप्ताह के सातों दिन काम करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में विशेषज्ञों की संख्या आधे से भी कम है। इसके अलावा 5,480 कार्यात्मक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (Community Health Centers (CHC) में से केवल 541 में ही सभी पूरे चार विशेषज्ञ हैं। विशेषज्ञों की इस कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 20,000 से 30,000 लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, मानव संसाधनों की कमी के कारण इन संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं भी चरमरा गई हैं। वर्तमान में औसतन 36,049 लोगों पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है , और 164,027 लोगों पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, जो निर्धारित मरीज़ संख्या से बहुत अधिक है।
समय के साथ सहायक नर्स दाइयों (Auxiliary Nurse Midwives) और चिकित्सकों की संख्या में भी कमी देखी गई है। हालांकि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों यानी पीएचसी (PHC) में 2005 की तुलना में 2022 में एलोपैथिक चिकित्सकों (Allopathic Doctors) की संख्या में 50.9% की वृद्धि हुई है, लेकिन अभी भी 3.1% की कमी बनी हुई है। वहीं इसी समय काल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या सीएचसी (CHC) में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि तो हुई है, लेकिन कुल मिलाकर 79.5% विशेषज्ञों की कमी अभी भी बनी हुई है।
इसके अलावा प्रयोगशाला तकनीशियनों (Laboratory Technicians), नर्सिंग स्टाफ (Nursing Staff) और रेडियोग्राफरों (Radiographers) की संख्या में भी बहुत मामूली वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य कर्मियों की अभी भी भारी कमी है।
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization (WHO) के अनुसार प्रति 10,000 लोगों पर लगभग 7 डॉक्टर और 17 नर्सें होनी चाहिए, लेकिन भारत में यह संख्या बहुत कम हैं। कुछ जगहों पर स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने के लिए डॉक्टर ही नहीं हैं, और कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं। इस संबंध में ओडिशा वास्तव में कठिन स्थिति का सामना कर रहा है। इस राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े कई समूह हैं। इन समूहों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है, और स्वास्थ्य सेवा तक उनकी अच्छी पहुँच भी नहीं है। ओडिशा में पहाड़ी इलाकों और खराब सड़कों के कारण वहां के लोगों तक चिकित्सा सहायता पहुचाना काफी मुश्किल हो जाता है।
ओडिशा में सरकार के पास स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न स्तर (जिलों में बड़े अस्पताल, और ब्लॉकों में छोटे स्वास्थ्य केंद्र) हैं। लेकिन इतनी सुविधाएं होने के बावजूद भी वहां पर्याप्त डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। सरकार ने बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती करने की कोशिश भी की, लेकिन उनमें से अधिकांश कर्मी, शहरों में काम करना पसंद करते हैं क्योंकि यहां उन्हें अधिक वेतन मिलता है, साथ ही रहने की भी बेहतर स्थिति होती है। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने की स्थिति अक्सर खराब ही होती है। यहां तक कि स्टाफ क्वार्टर (Staff Quarters), साफ पानी, बिजली और सड़क जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। ये प्रतिकूल परिस्थितियाँ आवेदकों को ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी करने से हतोत्साहित करती हैं। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस समस्या के समाधान के सुझाव देते हुए कहा है कि, सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, विनियमों, वित्तीय प्रोत्साहनों और स्वास्थ्य कर्मियों की सहूलियत पर ध्यान देना चाहिए। नर्सिंग संस्थानों की संख्या और नर्स-प्रशिक्षण क्षमता भले ही बढ़ गई हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस कमी को दूर नहीं किया जा सका है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में नर्सिंग संस्थानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लेकिन इनमें से कई निजी संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के बजाय अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। भारत में नर्सों की कमी, आपूर्ति की कमी के कारण नहीं बल्कि नर्सों की बढ़ती मांग के कारण हो रही है। देश की जनसंख्या (विशेष रूप से बुजुर्ग व्यक्तियों और बच्चों की संख्या) लगातार बढ़ रही है, जिस कारण संचारी और गैर-संचारी दोनों प्रकार के रोगों का बोझ भी बढ़ रहा है। इसी कारण नर्सों की मांग भी बढ़ रही है।
इन कमियों को दूर करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसके तहत स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या बढ़ाना, बुनियादी ढांचे में सुधार करना और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने जैसे प्रयास किये जा सकते हैं। सरकार को डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। इन मुद्दों को हल करके, भारत अपनी ग्रामीण आबादी को गुणवत्तापूर्ण और स्वस्थ जीवन प्रदान कर सकता है। आज 12 मई के दिन को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) के तौर पर मनाया जाता है, आज का दिन विशेष तौर पर समाज में नर्सों (उपचारिकाओं) की अहमियत और उनके द्वारा किये गए सामाजिक योगदान को चिह्नित करता है। आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक, फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की जयंती 12 मई को पड़ती है। जनवरी 1974 में इसी दिन को हर वर्ष, ‘अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाने के लिए चुना गया था। यह दिन नर्सिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत के रूप में काम करता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3NTSLJp
https://bit.ly/42mgIgW
https://bit.ly/3pfxijW
चित्र संदर्भ
1. ग्रामीण क्षेत्र के हॉस्पिटल को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. एक महिला को स्वास्थ सलाह देती नर्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक छात्रा के दांतों की जांच करती, दंत चिकित्सक को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. जलाराम आरोग्य धाम, वसंतपुरा में एक अस्पताल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. मरीज का इलाज करती एक भारतीय नर्स को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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