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लकड़ी आधारित उद्योग, भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक माना जाता है। भारत में लगभग 100,000 पंजीकृत काष्ठ इकाइयां (Timber Units) हैं, जहां तकरीबन 200,000 से अधिक कारीगरों को रोजगार मिलता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लकड़ी पर जटिल नक्काशियों का उद्योग नया नहीं है बल्कि, अब तक की ज्ञात सबसे प्राचीन लकड़ी की मूर्ति तकरीबन 12,000 साल पुरानी है।
शिगिर मूर्तिकला (Shigir Sculpture), जिसे शिगिर आइडल (Shigir Idol) के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात लकड़ी की मूर्ति मानी जाती है। जानकारों के अनुसार इसे लगभग 12,000 साल पहले, मेसोलिथिक काल ( Mesolithic Period ) के दौरान और अंतिम हिमयुग के अंत के तुरंत बाद बनाया गया था। इस मूर्तिकला को रूस में सेवरडलोव्स्क क्षेत्रीय संग्रहालय (Sverdlovsk Regional Museum) में प्रदर्शित किया गया है। इस नायाब कला को 24 जनवरी, 1890 के दिन कलाता (Kalata) गांव के पास शिगिर के पीट दलदल (Peat Swamps Of Shigir) में और येकातेरिनबर्ग (Yekaterinburg) से लगभग 100 किमी दूर खोजा गया था। इस मूर्तिकला को दस भागों में निकाला गया था और बाद में प्रोफेसर डी. आई. लोबानोव (D.I. Lobanov) द्वारा पुनर्गठित किया गया था, जिन्होंने 2.8 मीटर ऊंची मूर्ति बनाने के लिए मुख्य टुकड़ों को जोड़ा था।
शिगिर प्रतिमा, 1890 में, सोने के खनिकों को किरोवग्रेड (Kirovgrad) के पास एक दलदल में मिली थी, इसी दलदल के आधार पर इसे शिगिर प्रतिमा नाम दिया गया। माना जाता है कि इस प्रागैतिहासिक झील में गिरने से पहले यह मूर्ति लगभग 20 से 30 वर्षों तक एक चट्टान के आधार पर दबी हुई थी। दलदल के रोगाणुरोधी गुणों ने इस मूर्ति को टाइम कैप्सूल (Time Capsule) की भाँति संरक्षित रखा था। शिगिर प्रतिमा में कई ज्यामितीय पैटर्न (जैसे ज़िगज़ैग (Zigzags), शेवरॉन (Chevrons) और हेरिंगबोन (Herringbone) दिखाई देते हैं। पुरातत्वविद इस वहनीय प्रागैतिहासिक मूर्तिकला (Portable Prehistoric Sculpture) को "गतिशील कला (Portable Art)" भी कहते है, जिसका मतलब ऐसी कला से होता है, जिसे ढोया या स्थानांतरित किया जा सकता है। इस शानदार मूर्ति को महान जलवायु परिवर्तन (Great Climate Change) के समय के दौरान तराशा गया था, जब शुरुआती जंगल एक गर्म पोस्ट ग्लेशियल यूरेशिया (Postglacial Eurasia) में फैल रहे थे। जैसे-जैसे परिदृश्य बदला, वैसे-वैसे कला, आलंकारिक डिजाइनों और प्राकृतिक जानवरों को भी गुफाओं में चित्रित किया गया और चट्टानों में उकेरा गया। संभवतः यह उस समय के लोगों को उनके सामने आने वाली नई चुनौतियों से निपटने में मदद करने का एक तरीका हो सकता है। इस दौरान जंगलों में अधिक पेड़ उपलब्ध होने के कारण, लोग कला और मूर्तियां बनाने के लिए मुख्य रूप से हाथी दांत और पत्थर के बजाय लकड़ी का अधिक बार उपयोग करने लगे थे।
मूर्ती में चिह्नों को तराशने के लिए पत्थर के औजारों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें मानव चेहरे, हाथ, ज़िगज़ैग रेखाएँ (Zigzag Lines), और ज्यामितीय रूपांकन (Geometric Motifs) भी शामिल हैं। मूर्तिकला के शीर्ष भाग में एक सिर है जिसके चेहरे पर आँखें, एक नाक और एक मुँह है, शरीर चपटा और आयताकार है।
विद्वानों ने नक्काशियों के अर्थ से जुड़े विभिन्न सिद्धांत प्रस्तावित किए गए हैं। कुछ विद्वान इस सजावट को मिथकों से जोड़ते, जिनके अनुसार जिन लोगों ने इसे उकेरा था, वे यह मानते थे कि चिह्नों को एक संचार सहायता या मानचित्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता था। मूर्ति शीर्ष पर एक सिर और एक आयताकार शरीर के साथ एक कुलदेवता स्तंभ की तरह दिखती थी। कुछ अन्य शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रतिमा पौराणिक जीवों जैसे वन आत्माओं को चित्रित कर रही है। जबकि अन्य लोगों ने अनुमान लगाया है कि मूर्ति एक खतरनाक क्षेत्र (Dangerous Area) में प्रवेश न करने की चेतावनी के रूप में काम कर सकती है। शिगिर मूर्ति की सजावट तुर्की के गोबेक्ली टेपे (Göbekli Tepe In Turkey) में सबसे पुराने ज्ञात स्मारक पत्थर के खंडहरों के समान है।
इस दुर्लभ मूर्तिकला की उम्र विद्वानों के बीच हमेशा से ही बहस का विषय रही है। प्रारंभिक रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon Dating) ने इसे लगभग 9,500 वर्ष की आयु प्रदान की थी। हालांकि, बाद के एक जर्मन विश्लेषण ने इसे 11,500 वर्ष पुराना बताया, जिसके आधार पर यह दुनिया में ज्ञात अपनी तरह की सबसे प्राचीन लकड़ी की मूर्ति बन गई। 2021 में, गॉटिंगेन विश्वविद्यालय (University Of Göttingen) और रूसी विज्ञान अकादमी के पुरातत्व संस्थान के शोधकर्ता इस प्रतिमा को होलोसीन (Holocene) की शुरुआत के करीब, यानी वर्तमान से लगभग 12,000 साल पहले का बताते हैं, जिस आधार पर भी यह दुनिया में सबसे पुरानी ज्ञात स्मारकीय लकड़ी की मूर्ति बन जाती है। शिगिर प्रतिमा, मिस्र के पिरामिड (Egyptian Pyramids) और स्टोनहेंज (Stonehenge) से दोगुनी पुरानी मानी जाती है।
यह प्रतिमा एक प्रकार की लकड़ी से बनाई गई थी, जिसे लार्च (Larch) कहा जाता है जो स्वाभाविक रूप से कीड़ों और कीटाणुओं को दूर रखती है। साथ ही यह मूर्ति एक ऐसे दलदल में पाई गई जहां हवा नहीं है और बहुत सारा तेजाब है। इससे मूर्ति को सुरक्षित रहने में मदद मिली और उसपर कीटाणु नहीं पनप पाए। इस आधार पर वैज्ञानिकों को लगता है कि इस तरह की और भी मूर्तियां हो सकती थी, लेकिन उन्हें संरक्षित करने के लिए आदर्श स्थितियाँ मौजूद नहीं थीं। लेकिन इस प्रतिमा की खोज से यह स्पष्ट हो जाता है, कि उराल और साइबेरिया (Ural And Siberia) के पुरातात्विक साक्ष्य को लंबे समय तक कम करके आंका गया और उपेक्षित किया गया।
शिगीर मूर्ति कई मायनों में हमारे पूर्वजों की अविश्वसनीय रचनात्मकता और शिल्प कौशल का एक वसीयतनामा मानी जा सकती है। यह अविश्वसनीय लकड़ी की मूर्ति, न केवल कला और डिजाइन के इतिहास पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह 12,000 साल पहले इसे बनाने वाले लोगों की मान्यताओं और संस्कृति के बारे में भी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है। इसकी जटिल नक्काशी और रहस्यमय अर्थ इसे अध्ययन का एक आकर्षक वस्तु बनाते हैं, और इसकी उम्र और अनूठी विशेषताएं इसे मानव इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं।
संदर्भ
https://nyti.ms/3LCLNqR
https://bit.ly/2Q0FZZv
चित्र संदर्भ
1. शिगिर मूर्तिकला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. शिगिर मूर्तिकला की विस्तृत छवि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नजदीक से शिगिर मूर्तिकला को संदर्भित करता एक चित्रण (twitter)
4. वह स्थान जहां शिगिर प्रतिमा खोजी गई थी, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. तुर्की के गोबेक्ली टेपे ( सबसे पुराने ज्ञात स्मारक पत्थर के खंडहरों) को दर्शाता एक चित्रण (World History Encyclopedia)
6. लार्च (Larch) पेड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
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