भगवान विष्णु के वैकुंठ चतुर्मूर्ति स्वरूप में निहित हैं, गहरे दार्शनिक अर्थ

मेरठ

 24-03-2023 09:32 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

सनातन धर्म की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि यहां पर ईश्वर से जुड़ी प्रत्येक आकृति और प्रत्येक प्रतिमा मेंदो अर्थ (भौतिक और गहरे आध्यात्मिक) निहित होते हैं । इस तथ्य को बेहतर समझने के लिए आज हम भगवान विष्णु के नीचे दिए गए “वैकुंठ स्वरूप” का अवलोकन करेंगे। जहां पहली नजर में देखने पर आपको यह भगवान विष्णु की चार सिरों के साथ, मात्र एक प्रतिमा नजर आएगी, किंतु गौर करने पर आप पाएंगे कि इस प्रतिमा की वास्तविक सुंदरता तो इसके गहरे दार्शनिक अर्थों में निहित है।
वैकुंठ जिसे अक्सर विष्णु लोक और तमिल भाषा में तिरुनातु नाम से भी संबोधित किया जाता है, सनातन और वैष्णव परंपरा में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का निवास स्थान माना जाता है।
वैष्णव साहित्य में, वैकुंठ को चौदह लोकों (संसार) के ऊपर उच्चतम लोक के रूप में वर्णित किया गया है, जहां विष्णु के भक्त मुक्ति प्राप्त करते हैं। दो जुड़वां देवता (जया और विजया) रक्षक के रूप में वैकुंठ के द्वारपाल माने जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में वैकुंठ को सुंदर महलों और लटकते बगीचों से सुसज्जित बताया गया है, जहां सुगंधित फल और फूल उगते हैं। वैकुंठ के नाम से ही भगवान विष्णु, जिन्हें वैकुंठ विष्णु के नाम से भी जाना जाता है, के वैकुंठ चतुर्मूर्ति नाम की भी उत्पत्ति हुई है । भगवान विष्णु के वैकुंठ चतुर्मूर्ति स्वरूप के दर्शन मुख्य रूप से नेपाल और भारत के कश्मीर के मंदिरों में किए जा सकते हैं । भगवान विष्णु के वैकुंठ चतुर्मूर्ति स्वरूप को चार विविध मस्तकों (एक मानव सिर, एक शेर का सिर (नरसिम्हा अवतार), एक सूअर का सिर (वरहा अवतार) और एक उग्र सिर) के साथ दर्शाया जाता हैं, जहां उग्र मस्तक उनके कट्टर भक्त प्रहलाद का प्रतिनिधित्व करता है। कभी-कभी, उन्हें केवल तीन सिरों के साथ चित्रित किया जाता है, जिनमें पीछे का उग्र मस्तक अनुपस्थित होता है।
वैकुंठ चतुर्मूर्ति ("चार मुख वाले वैकुंठ के स्वामी) को विभिन्न अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिनमें वैकुंठनाथ (वैकुंठ के भगवान), विष्णु चतुर्मूर्ति (चार प्रतिनिधित्व वाले ) और विष्णु चतुरानन (चार- मुख वाले ), आदि शामिल हैं। ‘वैकुंठ विष्णु’ को आमतौर पर चार या कभी-कभी आठ भुजाओं के साथ भी चित्रित किया जाता है। भगवान विष्णु के इस स्वरूप को आमतौर पर खड़ा दर्शाया जाता है किंतु कभी-कभी उन्हें अपनी सवारी गरुड़ पक्षी पर बैठे हुए भी दिखाया जाता है। चार सिर वाले विष्णु की अवधारणा सबसे पहले हिंदू महाकाव्य महाभारत में परिलक्षित होती है, लेकिन चार सिर वाले विष्णु की एक पहली पूर्ण छवि , 5 वीं शताब्दी के दौरान उपलब्ध तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के पंचरात्र समय के साहित्य में पाई गई थी। यह छवि गुप्त काल और गांधार स्थापत्य परंपरा के प्रभावों को दर्शाती है। पंचरात्र साहित्य के जयाख्या-संहिता में वैकुंठ चतुर्मूर्ति की प्रतिमा का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि उनके चार चेहरे ( वैकुंठ, नरसिंह, वराह और कपिला) हैं। इसमें भगवान विष्णु को शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करने वाली चार भुजाओं के साथ दर्शाया गया है। भगवान विष्णु के चतुर्मूर्ति नाम का उल्लेख विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र में भी पाया जाता है, जो भगवान विष्णु की स्तुति में लिखा गया एक दिव्य स्तोत्र है, और इसमें भगवान विष्णु के 1000 नाम शामिल हैं।
पंचरात्र ग्रंथों में वैकुंठ चतुर्मूर्ति के चार सिरों को विष्णु की चार अभिव्यक्तियों के रूप में संबोधित किया गया है। इन्हें चतुर्व्यूह के रूप में भी जाना जाता है, जो क्रमशः वासुदेव (कृष्ण), संकर्षण (बलराम), प्रद्युम्न और अनिरुद्ध को दर्शाते हैं। 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच कश्मीर में वैकुंठ चतुर्मूर्ति पर केंद्रित एक पंथ भी विकसित हुआ था। 10वीं शताब्दी में खजुराहो का लक्ष्मण मंदिर भी मध्य भारत में चंदेल साम्राज्य द्वारा उनकी पूजा के संकेत प्रदान करता है। वैकुंठ चतुर्मूर्ति भगवान विष्णु का एक शक्तिशाली रूप है। इस रूप को भगवान विष्णु का सर्वोच्च रूप माना जाता है। वैकुंठ चतुर्मूर्ति में भगवान विष्णु के चरणों में आयुध पुरुष और पृथ्वी की उपस्थिति को दर्शाया गया है। कई विद्वान चतुर्मूर्ति में सूअर और शेर के सिर को क्रमशः वराह और नरसिम्हा के अवतारों से जोड़ते हैं। चतुर्मूर्ति में वराह, नरसिम्हा और पार्श्व सिर, निर्माण, संरक्षण और विनाश के तीन कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानव चेहरा शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, शेर का चेहरा ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है, राक्षसी रूप समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, और सूअर का मुख ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान विष्णु ये अवतार और रूप अत्यंत पवित्र और शुद्ध माने जाते हैं और साथ ही ये हमें समृद्धि प्रदान करते हैं । माना जाता है कि भगवान वैकुंठ चतुर्मूर्ति की पूजा करने पर जीवन में सफलता के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त की जा सकती है ।

संदर्भ

https://bit.ly/3JZxfRq
https://bit.ly/3JWbhyC
https://bit.ly/3LZS2pt
https://bit.ly/3LHqLHS

चित्र संदर्भ

1. वैकुंठ चतुर्मूर्ति स्वरूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. विष्णु चतुरानन (कांस्य), 9वीं शताब्दी, कश्मीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्रुकलिन संग्रहालय में चौथी-पांचवीं शताब्दी की चतुर्मुखी विष्णु, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लक्ष्मण मंदिर, खजुराहो में केंद्रीय प्रतीक के रूप में वैकुंठ चतुर्मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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