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दुनिया भर में कई विशेषज्ञ एक वायरस को लेकर विशेष रुप से चिंतित हैं जिसके कारण एक नई वैश्विक बीमारी का प्रकोप किसी भी दिन शुरू हो सकता है, और संभवतः यह महामारी कोविड-19 महामारी से भी बदतर हो सकती है। उन्हें चिंतित करने वाला यह वायरस एच5एन1 (H5N1) है, जो एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian influenza) या बर्ड फ्लू (Birdflu) का एक रूप है। कुछ शोधकर्ताओं की चेतावनी है कि केवल कुछ उत्परिवर्तन, या शायद जीन (Genes) में अचानक बदलाव के साथ, यह घातक फ्लू वायरस मानव से मानव में फैलने की क्षमता हासिल कर सकता है। वास्तव में, यदि देखा जाए तो अगली महामारी शुरू भी हो चुकी है। क्योंकि एच5एन1 वायरस के रूप में एक महामारी का जानवरों के बीच व्यापक प्रकोप चल रहा है, जिसके प्रति यदि सतर्कता नहीं बरती गई तो इसके एक पैनज़ूटिक(Panzootic)रोग, या मानवीय महामारी में बदलने की भी संभावना हो सकती है।
एच5एन1एक विशिष्ट प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जो मुख्य रूप से जंगली पक्षियों में पाया जाता है। यह वायरस पहली बार 1996 में चीन में एक हंस फार्म में पाया गया था। हाल ही में इसने दुनिया भर में पक्षियों और स्तनधारियों की विविध प्रजातियों को संक्रमित करना शुरू कर दिया है। इस वायरस का संक्रमण पक्षियों के लिए अत्यधिक खतरनाक है, जिसके कारण बड़ी संख्या में पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। हालांकि अभी मनुष्यों पर इस वायरस का प्रभाव अत्यंत दुर्लभ है।
2021 में शुरू हुआ H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप अमेरिका (America) और दुनिया भर के इतिहास में सबसे बड़ा बर्ड फ्लू का प्रकोप बन गया है। अमेरिका में इस वायरस ने व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पाली जाने वाली लाखों मुर्गियों, पेरू (Turkey), बत्तखों और हंसों (Geese) को नष्ट कर दिया है और हजारों जंगली पक्षियों को मार डाला है। कई विषाणुविज्ञानी इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि यह वायरस मनुष्यों में भी फैल सकता है और एक नई मानव महामारी का कारण बन सकता है।
अभी हाल ही में हमारे मेरठ जिले में भी बर्ड फ्लू को लेकर चेतावनी घोषित कर दी गई है। अब तक पक्षियों से संबंधित कुल 130 नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। गौरतलब है कि मेरठ में 150 के आस पास पोल्ट्री फार्म है और अंडा उत्पादन के मामले में भी मेरठ आसपास के क्षेत्रों में अग्रणी हैं। जिले में अंडा उत्पादन की सबसे बड़ी यूनिट जानी खंड में है, जहां प्रतिदिन हजारों अंडों का उत्पादन होता है। हालांकि राहत की बात यह है कि मेरठ में अभी तक बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है,लेकिन बचाव की दृष्टि से जिले में चेतावनी जारी कर दी गई है। प्रशासन द्वारा प्रवासी पक्षियों पर नजर रखने और नमूने लेकर उनकी जांच कराने के लिए कई संघों का गठन किया गया है। ये संघ अपने क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों के ठिकानों पर भ्रमण करके नजर रखेंगे। पशु चिकित्सा अधिकारियों को पोल्ट्री फार्मों (Poultry farm) के नियमित निरीक्षण करने और ज़रुरत पड़ने पर पक्षियों के नमूने लेकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कहीं भी मरा हुआ पक्षी पाया जाता है, तो पशुपालन विभाग की टीम उसकी गहनता से जांच करेगी। बर्ड फ्लू से निपटने के लिए जिले में टास्क फोर्स (Task force) को भी अलर्ट पर रखा गया है।
इस समय हमारे जिले में प्रशासन द्वारा बर्ड फ़्लू पर इतना अधिक ध्यान दिए जाने का पहला कारण यह है कि वर्तमान में H5N1 अब तक की रिकॉर्ड की गई सबसे बड़ी “पक्षी महामारी” का कारण बन रहा है। यदि कुक्कुट पालन में कुछ पक्षी H5N1 पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो लक्षणों या संक्रमण की स्थिति की परवाह किए बिना पूरे कुक्कुट के झुंड को ही मार दिया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप अंडे और पोल्ट्री मांस की कीमतें आसमान छूने लगती हैं, जैसा कि हाल ही में अमेरिका में हुआ।
दूसरा कारण यह है कि H5N1 अब पहले से कहीं अधिक पक्षी और स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित कर रहा है। कई जंगली पक्षियों और विविध स्तनधारियों में वायरस का पता लगाया गया है। जैसा कि अब H5N1 अधिक प्रजातियों को संक्रमित कर रहा है, इससे इसकी भौगोलिक सीमा भी बढ़ रही है और नए जैविक गुणों के साथ अधिक वायरल वैरिएंट (Viral Variant) उत्पन्न होने का खतरा बढ़ रहा है।
तीसरा और सबसे चिंताजनक कारण यह है कि H5N1 अब स्तनधारी प्रजातियों के जानवरों में भी संचारित हो रहा है। समुद्री शेर (Sea lions) में इसका संक्रमण इसके कुछ उदाहरण हैं। यहाँ मुख्य प्रश्न यह है कि यदि H5N1 स्तनधारी प्रजातियों में फैल रहा है, तो यह मनुष्यों में क्यों नहीं फैल सकता? क्योंकि हम भी स्तनधारी हैं।
हालांकि इस वायरस से आज तक केवल कुछ ही मानव संक्रमणों का पता चला है। वैश्विक स्तर पर ऐसी 900 से भी कम घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन उनमें से लगभग आधे संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। इन मामलों में भी अधिकांश लोग जो H5N1 से संक्रमित हुए थे, वे संक्रमित पोल्ट्री, विशेष रूप से मुर्गियों, टर्की, बत्तखों और हंसों के साथ सीधे संपर्क में थे। वैसे तो H5N1 लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है। चूंकि, संक्रमित पक्षियों द्वारा मनुष्यों में सीधा संक्रमण अभी भी अपेक्षाकृत दुर्लभ है, H5N1 अभी तक मानव महामारी में नहीं उभरा है। अतः फिलहाल तो कोई गहन चिंता का कारण नहीं हैं। किंतु सतर्कता ही बचाव है। अतः, हमारे पास H5N1 से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका संक्रमित पक्षियों के संपर्क से बचना है। इसकी रोकथाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो पालतू पक्षी रखते हैं या पक्षी प्रेमी हैं, रोग नियंत्रण केंद्रों के पास H5N1 और अन्य बर्ड फ़्लू वायरस से बचने के लिए दिशा निर्देशों की सूची होती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3Au5WZY
https://nyti.ms/3LsSbRp
https://bit.ly/3Hals0w
चित्र संदर्भ
1. पोल्ट्री फार्म में बैठी मुर्गी को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
2. इन्फ्लुएंजा ए वायरस (H5N1/बर्ड फ्लू) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. H5N1 मानचित्र के वैश्विक प्रसार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पोल्ट्री फार्म में कर्मचारी को संदर्भित करता एक चित्रण (Impakter)
5. एक मृत मुर्गी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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