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आज हम सभी बैसाखी का सुंदर पर्व मना रहे हैं। बैसाखी का त्यौहार हर साल हिंदू कैलेंडर के वैशाख महीने के पहले दिन मनाया जाता है जो ज्यादातर 13 या 14 अप्रैल को होता है। ‘वैसाख’ शब्द की उत्पत्ति “विशाखा” नामक नक्षत्र के नाम से हुई है। हिंदू ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, विशाखा नक्षत्र तुला राशि से सम्बंधित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार विशाखा राजा दक्ष और उनकी पत्नी प्रसूति की 27 बेटियों में से एक थी, जिनका विवाह चंद्र देवता से हुआ था। कुछ पौराणिक कथाओं में विशाखा को भगवान कृष्ण से भी सम्बंधित माना जाताहै। तो आइए, बैसाखी के मौके पर बैसाखी नाम से जुड़ी विभिन्न कहानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
“वैशाख” हिंदू कैलेंडर का एक महीना है, जो ग्रेगोरियन (Gregorian) कैलेंडर के अनुसार, अप्रैल का अंतिम आधा और मई का शुरुआती आधा महीना होता है। भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर के अनुसार, वैशाख वर्ष का दूसरा महीना है। किंतु विक्रम संवत कैलेंडर, उड़िया कैलेंडर, मैथिली कैलेंडर, पंजाबी कैलेंडर, असमिया कैलेंडर, और बंगाली कैलेंडर में , वैशाख को वर्ष का पहला महीना माना जाता है। भारत में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न क्षेत्रीय कैलेंडरों के मुख्य रूप से दो पहलू होते हैं, चंद्र और सौर। चंद्र मास चैत्र से शुरू होता है, जबकि सौर मास वैशाख संक्रांति से शुरू होता है। हालाँकि, सभी क्षेत्रीय कैलेंडर नए साल के साथ शुरू होते हैं। उदाहरण के लिए, जहां महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नए साल की शुरुआत चंद्र वर्ष की शुरुआत के साथ होती है , वहां वैशाख संक्रांति मनाकर सौर वर्ष को चिह्नित किया जाता है। इसी प्रकार वैसाख महीने में बैसाखी का फसल उत्सव भी मनाया जाता है जो पंजाबी कैलेंडर के अनुसार पंजाबी नव वर्ष का प्रतीक है।
कुछ लोगों का मानना है कि वैसाख नाम विशाखा नक्षत्र ‘विशाखा’ से जुड़ा हुआ है। नक्षत्र, हिंदू ज्योतिषशास्त्र और भारतीय खगोल विज्ञान में चंद्र मंडल के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है। चंद्र मंडल उस पथ में पड़ने वाले सभी ग्रह और तारे हैं जिसके माध्यम से चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर से गुजरता है। ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग किया जाता है। अथर्ववेद में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गयी है। प्रत्येक नक्षत्र को चार धाम से संबंधित चार पदों में बांटा गया है। विशाखा नक्षत्र राशि चक्र में 16वां नक्षत्र है, तथा बृहस्पति ग्रह को इसका स्वामी माना जाता है। विशाखा नक्षत्र को तुला और वृश्चिक राशि के बीच का सेतु भी कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इस नक्षत्र का अर्थ द्विशाखित या विष पात्र होता है। इस नक्षत्र को राधा भी कहा जाता है जो आनंद की भावना का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी राधा हिंदू पौराणिक कथाओं का एक हिस्सा मानी जाती हैं, जो भगवान कृष्ण को अत्यधिक प्रिय थीं। विशाखा नक्षत्र के प्रतीक चिन्ह में एक अलंकृत मेहराब दिखाई देता है जो सुंदर पत्तों से सजा होता है। यह मेहराब या प्रवेश द्वार भारत में विवाह समारोहों का भी प्रतीक है, जो यह दिखाता है कि इस सितारे या नक्षत्र का संबंध विवाह से है। विशाखा नक्षत्र का प्रतीक विजय का प्रतिनिधित्व भी करता है। हालांकि यह नक्षत्र विजय और विवाह से संबंधित शुभ उत्सवों का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन फिर भी इसे एक सुखद नक्षत्र नहीं माना जाता है। इस नक्षत्र का रत्न पुखराज है और गुरुवार को इस नक्षत्र के लिए शुभ दिन माना जाता है। विशाखा नक्षत्र से जुड़ा तत्व अग्नि है, जबकि इससे सम्बंधित रंग सुनहरा है।
ऐसा माना जाता है कि विशाखा नक्षत्र से सम्बंधित व्यक्ति स्वभाव से उग्र होते हैं । इनकी आंखें तेज होती हैं, तथा रंग गोरा होता है। लोगों की मान्यता है कि जिन व्यक्तियों की राशि में विशाखा नक्षत्र विराजमान होता है, वे प्रखर गुणों से संपन्न होते हैं। इन लोगों का बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक होता है, तथा वे जानते हैं, कि कैसे चेहरे के भावों में हेरफेर करके अपनी जन्मजात नकारात्मक भावनाओं को छुपाया जा सकता है। विशाखा नक्षत्र के जातकों में ध्यान केंद्रित करने की अत्यधिक क्षमता होती है। ये लोग आत्म प्रयास की शक्ति में विश्वास करते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी सक्षम होते हैं। इनका संचार कौशल और सच्चाई इन्हें आकर्षक बनाती है। वे उन लोगों का सम्मान करते हैं जो योग्यता और गुणों के मामले में उनसे बेहतर हैं। इस नक्षत्र से सम्बंधित जातक जीवन में स्थिर रहना पसंद नहीं करते। जब चीजें इनकी इच्छानुसार नहीं होती हैं, तो इनमें डर की भावना पैदा हो जाती है। इस नक्षत्र के जातक जब अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो उसे हर संभव प्रयास के माध्यम से पूरा करना पसंद करते हैं। इनके लक्ष्य-उन्मुख स्वभाव के कारण इनका मन ज्यादातर अशांत भी हो जाता है।
ऐसा माना जाता है कि विशाखा सहित चंद्र मंडल के सभी नक्षत्र राजा दक्ष की पुत्रियां हैं । राजा दक्ष सृष्टि निर्माता भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। राजा दक्ष से जुड़ा एक प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार के कनखल में है जहां उन्हें एक गठीले शरीर और बकरी के सिर वाले व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। महाकाव्यों और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया तथा जानबूझकर अपनी सबसे छोटी बेटी सती और उनके पति भगवान शिव को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। भगवान शिव का अपमान होने के कारण देवी सती ने यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव के एक परिचारक वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में राजा दक्ष को बकरी के सिर के साथ फिर से जीवित कर दिया गया। राजा दक्ष ने अपनी अन्य सत्ताईस बेटियों का विवाह चंद्रमा के साथ किया जो सत्ताईस नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। विशाखा भी राजा दक्ष की उन्हीं सत्ताईस बेटियों में से एक मानी जाती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि विशाखा नामक एक गोपी भगवान कृष्ण की एक समर्पित अनुयायी थीं तथा वह अक्सर उनकी प्रार्थना करने और भक्ति-अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए उनके मंदिर जाती थीं। कुछ पौराणिक कहानियों में यह भी बताया जाता है कि विशाखा, राधा जी की एक सखी थी जिन्होंने भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय राधा को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म ठीक उसी तिथि और समय पर हुआ था, जिस दिन और तिथि को श्रीमती राधारानी का जन्म हुआ था। उनका रंग प्रकाश के समान चमकीला था, तथा वे तारों से सुशोभित वस्त्र पहनती थीं। देवी विशाखा राधा और कृष्ण के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करती थीं। उनके पिता का नाम पवन, माता का नाम सुदक्षिणा और पति का नाम वाहिका था। वह फूलों से अनेकों प्रकार की चीजें बनाती थीं। जब राधा विरह में उदास होती थी, तब विशाखा राधा के लिए कृष्ण की तस्वीरें बनाती थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/413V8Nx
https://bit.ly/3UD7Ikz
https://bit.ly/3GD2mAe
https://bit.ly/3GDL4CG
https://bit.ly/3UxGtbh
https://bit.ly/401YSOq
चित्र संदर्भ
1. झूमते गाते किसानो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. “वैशाख” हिंदू कैलेंडर का एक महीना है को दर्शाता एक चित्रण (prokerala)
3. राधा कृष्ण को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. दक्ष प्रजापति को संदर्भित करता एक चित्रण (Creazilla)
5. राधा और सखी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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