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अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग गरीबी उन्मूलन में भी है सहायक

मेरठ

 12-04-2023 09:20 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

प्रत्येक वर्ष 12 अप्रैल को अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन(Yuri Gagarin) द्वारा की गई सबसे पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान की वर्षगांठ के उत्सव के रूप में ‘अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस’ (International Day of Human Space Flight Day) आयोजित किया जाता है। इस दिवस को सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा राष्ट्रों और लोगों के कल्याण में वृद्धि करने हेतु मानव जाति के लिए अंतरिक्ष युग की शुरुआत के रूप में और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण योगदान की पुष्टि करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हमारे अंतरिक्ष को कायम रखने की हमारी महत्वाकांक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी यह दिवस महत्वपूर्ण है।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक बहुआयामी उपकरण है जिसके द्वारा पर्यावरण को संरक्षित करने और कृषि सफलता में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के द्वारा वैश्विक गरीबी पर नज़र रखने, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करने, प्रदूषण को मापने, वन्यजीवों की रक्षा करने और संसाधनों के प्रबंधन करने में भी सहायता मिलती है। इन्हीं सभी लाभों को ध्यान में रखते हुए भारत सहित ज्यादातर सभी देशों द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में विकास के लिए सतत निवेश किया जा रहा है।किंतु हमारे देश में अंतरिक्ष अभियानों को लेकर एक अलग ही विषय चर्चा में हैं। लगभग वर्ष 2012 के बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कई लोग “गरीबी पहले, चाँद बाद में”, जैसी एक अज्ञानतापूर्ण टिप्पणियां कर रहे हैं। वास्तव में, किसी भी सरकार से उनके द्वारा एक अंतरिक्ष अभियान शुरू करने से पहले उस देश की गरीबी को पूरी तरह से हटाने की उम्मीद करना बेतुका है। जिस प्रकार,गरीबी हटाने के लिए आवंटित राशि किसी गरीब व्यक्ति को अस्थायी रूप से अमीर बनाने के लिए दिए गए धन के समान नहीं होती है, उसी प्रकार,अंतरिक्ष मिशन पर खर्च की जाने वाली राशि भी सीधे उस मिशन के लिए मात्र कोई घटक बनाने के लिए दिया गया धन नहीं होती है। दोनों ही मामलों में, यह राशि कई चीजों का प्रतिनिधित्व करती है। उदाहरण के लिए, लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का अर्थ, विभिन्न प्रकार की नीतियों और ढांचागत सुधारों की शुरुआत करने से हैं, जिससे लोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, शारीरिक सुरक्षा और बेहतर नौकरियों तक पहुंच मिल सके, जो किसी एक व्यक्ति को अमीर बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसी तरह, जब भारत सरकार ने चंद्रयान 2 मिशन को साकार करने के लिए 978 करोड़ रुपये खर्च किए परंतु वह मिशन सफल ना हो सका तो इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि इस मिशन की असफलता या समाप्ति के बाद यह पैसा बर्बाद हो गया । इसके बजाय, इस मिशन से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने भविष्य के मिशनों को बेहतर बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त किया । इस मिशन के तहत ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (Indian Space Research Organisation (ISRO) द्वारा कई अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम शुरू किए गए थे, जिनके परिणाम अंतरिक्ष उड़ान की मूल्य श्रृंखला के विभिन्न पहलुओं को भविष्य में भी लाभान्वित करते रहेंगे। वास्तव में भारतीय अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गरीबी हटाने जैसी सुधार परियोजनाओं से अलग नहीं है। इन अंतरिक्ष कार्यक्रमों से अन्य देशों के समान हमारे भारत को भी कई लाभ हुए हैं । इन कार्यक्रमों से मौसम को समझने और मौसम की पूर्व सूचना प्राप्त करने में मदद मिलती है। इन कार्यक्रमों की बदौलत ही प्राकृतिक आपदाओं का पूर्व अनुमान और उनके परिणामों की निगरानी भी संभव है। अंतरिक्ष में प्रगति के कारण ही प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग में लाना और पुनर्वितरित करना भी आसान हो गया है। नए संचार चैनलों को सक्षम बनाकर शिक्षा तक सभी की पहुंच को संभव बनाया जा सका है । साथ ही इन्हीं के कारण देश के दूरदराज हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं भी पहुंच सकी है।
हां, भारत के चंद्रयान मिशन में कुछ खामियां जरूर थी, परंतु फिर भी भारत के इस अंतरिक्ष मिशन के समान कोई भी प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र आज भी पूरे विश्व में नहीं है। और ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि विक्रम साराभाई, जवाहरलाल नेहरू और डॉ. होमी भाभा ने इसरो के प्रारंभिक वर्षों में ही सुनिश्चित किया था कि इसरो द्वारा संचालित कोई भी कार्यक्रम “मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के आवेदन में किसी से पीछे नहीं होगा”। लेकिन जो लोग चंद्रयान 2 मिशन की आलोचना करते हैं, वे सामाजिक विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान परियोजनाओं के बीच संबंधों को देखने में असमर्थ रहते हैं।
कुछ लोगों का यह तर्क भी है कि सरकार का बजट इतना संक्षेप है कि गरीबी पर ध्यान केंद्रित करने के कारण सरकार को अन्य क्षेत्रों को नजरअंदाज करना पड़ जाता है । लोग तर्क देते हैं कि ऐसी स्थिति में एक बहुत बड़ी धनराशि को अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर खर्च करना उचित नहीं है। जैसा कि इसरो के लिए आवंटित कुल राशि हाल ही में 11,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है किंतु ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि सरकार लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु इससे कई गुना अधिक पैसा खर्च करती है। यदि देखा जाए तो वास्तव में,चंद्रयान 2 का कुल बजट केंद्र सरकार के कुल वार्षिक व्यय, यानी की लगभग 27 लाख करोड़ रुपये का केवल 0.03% ही था । दुनिया भर में ज्यादातर देश उनके अंतरिक्ष परियोजनाओं से मिलने वाले लाभ को स्वीकार कर ऐसी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हैं । संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के इकहत्तरवें सत्र की एक बैठक में विभिन्न देशों द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं कार्यक्रमों के लाभ बताए गए। यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि ने कहा था, कि यूरोपीय संघ के गैलीलियो (Galileo) सैटेलाइट की उन्नत नेविगेशन और पोजिशनिंग सेवाओं के साथ-साथ कोपर्निकस (Copernicus) सिस्टम की अत्यधिक सटीक अवलोकन सेवाएं कृषि और मत्स्य पालन में दक्षता बढ़ा सकती हैं, भुखमरी को कम कर सकती हैं, दूरस्थ चिकित्सा सहायता के माध्यम से नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं और जलवायु परिवर्तन से निपट सकती हैं। अत्याधुनिक सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली के रूप में, गैलीलियो ने नागरिकों को एक अत्यधिक सटीक और गारंटीकृत ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (Global Positioning System–GPS) प्रदान किया हैं। दूसरी ओर, कोपर्निकस ने बाढ़ और जंगल की आग के बारे में पूर्व चेतावनी दी और सैटेलाइट चित्रों से प्राप्त विश्वसनीय मानचित्र भी प्रदान किए।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप समूह देश पलाऊ(Palau) के प्रतिनिधि ने बताया कि एक छोटे से द्वीप और विकासशील राज्य के रूप में, उनके देश में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में शामिल होने की वस्तुतः कोई क्षमता नहीं होने के कारण उन्होंने हालांकि, परिवहन, संचार, मौसम पूर्वानुमान और अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र की दूरस्थ निगरानी जैसे क्षेत्रों में दूसरे देशों के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास तथा अंतरिक्ष परियोजनाओं से सहायता ली और आज उनका देश भी लाभान्वित हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के प्रतिनिधि ने उल्लेख किया कि राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और निजी संस्थाओं द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोगों पर समिति और इसकी कानूनी उपसमिति के कानूनी ढांचे के तहत विकसित हुआ है । नतीजतन, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने दुनिया भर में आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहद योगदान दिया हैं। हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश के प्रतिनिधि ने बताया कि एक जलवायु-संवेदनशील “डेल्टा (Delta)” के रूप में लगातार प्राकृतिक आपदाओं के संपर्क में आने के कारण, उनका देश अंतरिक्ष अनुसंधान और रिमोट सेंसिंग (Remote sensing) में अपने निवेश से, आपदाओं के प्रबंधन, पर्यावरण की रक्षा, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और निगरानी तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के मामले में लाभ प्राप्त कर रहा है। अब तो यह भी माना जा रहा है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी गरीबी का पता लगाने और गरीबी निर्मूलन के लिए एक उभरती हुई विधि है। सैटेलाइट सिस्टम से प्राप्त आंकड़े (Data) विभिन्न देशों को उनके देश में सबसे गरीब समुदायों को सटीक रूप से निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं, ताकि उन समुदायों की सर्वोत्तम सहायता करने के लिए संसाधनों को प्रबंधित किया जा सके । एक बार जब कोई सरकार अपने देश में गरीबी के भूगोल को समझ जाती हैं, तो वे प्रभावी रूप से संसाधनों का वितरण कर सकती हैं। किसानों को उनकी फसल के आकार का अनुमान लगाने में मदद करने के लिए सैटेलाइट फसलों की छवियों को भी खींच सकते हैं। तब अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को समझने, फसल बीमा के साथ किसानों की सहायता करने और संभावित फसल विफलता के बारे में चेतावनी देने के लिए भारत सहित सभी देशों द्वारा फसल डेटा का उपयोग किया जा सकता है ।
अतः यह सोच रखना कि अगर देश के अंतरिक्ष मिशन पर धन खर्च करने के बजाय सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन पर धन खर्च किया जाना चाहिए ,पूरी तरह निरर्थक है । इसके बजाए, सरकार को एक ही समय में दोनों मुद्दों पर खर्च करना चाहिए, और एक क्षेत्र में अर्जित लाभों को दूसरे क्षेत्र में अर्जित लाभों का समर्थन करने की अनुमति देनी चाहिए। अन्यथा, यह एक तमिल कहावत ‘கடல்வத்திமீன்பிடிக்கிறாமாதிரி’, अर्थात, “मछली पकड़ने के लिए समुद्र के सूखने की प्रतीक्षा करने” के समान होगा ।

संदर्भ
https://bit.ly/3m4AVYK
https://bit.ly/410oYlL
https://bit.ly/3GhNvuK

चित्र संदर्भ
1. भारतीय किसानों और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नई दिल्ली में चीवनिंग साइबर सम्मेलन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. दक्षिण एशियाई नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की वीडियो कांफ्रेंसिंग को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के अनुप्रयोग को संदर्भित करता एक चित्रण (Free SVG)
5. मोबाइल चलाती छोटी बालिका को दर्शाता चित्रण (Flickr)

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