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क्यों हो गया है भारत की स्थानीय भाषाओं की सेवाओं को नवाचार और इंटरनेट पर लाना आवश्यक ?

मेरठ

 21-04-2023 09:30 AM
ध्वनि 2- भाषायें

19,500 से अधिक भाषाओं और बोलियों के साथ भारत भाषाई रूप से विश्व में सबसे अधिक विविधता वाला राष्ट्र है। भाषाई विविधता हम देशवासियों के बातचीत करने के तरीके और अक्सर हम जिन भाषाओं का प्रयोग करते हैं, उनमें परिलक्षित होती है। आज के डिजिटल युग में इस विविधता से संबंधित एक विषय चर्चा में हैं कि क्या इंटरनेट और नवाचार के उपयोग में भारत की यह भाषाई विविधता संभव है?
देश के अधिकतर लोगों तक इंटरनेट की पहुंच के साथ, भारतीय लोग आज अपनी पसंदीदा या स्थानीय भाषा में इंटरनेट कंटेंट (Internet Content) को पढ़ना, देखना या सुनना पसंद करते हैं। 2020 में गूगल (Google) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में, 90% इंटरनेट उपयोगकर्ता इंटरनेट पर अपनी स्थानीय भाषा का उपयोग करना पसंद करते हैं। 2020 में ‘भाषाई अनुवाद’ के लिए खोज में 50% से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि ‘गूगल डिस्कवर’ या गूगल के इस्तेमाल में 50% उपयोगकर्ताओं ने भारतीय भाषाओं में जानकारी प्राप्त की । साथ ही 2020 में दैनिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में 42% की वृद्धि हुई, क्योंकि भारतीयों ने अपनी सहज जिज्ञासा का हल ढूंढने के लिए कई बार गूगल की सहायता ली। इसके अलावा, डिजिटल युग के तेजी से बढ़ने के कारण नए इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बढ़ने के साथ, ‘3वी’ (3V) अर्थात (वाणी (Voice), चलचित्र (Video) और स्थानीय भाषा (Vernacular) भारतीयों के इंटरनेट उपयोग करने के तरीके के लिए आवश्यक हो गए है। भारत की ऑनलाइन चलचित्र उपयोगकर्ता आबादी 350 दशलक्ष से अधिक है, जो 2018 से 2020 तक सालाना 24% की दर से बढ़ी है। यह वृद्धि की दर चीन (China) और इंडोनेशिया (Indonesia) जैसे देशों की तुलना में दो गुना तेज है। इसी काल में प्रति दिन सक्रिय उपयोगकर्ताओं द्वारा ऑनलाइन चलचित्र देखने हेतु बिताए गए समय में 60% से 70% की वृद्धि हुई है। इसलिए आज भारत में चलचित्रों के उपयोग के इस परिदृश्य में विकास के लिए बड़ी गुंजाइश है; क्योंकि आज भारत के ऑनलाइन चलचित्र उपयोगकर्ताओं में से लगभग 60% इंटरनेट उपयोगकर्ता चलचित्रों के शौकीन हैं। 2022 में, भारत में संगीत आधारित चलचित्र, साप्ताहिक ऑनलाइन आधारित चलचित्र खपत का लगभग 58% हैं। इसके अतिरिक्त 2022 में, हास्य प्रधान या वायरल चलचित्र (Viral video) और शैक्षिक चलचित्र सबसे अधिक देखे जाने वाले ऑनलाइन चलचित्र हैं। इसके विपरीत, इनफ्लुएंसर चलचित्रों (Influencer video) की चलचित्र खपत में लगभग 30% हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट के अनुसार, लोगों द्वारा खोज (Searching), तुलना, उद्धरण (Quotes) और ऑनलाइन खरीदारी के लिए डिजिटल प्लेटफार्म को अत्यधिक पसंद किया जाने लगा है । इसके अलावा 2020-21 में, स्कूल कॉलेज और कार्यालय बंद होने के कारण, भारतीयों ने सीखने और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख किया। और अब इंटरनेट भारतीयों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए पसंदीदा गंतव्य बन गया है।
उपयोगकर्ताओं द्वारा इंटरनेट का सबसे अधिक प्रयोग हिंदी (38%) भाषा में किया जाता है, इसके बाद तमिल भाषा (20%) और मराठी (9%) का स्थान है। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत में बंगाली भाषा बोलने वाले लोगों की आबादी तमिल और मराठी भाषा बोलने वाले लोगों से अधिक हैं, लेकिन इंटरनेट उपयोगकर्ता बंगाली की तुलना में तमिल और मराठी भाषा में अधिक हैं। भारत की डिजीटल आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत के छोटे शहरों और गांवों में रहता है। अतः भारत के विविध भाषाई लोगों को इंटरनेट पर लाने के लिए, डिजिटल कंटेंट बनाने वाले लोगों एवं संस्थाओं को स्थानीय भाषाओं में अपनी पेशकश को अनुकूलित करना होगा। इसी उद्देश्य से प्रेरित, भारत में कई स्टार्टअप (Startup) हैं जो स्थानीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बेंगलुरु स्थित रेवेरी (Reverie) और लिव.एआई (Liv.AI) दो ऐसे स्टार्टअप हैं, जो आवाज या वाणी के माध्यम से क्षेत्रीय-भाषाओं में समाधान देने पर ध्यान केंद्रित कर रहें हैं। लिव.एआई दस भारतीय भाषाओं में भाषा या वाणी को टेक्स्ट (Text) में बदलने के लिए एक मंच के रूप में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) स्टार्टअप है। इसी प्रकार इंडस ऐप बाज़ार (Indus App Bazaar) पर 12 भाषाएं उपलब्ध हैं जिनमें से हिंदी, मराठी, गुजराती, तमिल और बंगाली भाषाएं सबसे लोकप्रिय हैं और ये भाषाएं अधिकांश नए ऐप डाउनलोड करने के लिए उपयोग की जाती हैं। स्वदेशी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म (Gaming Platform) विंझो (WinZO), जो 10 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, में भी हिंदी भाषाई राज्यों से आने वाले नए उपयोगकर्ताओं में 3 गुना वृद्धि देखी गई है। 1.4 बिलियन लोगों के साथ, भारत अगले कुछ ही वर्षों में विश्व में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों के मामले में शीर्ष पर होगा। अतः सभी डिजीटल कंटेंट प्रदाता क्षेत्रीय भाषा में इंटरनेट कंटेंट उपलब्ध कराने की होड़ में लगे हुए हैं। आज, शहरी अंग्रेजी समझने वाले उपयोगकर्ताओं के एकाधिकार को छोटे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से बहुभाषी और सांस्कृतिक रूप से विविध आबादी द्वारा चुनौती दी जा रही है।
कंटेंट प्रदाताओं द्वारा भारत की बहुभाषी आबादी कोस्थानीय भाषा के डिजिटल लाभों को पहचानने में मदद की जारही है। यूट्यूब (YouTube), उदाहरण के लिए, कई क्षेत्रीय भाषाओं का समर्थन करता है, जिससे विशेष रूप से स्थानीय दर्शकों को लक्षित करने की अनुमति मिलती है। गैर-अंग्रेज़ी दर्शकों के बीच बढ़ते इंटरनेट उपयोग ने कंटेंट प्रदाताओं को उपभोक्ताओं के साथ उनकी अपनी भाषा में संवाद करने के लिए मजबूर किया है।

संदर्भ

https://bit.ly/41sJMmi
https://bit.ly/40acJCm
https://bit.ly/4053WBC
https://bit.ly/40a05Dd
https://bit.ly/3GNmJdT

चित्र संदर्भ

1. भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
2. भारत में भाषाओँ की विविधता को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. प्रारंग के हिंदी लेख पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
4. देवनागरी इंस्क्रिप्ट कीबोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. मोबाइल में हिंदी कीबोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (googleplay)

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A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
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C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

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