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प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके दुग्ध उत्पादकता बढ़ाना, मेरठ के इस डेयरी उद्यमी से सीखिए

मेरठ

 31-03-2023 09:41 AM
स्तनधारी

भारतीय घरों में सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाले पेय पदार्थों में से एक दूध है। बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ भारत में दूध की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दूध की इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए जब इंसानी कार्यबल पर्याप्त साबित नहीं हुआ, तो वैज्ञानिकों द्वारा मशीनों को मैदान में उतारा गया। आज भारत में डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को वास्तव में बड़ी मशीनों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाने लगा है, जिसके परिणामस्वरूप दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
भारत में पशुधन (पालतू जानवरों) की कुल संख्या लगभग 536 मिलियन दर्ज की गई है, जिनमें से लगभग 300 मिलियन पशु दुधारू श्रेणी में आते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (Internet Of Things (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence (AI), इन पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने और डेयरी क्षेत्र के अनुकूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पशुपालन विभाग (The Department of Animal Husbandry (DAHD) द्वारा हाल ही में स्टार्टअप (Startups) और निजी कंपनियों द्वारा विकसित नवीन तकनीकी उत्पादों की सेवाओं के लिए ‘अभिरुचि की अभिव्यक्ति’ (Expression Of Interest (EoI) जारी की गई है, जिसमें डेयरी उद्योग में आईओटी (IOT) और ड्रोन (Drones) का उपयोग भी शामिल है। आईओटी उपकरणों का उपयोग करने वाली नई-युग की स्मार्ट तकनीकों (Smart Technologies) से, जानवरों के दूध उत्पादन में वृद्धि, मवेशियों के स्वास्थ्य की उन्नत निगरानी और उनमें किसी भी बीमारी का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिससे व्यवसाय और दुग्ध उत्पादन प्रक्रियाओं को और भी अधिक सुव्यवस्थित किया जा सकता है। ऑटोमेशन (Automation) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), जानवरों में लगाए गए सेंसर की मदद से, किसानों को उनके मवेशियों के शरीर के तापमान, पीएच स्तर (Ph Level) और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों को मापने के साथ-साथ उनके व्यवहार और हरकतों के पैटर्न का विश्लेषण करने और यहां तक कि बीमारी और वायरस का पता लगाने की भी अनुमति देते है। एकत्र किए गए आंकड़ों का दूर रहकर भी आकलन (Monitor) किया जा सकता है, साथ ही ऐसी जानकारी को क्लाउड (Cloud) पर एकत्र भी किया जा रहा है।
हालांकि, आईओटी का उपयोग करना या स्मार्ट डेयरी फार्मिंग (Smart Dairy Farming) एक महंगा सौदा साबित हो सकती है। लेकिन बदलें में आईओटी पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने, संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने और उन्नत संवेदी तकनीकों तथा डेटा विश्लेषण (Data Analysis) का उपयोग करके मवेशियों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह आधुनिक तकनीक जानवरों की जरूरतों का आकलन करने और रिकॉर्ड रखने, कृत्रिम गर्भाधान और टीकाकरण सेवाओं के साथ-साथ रोग ग्रस्त पशु टैगिंग (Diseased Animal Tagging) जैसे क्षेत्रों में भी हमारी वर्तमान और भविष्य की कई जरूरतों को पूरा कर सकती हैं। एआई और प्रौद्योगिकी का एक अन्य प्रमुख उपयोग जानवरों में रोग नियंत्रण के संदर्भ में किया जा सकता है। एआई-सक्षम टैग (AI-Enabled Tag) का उपयोग करके जानवरों में प्रमुख प्रकोपों ​​की पहचान की जा सकती है और उनका नियंत्रण किया जा सकता है। दुधारू पशुओं के लिए लंगड़ापन, स्तनदाह, खुरपका और मुंहपका रोग तथा दुग्ध ज्वर आदि सामान्य घातक रोग होते हैं। इस स्थिति में एआई - सक्षम टैग मवेशियों के स्वास्थ्य में परिवर्तन का पता लगा सकते हैं। जिस कारण समय रहते ही उचित कार्रवाई और दवाई को क्रियान्वित किया जाता है, और पशु तथा वित्तीय नुकसान दोनों को रोका जा सकता है।
चूंकि दूध, दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली सार्वभौमिक वस्तु है, इसलिए इसके बेहतर प्रबंधन और भंडारण की आवश्यक होती है। इसलिए दाबित टैंकों (Pressurized Tanks) में IoT तकनीक के उपयोग से दूध आधारित वस्तुओं की भंडारण क्षमता में वृद्धि की जा सकती है और साथ ही बैक्टीरिया के विकास को भी रोका जा सकता है। IoT का उपयोग करके दूध का बेहतर वितरण प्रबंधन भी सुनिश्चित किया जा सकता है। दूध भारत के लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आय का मुख्य स्रोत माना जाता है। हाल के वर्षों में, भारतीय डेयरी उद्योग में प्रौद्योगिकी-संचालित उत्पादों और समाधानों की मदद से बड़ा परिवर्तन आया है। प्रौद्योगिकी का सही अनुप्रयोग बड़े पैमाने पर असंगठित भारतीय डेयरी उद्योग की संरचना को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और दूध की गुणवत्ता जैसी चुनौतियों का समाधान कर सकता है। प्रौद्योगिकी की सहायता से दूध की ताजगी, शुद्धता, दूध को दूषित करने वाले सूक्ष्मजीवों की संख्या और प्रकार को परिभाषित करने वाले माइक्रोबियल लोड (Microbial Load), मिलावट और शेल्फ लाइफ (Shelf Life) का पता लगाया जा सकता है।
दूध जल्दी खराब होने वाला पदार्थ है और गर्म वातावरण में यह बहुत जल्दी खराब हो जाता है। गर्मियों के दौरान बढ़ते तापमान में दूध को निकालने के तुरंत बाद तथा प्रसंस्करण इकाई तक पहुंचने तक 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बनाए रखने की आवश्यकता होती है जिसके लिए कोल्ड चेन रखरखाव (Cold Chain Maintenance) आवश्यक होता है। आधुनिक प्रौद्योगिकी, डेयरी उद्योग की समय-समय पर वितरण और कोल्ड चेन रखरखाव सुनिश्चित करने में सहायता कर सकती है, साथ ही इसकी मदद से इन्वेंट्री (Inventory) को भी अधिक कुशलता से नियंत्रित किया जा सकता है। आज उपभोक्ताओं और व्यवसायों को जोड़ने के लिए ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस (E-Commerce Marketplace) का उपयोग भी किया जा रहा है। डेयरी उद्योग में प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही भारतीय डेयरी उद्योग को और भी अधिक लाभ होने की उम्मीद है।
खरीद स्तर पर दूध की गुणवत्ता की निगरानी रखने के लिए ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety And Standards Authority Of India) द्वारा ‘रैपिड मिल्क क्वालिटी टेस्टिंग किट’ (Rapid Milk Quality Testing Kit) और ‘एट-होम टेस्टिंग किट’ (At-Home Testing Kit) को मंजूरी दी गई है। इस तकनीक को अपनाने से डेयरी आपूर्ति श्रृंखला में गुणवत्ता पता लगाने की क्षमता के साथ-साथ पारदर्शिता हासिल हो सकती है, जिससे मिलावट की घटनाएं कम हो सकती हैं।
डेयरी उद्योग में तकनीक का बेहतर प्रयोग करने की मिसाल हमारे मेरठ जिले के काकीपुर गांव के रहने वाले शोभित कुमार त्यागी ने भी पेश की है, जो आज एक सफल डेयरी उद्यमी के रूप में उभर कर सामने आए हैं। एमबीए (MBA) की डिग्री पूरी करने के बाद वे डेयरी क्षेत्र में एक सफल उद्यमी बनने के लिए संघर्ष कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Agricultural Research (ICAR) के अंतर्गत आने वाले ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कैटल’ (Central Institute For Research On Cattle), मेरठ कैंट के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें मेरठ में मवेशियों के प्रजनन और आहार सुधार पर केंद्रित वैज्ञानिक डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) पर एक कार्यक्रम में भाग लेने की सलाह दी गई थी,जिसमें उन्होंने भाग लिया। जिसके बाद उन्होंने 2010 में तीन गायों के साथ अपनी यात्रा शुरू की, लेकिन अब उनके पास 210 से अधिक देशी गायें और 66 उच्च उपज देने वाली संकर गायें हैं, जो प्रतिदिन लगभग 600 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं। वह दूध निकालने के लिए स्वचालित अल्ट्रा मॉर्डन दुग्ध पाइपलाइन पार्लर (Ultra Modern Milk Pipeline Parlor) का प्रयोग करते हैं। दुग्ध पाइपलाइन पार्लर और पैकिंग मशीन से जुड़ा चिलिंग प्लांट पाश्चराइजेशन (Pasteurization) के बिना भी दूध को सर्वोत्तम स्वच्छता के साथ प्रदान करने में सक्षम होता है।वह दूध के साथ साथ घी और छाछ सहित विभिन्न डेयरी उत्पाद भी बेचते हैं, और उन्होंने गाय के गोबर से कम्पोस्ट (Compost) खाद बनाना और बायोगैस (Biogas) बनाना भी शुरू कर दिया है। आईसीएआर, मेरठ कैंट के संपर्क में आने से पहले, उन्हें अपने मवेशियों के वैज्ञानिक पालन के बारे में जानकारी नहीं थी, उनकी गायों का उत्पादन कम था, और पशु स्वास्थ्य पर उनका खर्च अधिक था। लेकिन आज वह एक जागरूक उद्यमी बनकर 50,000 रुपये से 100,000 रुपये प्रति माह तक कमा रहे हैं, और उनका परिवार एक अच्छी सामाजिक आर्थिक स्थिति का आनंद ले रहा है।

संदर्भ
https://bit.ly/40AOyNZ
https://bit.ly/3JKEyLd
https://bit.ly/3K7aaMu

चित्र संदर्भ
1. मशीन द्वारा दूध निकालने की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. गाय के कान में लगे टैग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक दुग्ध डेयरी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. दूध के कंटेनर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रैपिड मिल्क क्वालिटी टेस्टिंग किट’ को दर्शाता एक चित्रण (Amazon)
6. गुजरात में अमूल कीफैक्ट्री को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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