भारत एक उत्सव प्रेमी देश है, और भारत के किसी भी उत्सव में संगीत शामिल ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। विवाह समारोह में तो संगीत का विशेष महत्त्व है। बारात में जब बैंड वाले अपना संगीत बजाते हैं तो सबसे संकोची लोगों के तक पैर उनकी धुन पर थिरकने लगते हैं। तो चलिए आज बात करते हैं इसी बैंड बाजे में प्रयोग होने वाले संगीत वाद्ययंत्रों की।
बहुत कम लोगों को पता होगा परन्तु भारत में बैंड बाजे के काम के साथ सम्बंधित सबसे बड़ा और सबसे पुराना नाम है नादिर अली एंड कंपनी। नादिर अली एंड कंपनी मेरठ के जली कोठी में स्थित है तथा कई वर्षों से वे भारत के संगीत वाद्ययंत्रों के सबसे बड़े उत्पादक हैं। इसकी शुरुआत 1885 में हुई थी जब नादिर अली ने अपने भाई के साथ मिलकर पीतल के उपकरणों का आयात करने की शुरुआत की। शुरूआती दौर में उन्होंने यंत्रों के छोटे छोटे भाग बनाने शुरू किये और करीब 1920 से वे कोठी अतानस में स्थित एक बड़ा कारखाना चलाने लग गए थे जहाँ बैंड बाजा सम्बंधित सभी निर्माण किया जाता था तथा उनकी मरम्मत भी की जाती थी। कहा जाता है कि कोठी अतानस में किसी कारणवश आग लग जाने के कारण आज उसका नाम जली कोठी पड़ चुका है और लोग उसका असल नाम भुला चुके हैं।
जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोप से बैंड बाजे का शिपमेंट बाधित हो गया था, तब नादिर अली एंड कंपनी को भारी बढ़ावा मिला। इस कारण उनके व्यापार ने और गति पकड़ ली। यहाँ तक कि आज भी नादिर अली एंड कंपनी भारतीय सेना के साथ साथ विदेशी सेनाओं को भी अपने उत्पाद उपलब्ध कराती है। आज जली कोठी किसी भी बैंड वाले के लिए एक मंदिर से कम नहीं है। जली कोठी में प्रवेश करते ही हमें हर तरफ बैंड बाजे से सम्बंधित काम होता दिखना शुरू हो गया चाहे वह मरम्मत का हो, निर्माण का हो, या बैंड वालों की पोशाक का। समय के साथ जली कोठी में नादिर अली के कई और प्रतियोगी भी आये परन्तु इसमें कोई शक नहीं है कि इस व्यापार को बढ़ावा देने की शुरुआत नादिर अली ने ही की थी।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.