मेरठ के मुस्तफा महल के बारे में कौन नहीं जानता। इसकी खूबसूरती देखकर आज तक लोगों की आँखें खुली की खुली रह जाती हैं। तो चलिए बात करते हैं आज मेरठ के मशहूर मुस्तफा महल की और जानते हैं इससे जुड़ी कुछ बातें।
मुस्तफा महल के निर्माण की शुरुआत सन 1896 में हुई थी और इसका निर्माण सन 1900 में पूर्ण हो गया था। मुस्तफा महल का निर्माण नवाब मोहम्मद इशक खान द्वारा अपने पिता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता के सम्मान में कराया गया था। नवाब मुस्तफा खान उर्दू एवं फ़ारसी के मशहूर कवि थे। महल की पूरी योजना स्वयं नवाब मोहम्मद इशक खान द्वारा 30 एकड़ ज़मीन में की गयी थी। महल की वास्तुकला में कई वस्तुकलाओं का मिश्रण पाया जाता है जैसे ब्रिटिश, राजस्थानी और अवधी वास्तुकला। महल के अन्दर राखी अनेक प्राचीन वस्तुओं से नवाब मोहम्मद इशक खान के विदेशी दौरों का अंदाज़ लगाया जा सकता है। सारा फर्नीचर लन्दन से आयात किया गया था जो आज भी महल में मौजूद है। इसके अलावा मुस्तफा महल में उस समय की और भी कई चीज़ों को संरक्षित किया गया है जैस पेंडुलम घड़ियां, प्राचीन झूमर, नक्काशीदार लकड़ी की अलमारियाँ, संदूक, ड्रेसिंग टेबल, एंटीक लैंप ऐतिहासिक चित्र आदि।
असल में नवाब मुस्तफा खान के खिलाफ अंग्रेजों द्वारा 1857 के ग़दर में शामिल होने के संदेह पर मुकदमा चलाया गया था और उन्हें बंदी बनाया गया था। इसलिए उनके पुत्र नवाब मुहम्मद इशक खान ने उसी स्थान पर अपने पिता के सम्मान में अपने परिवार का घर, मुस्तफा महल बनवाया। कहा जाता है कि महल से करीब 40 गज की दूरी पर एक गिलोटिन मौजूद था, जहां कैदियों को मारा जाता था। खोयी हुई आत्माओं की शांति करने के लिए, गिलोटिन को गिराकर उसी स्थान पर एक मस्जिद बनवाया गया जो आज भी मौजूद है। आज मुस्तफा महल के ज़िम्मेदार श्री बी.एम. खान हैं तथा महल का कुछ हिस्सा ‘कैसल व्यू’ नाम से शादी की शानदार दावतों के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
प्रस्तुत चित्रों में से पहला चित्र आज के मुस्तफा महल का है और दूसरा चित्र मुस्तफा महल के एक प्राचीन पोस्टकार्ड का है। दोनों चित्रों की आपस में तुलना करके यह कहा जा सकता है कि इतने वर्षों बाद भी मुस्तफा महल ने अपना आकर्षण ज़रा भी नहीं खोया है।
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