श्री बिलेश्वर नाथ महादेव मंदिर मेरठ के सदर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। इसे एक ऐतिहासिक सिद्धपीठ माना जाता है। इस मंदिर को बिल्वेश्वर नाथ, जगन्नाथ का मंदिर इस नामों से भी जाना जाता है। मेरठ को रावण का ससुराल माना जाता है। मान्यता है की रावण की पत्नी मंदोदरी यहाँ पर शिव जी की आराधना करने रोज़ आया करती थी। आज इस मंदिर के पूर्ण क्षेत्र में प्रमुख मंदिर शिव जी का है और उसके एक तरफ विष्णु के अवतार श्री बालाजी, काली माता और सामने हनुमान मंदिर है। गर्भगृह में तांबे के पत्रे से सुशोभित की हुई शिव पिंडी है और उसके सामने संगमरमर का बना नंदी। मंदिर के दुसरे हिस्से में एक और पिंडी है और साथ में गणपति की मूर्ति। आज जो पूरा मंदिर जो है वह एक मराठा मध्यकालीन स्थापत्य पर बना हुआ है। मराठा कालीन मंदिर बहुतसी बार एक किले की तरह बनाए जाते थे जिसमे मध्य में मंदिर और चारो ओर से विशाल दीवारें तथा कोठियां। मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो वह भी मध्यकालीन खासकर पेशवा-समय का मालुम पड़ता है। शिव मंदिर के सामने एक दिवार में कुछ मूर्तियाँ और शिल्प जड़ाए रखे हैं जो तक़रीबन 10 वी से 12 वी शताब्दी के हैं। इनमे पुराने मंदिर के ललाट का हिस्सा है, एक मूर्ति के मुख का हिस्सा है (इस मूर्ति की प्रस्तुत अवस्था में ये किसकी है बताना मुश्किल है), और एक स्तंभ का है जिसमे शिल्प हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में आज भी पुराने किले के स्थापत्य का ढांचा बाकी है। मंदिर में एक ओर मन्नत और परिवार के लिए तैयार किये छोटे माटी के घर भी हैं जो मन्नत पूरी होने पर बनाए जाते हैं। इन्हें पितरों का घर कहा जाता है और शांति हेतु उन्हें नैवेद्य तथा चढ़ावा दिया जाता है। आज यहाँ पर मंदिर की पूजाअर्चना और देखभाल करने वाले रहते हैं तथा पूजाअर्चा विधि सिखने के लिए छात्र भी रहते हैं। श्री बिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर केवल धार्मिक ही नहीं ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। प्रस्तुत चित्रों में से प्रथम चित्र मुख्य मंदिर का है और दूसरा उसके प्रवेशद्वार का है जो किले जैसे स्थाप्त्य की झांकी दिखता है।
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