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मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित गढ़मुक्तेश्वर को गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन (Ganga Dolphin) को देखने के लिए सबसे आदर्श जगहों में से एक माना जाता है। लेकिन भारत में ऐसे कई अन्य स्थान भी हैं जहां जाकर आप इस शानदार जीव डॉल्फिन की कलाबाजियों को देख सकते हैं।
डॉल्फिन पर आधारित पर्यटन को भारत में एक उभरता हुआ उद्योग माना जा रहा है। भारत में यह उद्योग डॉल्फिनों की दो प्रजातियों हम्पबैक डॉल्फिन (Humpback Dolphin) और इरावॉडी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphin) पर केंद्रित है। इस संदर्भ में गंगा नदी डॉल्फिन भी छोटे पैमाने पर प्रचलित हैं। भारत में अलग-अलग डॉल्फिन प्रजातियां अलग-अलग स्थानों पर देखी जा सकती हैं।
हंपबैक डॉल्फिन पश्चिमी तट के साथ साथ पूर्वी विशाखापत्तनम तट और पश्चिम बंगाल तट में सुंदरबन टाइगर रिजर्व तथा अन्य विभिन्न स्थानों में देखी जाती हैं, जबकि इरावॉडी डॉल्फिन ओडिशा राज्य में चिल्का लैगून (Chilka Lagoon) में ही देखी जा सकती हैं। वहीं गंगा नदी में पाई जाने वाली प्लैटॆनिस्टा गैंगेटिका (Platanista Gangetica) डॉल्फिन बिहार के कुछ स्थानों और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के भीतर देखी जा सकती है।
नीचे दी गई तालिका उन स्थानों को दर्शाती है जहां जाकर आप डॉल्फ़िनों को देख सकते हैं।
डॉल्फ़िन देखने में बेहद आकर्षक जीव होते हैं, क्योंकि वे पानी से बाहर ऐसे कूदते हैं जैसे वे कोई नृत्य कर रहे हों। ऊपर दी गई तालिका से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में भी डॉल्फिन बहुलता से पाई जाती हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक, डॉल्फिन को भारत में कई जगहों पर देखा जा सकता है।
उन्हें देखने के लिए यहां कुछ बेहतरीन स्थान दिए गए हैं:
१. गोवा: गोवा भारत में एक प्रसिद्ध समुद्र तट गंतव्य है, और यह अरब सागर में डॉल्फिन को देखने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। यहां डॉल्फिन को देखने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। यहां के कुछ समुद्र तटों (पालोलेम बीच (Palolem Beach), कोको बीच (Coco Beach), केवेलोसिम बीच (Cavelossim Beach), सिंक्वेरियम बीच (Sinquerim Beach) और मोरजिम बीच (Morjim Beach) जाकर आप डॉल्फिन को देख सकते हैं।
२. अंडमान: अंडमान में आपको डॉल्फिन को पानी से कूदते हुए देखने के लिए धैर्य रखने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप कांच के तले वाली शानदार नाव में बैठकर पानी के नीचे इन खूबसूरत समुद्री जीवों को देख सकते हैं। अंडमान में डॉल्फिन देखने के लिए कुछ लोकप्रिय स्थलों में (लालाजी बे बीच (Lalaji Bay Beach), जॉली बॉय द्वीप (Jolly Buoy Island) और हैवलॉक द्वीप (Havelock Island)) शामिल हैं।
३. लक्षद्वीप: लक्षद्वीप को डॉल्फिन को देखने के लिए एक शानदार जगह माना जाता है। लक्षद्वीप में डॉल्फिन को देखने के कुछ लोकप्रिय स्थानों में अगत्ती द्वीप, कदमत द्वीप और बंगाराम द्वीप शामिल हैं।
४. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र एक और आश्चर्यजनक जगह है जहाँ आप डॉल्फ़िन देख सकते हैं।, यहां पर दापोली बीच (Dapoli Beach), मुरुड बीच (Murud Beach), तारकरली बीच (Tarkarli Beach), कुरावडे बीच (Kuravade Beach), दाभोल पोर्ट (Dabhol Port) और हरिहरेश्वर कुछ ऐसे लोकप्रिय स्थान हैं, जहां आप इन नटखट डॉल्फिनों के दर्शन कर सकते हैं।
५. उत्तर प्रदेश: आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारा राज्य उत्तर प्रदेश भी डॉल्फिन देखने के लिहाज से एक प्रसिद्ध स्थान है। राज्य में ऐसे कई स्थान हैं जहां आप इन खूबसूरत जीवों को देख सकते हैं। इनमें कतर्नियाघाट अभयारण्य, अयोध्या में सारा नदी, दुधवा टाइगर रिजर्व, हमीरपुर, गढ़मुक्तेश्वर, एकडाला, बांदा, चिल्ला और फतेहपुर चंबल नदी, डॉल्फिन देखने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान माने जाते हैं । उत्तर प्रदेश में डॉल्फिन सफारी के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच होता है, और यहां पर गंगा नदी डॉल्फिन बहुतायत में देखी जा सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के माध्यम से गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार होने के कारण लगभग गायब हो चुकी गंगा नदी डॉल्फिन वापस गंगा नदी में लौट रही हैं। यह कार्यक्रम 2014 में शुरू हुआ और इस कार्यक्रम के तहत 23 परियोजनाओं को पूरा किया गया है जिनके द्वारा उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में 460 मिलियन लीटर प्रतिदिन से अधिक सीवेज के प्रवाह को सफलतापूर्वक रोक दिया गया है। इससे नदी की गुणवत्ता में सुधार करने और इस क्षेत्र में डॉल्फिन की संख्या बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। सरकार के अनुसार, कई जगहों पर डॉल्फिन के प्रजनन को भी सुनिश्चित किया गया है, जिससे आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है।
वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में लगभग 600 डॉल्फिन हैं। नदी के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है, आकलन में घुलित ऑक्सीजन, जैव रासायनिक मांग और फेकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) मानदंडों में भी सुधार देखा गया है। वाराणसी जिले के कैथी गांव के पास गंगा नदी में भी गंगा डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि हुई है। इस बिंदु पर गोमती नदी वाराणसी से लगभग 29 किलोमीटर पूर्व में गंगा में मिलती है। ‘भारतीय वन्यजीव संस्थान’ (Wildlife Institute of India (WII) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, वाराणसी के गंगा खंड में 21 डॉल्फिन थीं। जबकि हाल के आकलन के अनुसार, गंगा और गोमती के संगम स्थल पर डॉल्फिन की संख्या बढ़कर 35-39 हो गई है।
डॉल्फ़िन और व्हेल, दोनों स्तनधारी पहली नजर में भले ही अलग-अलग दिखाई देते हों, परंतु क्या आप जानते हैं कि डॉल्फ़िन वास्तव में व्हेल परिवार का ही हिस्सा हैं। सभी व्हेल, डॉल्फिन और पॉपस (Porpoise) जैसे जलीय जीवोंको वैज्ञानिक रूप से सटेशन्स (Cetaceans) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और इस समूह के भी, दो उप- समूह (बैलीन (baleen) व्हेल और दांतेदार (toothed) व्हेल) हैं। बैलीन व्हेल जैसे कि ब्लू व्हेल और हंपबैक व्हेल बहुत बड़ी होती हैं, जबकि दांतदार व्हेल में डॉल्फिन और किलर व्हेल शामिल होती हैं।
अपने आकार के बावजूद, बैलीन व्हेल कुछ बड़ी मछलियों के बजाय ज्यादा मात्रा में छोटी-छोटी मछलियां खाती हैं। दूसरी ओर, डॉल्फिन विभिन्न प्रकार की मछलियां और झींगा खाती हैं। दोनों जानवर अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान होते हैं और स्वरोच्चारण के माध्यम से संवाद कर सकते हैं, लेकिन डॉल्फिन में प्रतिध्वनि निर्धारण (Echolocate) की अतिरिक्त क्षमता होती है। डॉल्फिन और बैलीन व्हेल दोनों ही प्रजातियां समूहों में यात्रा करती हैं। दोनों प्रजातियों में एक समय में केवल एक बच्चा होता है, जिसमें डॉल्फिन हर दो से तीन साल में एक बच्चे को जन्म देती हैं जबकि बैलीन व्हेल दो से पाँच साल या उससे अधिक समय के अंतराल पर एक बच्चे को जन्म देती हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों, जैसे जहाज के हमले और मछली पकड़ने के जाल में फंसने के कारण दोनों प्रजातियां गंभीर खतरे में हैं। किंतु यदि देश के नागरिक जागरूक हो जाएं तो इन शानदार जीवों की रक्षा करना कोई बहुत कठिन काम नहीं है।
संदर्भ
https://rb.gy/5qajh
https://rb.gy/mw3rq
https://rb.gy/6fmci
https://rb.gy/1w7ib
https://rb.gy/x7kot
चित्र संदर्भ
1. पानी में तैरती डॉलफिन को संदर्भित करता एक चित्रण (GetArchive)
2. गंगा नदी में पाई जाने वाली प्लैटॆनिस्टा गैंगेटिका को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. समुद्र में कलाबाजियां करती डॉलफिन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. व्हेल और डॉल्फिन दोनों समुद्री स्तनधारी जीव हैं जो एक ही टैक्सोनोमिक (Taxonomic) समूह से संबंधित हैं जिन्हें सटेशन्स (Cetaceans) कहा जाता है। को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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