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चुनाव निकट आते ही उत्तर प्रदेश में अवैध हथियारों का व्यापार और तस्करों की धरपकड़ भी तेज़ हो जाती है! हमारे मेरठ शहर से शुरू हुए 1857 के सिपाही विद्रोह के बाद, अंग्रेजों द्वारा आर्म्स एक्ट (Arms Act) लागू किया गया था, जिसके तहत किसी भी भारतीय को आग्नेयास्त्र (Firearms) रखने पर रोक लगा दी गई थी! स्वतंत्रता के बाद, इस कानून को समाप्त कर दिया गया और इसके स्थान पर हथियारों और गोला-बारूद से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने के लिए ‘भारतीय शस्त्र अधिनियम’, 1959 पारित किया गया, ताकि अवैध हथियारों और उनसे उपजी हिंसा को रोका जा सके। लेकिन इसके बावजूद भी उत्तरप्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में अवैध हथियारों का निर्माण और व्यापार धड़ल्ले से होता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पंजाब में पुलिस अधिकारियों की तुलना में आम लोगों के पास अधिक बंदूकें होती हैं! पंजाब में बंदूक केवल सुरक्षा के लिए नहीं रखी जाती बल्कि यहां पर बंदूक होना आपकी अच्छी हैसियत का भी प्रतीक माना जाता है। कई लोगों के पास एक से अधिक बंदूकें होती हैं। मुक्तसर, संगरूर, होशियारपुर, फिरोजपुर, तरनतारन और अमृतसर जैसे जिलों में लोगों के पास सबसे ज्यादा बंदूक लाइसेंस (Gun License) हैं। पंजाब, देश में सक्रिय बंदूक लाइसेंस वाले राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर है। पंजाब में चार लाख से अधिक, सक्रिय बंदूक लाइसेंस धारक हैं, जहां एक लाइसेंस पर तीन आग्नेयास्त्र रखने की अनुमति है। बंदूकों के प्रति इस लगाव ने, पंजाब में अवैध हथियारों की भारी मांग को भी जन्म दिया है। ये अवैध हथियार न केवल आसानी से मिल जाते हैं, बल्कि काफी सस्ते भी होते हैं। आप केवल 2,500 रुपयों में एक होममेड पिस्तौल (Homemade Pistol) खरीद सकते हैं, वहीं कुछ आधुनिक बंदूकों की कीमत 1.5 लाख रुपये तक जाती है। पंजाब में ज्यादातर अवैध हथियारों की तस्करी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से की जाती है। पिछले एक साल के अंदर ही यहां की पुलिस ने कई अवैध हथियार आपूर्तिकर्ताओं को पकड़ा है। इसके अलावा ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल कर पडोसी मुल्क पाकिस्तान से भी बंदूकों की तस्करी की जाती है ।
पिछले एक साल में पंजाब में पुलिस द्वारा जब्त की गई अवैध बंदूकों की संख्या में 340% की वृद्धि हुई है। 2021 में अकेले सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा ही 3,322 अवैध हथियार बरामद किए गए थे, जो कि 2020 में बरामद किए गए 750 हथियारों की तुलना में बहुत अधिक हैं। पंजाब में कानूनी बंदूक विक्रेता (Legal Gun Dealer) भी अपराधियों को उनके लाइसेंस की जांच किए बिना, गोला-बारूद और हथियार बेचते हुए पकड़े गए हैं। इसके अलावा हमारे अपने उत्तर प्रदेश में भी 2020 में यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ते (UP Anti-Terrorism Squad (ATS) द्वारा एक हथियार आपूर्तिकर्ता को हरिद्वार से गिरफ्तार किया था, जो हमारे मेरठ का रहने वाला था और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (Khalistan Liberation Force) को अवैध हथियारों की सप्लाई कर रहा था। इसी तरह अलीगढ़ के एक अन्य हथियार आपूर्तिकर्ता को संगरूर पुलिस ने पिछले साल गिरफ्तार किया था जो मध्य प्रदेश से हथियार मंगवाता था। मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र, उत्तर प्रदेश के शामली और सहारनपुर के अलावा बिहार के मुंगेर के जंगलों में इन अवैध हथियारों का निर्माण बहुतायत में किया जाता है।
अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ने के साथ ही अपराधियों और तस्करों की धरपकड़ हमारे उत्तर प्रदेश में तेज़ हो गई है। निकाय चुनाव नजदीक आते ही राज्य पुलिस ने अवैध हथियार आपूर्तिकर्ताओं (Illegal Arms Suppliers) के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों द्वारा मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में, संदिग्ध अवैध हथियार निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं पर छापे मारे गए हैं। इन छापों में अवैध हथियार बनाने वाली कई इकाइयों का भंडाफोड़ हुआ है और पिस्तौल तथा दोनली बंदूकों जैसे देश में बने हथियारों को भारी मात्रा में जब्त किया गया है। इसी धरपकड़ में हमारे मेरठ में भी पुलिस ने दो लोगों को दर्जनों अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है।
अच्छी गुणवत्ता वाले अवैध हथियारों की मांग में वृद्धि, कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) के लिए हमेशा से ही चिंता का विषय रही है। लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए, राज्य पुलिस, अवैध हथियारों के व्यापार पर अंकुश लगाने के प्रयासों को बढ़ा रही है।
उत्तर प्रदेश में जबरन वसूली, डकैती और हत्या जैसी आपराधिक गतिविधियों की दर पहले से ही अपेक्षाकृत अधिक है। ऐसे में अवैध हथियारों की उपलब्धता से सांप्रदायिक हिंसा तथा राजनीतिक हत्याओं में और अधिक वृद्धि हो सकती है। हालांकि, आगामी नगर निकाय चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध हथियारों की बिक्री को रोकने के लिए पुलिस कड़ी मेहनत कर रही है। किंतु अवैध हथियारों का व्यापार एक जटिल मुद्दा है, इसलिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रत्येक संभव प्रयास द्वारा इस समस्या से निपटने की आवश्यकता है। अवैध हथियारों के निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं पर नकेल कसने के साथ-साथ राज्य की पुलिस को अवैध हथियारों की मांग के मूल कारणों को समझने और उन्हें दूर करने की जरूरत है। इस संदर्भ में सरकार कमजोर समुदायों की आर्थिक स्थितियों में सुधार करने और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण हासिल करने से रोकने जैसे कदम उठा सकती है। इसके अलावा, अवैध हथियारों के व्यापार को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए देश भर में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच अधिक सहयोग तथा सामंजस्य बिठाने की भी आवश्यकता है। जिसके तहत हथियार तस्करों को ट्रैक (Track) करने और गिरफ्तार करने के लिए खुफिया जानकारी साझा करना, संचालन समन्वय करना तथा अंतर-राज्य सहयोग में सुधार करने जैसे निर्णायक कदम उठाए जा सकते हैं।
संदर्भ
https://rb.gy/qb40w
https://rb.gy/ny9im
चित्र संदर्भ
1. पुलिस की कैद में अपराधी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पंजाब पुलिस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. जप्त हथियारों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. उदयपुर में एक बंदूक कार्यशाला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. जेल में बंद कैदी को दर्शाता एक चित्रण (Shiksha News)
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