City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2575 | 537 | 3112 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
हमारे शहर मेरठ में 3568 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली छावनी विश्व की सबसे बड़ी छावनियों में से एक मानी जाती है। छावनी एक सैन्य अड्डे का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जहां सैनिक और उनके परिवार रहते हैं। मेरठ छावनी की स्थापना सन 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) द्वारा की गई थी। आज के इस लेख में हम मेरठ सहित देशभर में मौजूद सेना से जुड़ी सभी दशकों पुरानी छावनियों की भूमि से जुड़े नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सन 1599 में, भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से अंग्रेजी व्यापारियों के एक समूह द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन किया गया । 1608 में, कंपनी के एक प्रतिनिधि, सर विलियम हॉकिन्स (Sir William Hawkins), व्यापार हेतु सुविधाओं और रियायतों की तलाश में आगरा के दरबार में मुगल सम्राट जहांगीर से मिलने गए। सुविधाओं और रियायतों से जुड़े उनके अनुरोध को 1612 में जारी एक ‘फ़रमान’ के माध्यम से स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद कई दशकों तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने कारखानों, गोदामों, प्रशासन और कर्मियों के लिए (सूरत, मद्रास और हुगली) में भवनों का निर्माण किया।
1757 में, प्लासी के युद्ध (Battle Of Plassey) में अंग्रेजों की विजय के बाद, बंगाल के नवाब भी अंग्रेजी शासन के अधीन हो गए। इसके बाद कई लड़ाइयों के बाद कंपनी ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा का स्वामित्व भी हासिल कर लिया। इसी सफलता के साथ, कंपनी ने सैनिकों के लिए छावनी बनाने के बारे में भी विचार किया क्योंकि कंपनी के लिए अपने क्षेत्रों और व्यापार की रक्षा हेतु एक स्थायी सेना बनाए रखना आवश्यक हो गया था। लॉर्ड क्लाइव (Lord Clive) ने कंपनी की सेना के लिए तत्कालीन शहरी क्षेत्रों से थोड़ी दूर और गंगा नदी जैसे व्यापार-मार्गों पर विशेष निवास स्थान स्थापित करने की नीति शुरू की। वह अनुशासन बनाए रखने के लिए अंग्रेजों और स्थानीय आबादी के बीच संपर्क को बहुत सीमित रखना चाहते थे। इन स्थानों को छावनियों के रूप में जाना जाने लगा। 1765 में बैरकपुर (बिहार) में पहली छावनी चिन्हित की गई।
सन 1773 में जारी रेगुलेटिंग एक्ट (Regulating Act) ने इंडिया-इन-काउंसिल (India-In-Council) के गवर्नर-जनरल (Governor General) को क्षेत्र के प्रशासन के लिए नियम, अध्यादेश और विनियम बनाने, जारी करने और कंपनी के हितों की रक्षा करने का अधिकार दिया। इस प्रकार, विजय, विनियोग, स्थायी पट्टे, संधि, या अधिग्रहण द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में औपनिवेशिक सरकार के कब्जे में आने वाली सभी भूमि को इंग्लैंड की संसद (Parliament of England) के एक अधिनियम के माध्यम से सरकार की संपत्ति के रूप में मान्यता दी गई थी।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने छावनियों में घर बनाने के लिए अंग्रेज़ अधिकारियों को ज़मीनें दीं। साथ ही कंपनी ने सुरक्षा बलों के लिए अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। अप्रैल 1801 में गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने आदेश दिया कि छावनियों में बंगलों और क्वार्टरों को किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा बेचने या कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो सेना से संबंधित नहीं है। बाद में, स्थानीय रूप से, सुरक्षा बलों की सहायक सेवाओं में लगे भारतीयों को घर और दुकानें बनाने के लिए भूमि भी प्रदान की गई। गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल और गवर्नर-इन-काउंसिल ने अनुदानों पर छावनियों में भूमि के कब्जे की अनुमति दी।
इसके बाद अगले 25 वर्षों के दौरान छावनियों में स्थानों पर कब्जा करने की अनुमति देने की प्रक्रिया के लिए विभिन्न आदेश जारी किए गए। इंग्लैंड की संसद द्वारा ‘भारत सरकार अधिनियम' 1833, जिसे ‘1833 के चार्टर अधिनियम’ (Charter Act of 1833) के रूप में भी जाना जाता है, को अधिनियमित किया गया था, जिसके द्वारा गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल को विधान की पूर्ण शक्तियां प्रदान कर दी गई थी।
इसके साथ ही छावनियों में भूमि के हस्तांतरण की योजना को एक दृढ़ कानूनी ढांचे में डाल दिया गया। 1889 में ‘छावनी अधिनियम’ (Cantonment Act) लागू किया गया था। इसके बाद, छावनी संहिता 1899 के रूप में जाना जाने वाला एक अधीनस्थ कानून, छावनियों में भूमि के अधिकारों के रिकॉर्ड को बनाए रखने के नियमों को प्रस्तुत करता है। और साथ ही भूमि को पट्टे पर देने के नियम भी निर्धारित करता है। इस संहिता के लागू होने के बाद, छावनियों में कोई अनुदान नहीं दिया गया और 1899 तक दिए गए अनुदानों को ‘पुराना अनुदान’ कहा जाने लगा।
छावनियों के निर्माण का प्रमुख कारण यह भी था कि भारत का गर्म और आर्द्र मौसम, अंग्रेजी सैनिकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा था। वे अक्सर मलेरिया, चेचक, पेट की खराबी और यौन रोग जैसे रोगों से ग्रस्त हो जाते थे, जिससे उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही थी। इस मुद्दे को हल करने के लिए स्वच्छता और सुरक्षा हेतु सख्त कानूनों और विनियमों के साथ सैनिकों के लिए अलग रहने वाले क्षेत्रों को छावनियों के रूप में स्थापित किया गया था। छावनियों ने सेना के अनुशासन और मनोबल में सुधार किया और सैनिकों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान किया।
शुरुआत में केवल कंपनी के कर्मचारियों को ही छावनियों में रहने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में, निजी नागरिकों को भी वहाँ घर और दुकानें बनाने की अनुमति दी गई। यहाँ पर उचित सड़क योजना, सैनिक लाइनों, बंगलों, सार्वजनिक भवनों और खरीदारी क्षेत्रों के लिए नियम बनाए गए, जिसके कारण छावनियां रहने के लिए अधिक प्रतिष्ठित स्थान हो गईं।
मेरठ छावनी का निर्माण 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लसवारी की लड़ाई के बाद किया गया था। 2011 के एक सर्वेक्षण के अनुसार 3,568.06 हेक्टेयर (35.68 किमी2) भूमि और 93,684 लोगों (सैन्य और नागरिक दोनों सहित) की आबादी के साथ यह भारत की सबसे बड़ी छावनियों में से एक है।
1857 का विद्रोह मेरठ छावनी में ही ‘काली पलटन’ नामक स्थान से शुरू हुआ। इस विद्रोह में यहां तैनात भारतीय सैनिक भी शामिल थे। छावनी तीन तरफ से पल्लवपुरम से सैनिक विहार और गंगानगर तक पुराने शहर को घेरती है।
1829 से 1920 तक, मेरठ छावनी (Meerut Cantonment), ब्रिटिश भारतीय सेना के 7वें डिवीजन (मेरठ) का मुख्यालय रही। मेरठ छावनी के सैनिक यप्रीस (Ypres) की पहली लड़ाई, एल एलैमीन (El Alamein) की पहली और दूसरी लड़ाई, फ्रांस (France) की लड़ाई, बर्मा अभियान, भारत-पाकिस्तान युद्ध, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध और कारगिल युद्ध जैसी कई बड़ी लड़ाइयों में शामिल रहे हैं। यह वह स्थान भी रहा है जहां ‘सिग्नल की पंजाब रेजिमेंट कोरपस’ (Punjab Regiment Corps of Signals), जाट रेजिमेंट (Jat Regiment ), सिख रेजिमेंट (Sikh Regiment) और डोगरा रेजिमेंट (Dogra Regiment) की स्थापना की गई थी।
संदर्भ
https://bit.ly/3otscQC
https://bit.ly/41Iqb1m
चित्र संदर्भ
1. मेरठ छावनियों के निर्माण को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
2. सर विलियम हॉकिन्स को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. प्लासी के युद्ध की तैयारियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्टेशन अस्पताल, दीनापुर (दानापुर ) छावनी को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
5. मेरठ छावनी बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
6. सन 1910 के पोस्टकार्ड में मेरठ के नंबर 1 अनुभाग अस्पताल का एक चित्रण (stamps-auction)
7. मेरठ राज के दौरान उत्तरी भारत में एक औपनिवेशिक बंगले का एक चित्रण (paperjewels)
8. टाउन हॉल मेरठ को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.