सूंघने की अद्भुत क्षमता से कुछ जानवर व् कीड़े पता लगा सकते हैं मनुष्यों में कैंसर जैसी बीमारियों का

मेरठ

 17-03-2023 09:52 AM
गंध- ख़ुशबू व इत्र

गंध का हमारे जीवन में अनन्य एवं असाधारण महत्त्व है। मनुष्य की तुलना में कुत्ते और बिल्ली जैसे कुछ ऐसे खास जानवर भी है, जो गंध को सूंघने की उनकी अद्वितीय शक्ति के लिए जाने जाते है। यहां तक कि आज इस संभावना में विभिन्न शोधकर्ताओं की रुचि भी बढ़ रही है कि कुत्ते, गंध की उनकी अविश्वसनीय क्षमता के कारण, मनुष्यों में कैंसर के संक्रमण को “सूँघने” में सक्षम हो सकते हैं या नहीं?
शोधकर्ताओं द्वारा इस तरह की संभावना पहली बार सन 1989 में जताई गई जब एक ऐसी घटना सामने आई जिसमें एक महिला को उसका पालतू कुत्ता लगातार सूंघ रहा था और उसने महिला को काटने की कोशिश भी की थी। जब इसके कारण पर विचार किया गया तब सामने आया कि उस महिला को मेलेनोमा (Melanoma ) यानी की त्वचा का कैंसर था। इसके अलावा भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई है, जब कुत्तों ने अपने मालिक के शरीर के विशिष्ट क्षेत्र को लगातार सूंघकर या वहां बार-बार अपने हाथ से मारकर कैंसर का पता लगाया है। कैंसर की गांठें या ट्यूमर (Tumors) परिवर्तनशील कार्बनिक यौगिकों (Organic compounds) का उत्पादन करती हैं, जो खून, मूत्र, साँस एवं पसीने के द्वारा शरीर के बाहर निकाले जाते हैं। माना जाता है कि कम मात्रा में भी इन यौगिकों में एक अलग गंध होती है; खासकर कैंसर के शुरुआती चरणों में जब कोशिकाएं विभाजित हो रही होती हैं। और इसी गंध को कुत्ते सूंघ लेते है।
कुछ अध्ययनों के परिणाम बताते है कि कुत्तों को इन यौगिकों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। पिछले एक दशक के अध्ययनों से पता चला है कि प्रशिक्षित कुत्ते मूत्र के माध्यम से मूत्राशय के कैंसर वाले रोगियों की पहचान कर सकते हैं। इसके अलावा प्रशिक्षित कुत्ते सांस के नमूनों को सूंघने से फेफड़ों के कैंसर, डिम्ब ग्रंथि के कैंसर तथा कोलोरेक्टल (Colorectal) कैंसर का पता लगा सकते हैं। और साथ ही कुत्ते ये काम बहुत उच्च सटीकता के साथ कर सकते है।
सांस, पसीने और मूत्र में कैंसर के ऊतकों की पहचान करने के लिए वैज्ञानिक आज रासायनिक विश्लेषण और नैनोटेक्नोलॉजी (Nanotechnology) का भी उपयोग कर रहे हैं। इसका उपयोग कैंसर का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण या अन्य परीक्षणों में किया जा सकता है। यदि वे उन रासायनिक परिवर्तनों की पहचान करने में सफल रहते हैं जिनके माध्यम से कुत्तों द्वारा गंध से ही कैंसर का पता लगाया जाता है, तो कुत्तों की गंध संवेदनशीलता के जैसे कंप्यूटर स्क्रीनिंग (Computer screening) उपकरणों को विकसित करना भी संभव हो सकता है। केवल कुत्ते ही नहीं, बल्कि कुत्तों के जैसे ही कुछ अन्य जानवर भी है, जो कैंसर का पता लगा सकते है। जैसे कि, एक रेशमी चींटी,जिसका वैज्ञानिक नाम फॉर्मिका फुस्का (Formica fusca) है, और जो पूरे यूरोप (Europe) में पाई जाने वाली एक सामान्य प्रजाति की चींटी है, को मूत्र में स्तन कैंसर की गंध की पहचान करना सिखाया जा सकता है। चींटियां और अन्य जानवर विभिन्न अस्थिर कार्बनिक यौगिकों को देखकर रोग के लक्षण समझ सकते हैं। रोग हमारे द्वारा उत्सर्जित यौगिकों को बदल सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक अलग गंध आती है। और इसी गंध को सूंघकर ये प्राणी रोग का पता लगाते है। और तो और केवल दस मिनट में ही एक चींटी को प्रशिक्षित किया जा सकता है। चींटियां उनके एंटीना (Antennae) पर घ्राण ग्राही (Receptors) द्वारा सूंघी गई गंध के माध्यम से इन कैंसर कारक रसायनों को सूंघती हैं ।
कैंसर का पता लगाने में सक्षम एक और जानवर एक विशालकाय अफ्रीकी चूहा (Giant Pouched Rat) है। ये चूहे कई तरह की मिली-जुली गंध का पता लगाने में सक्षम होते हैं, जो तपेदिक जैसे रोग को उत्पन्न करने वाले माइको बैक्टीरियम ट्यूबर कुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) जीवाणु से आती है । ये चूहे इतने सक्षम होते हैं कि केवल एक चूहा ही लगभग 20 मिनट में सौ रोगियों के नमूनों को जांच सकता है। जबकि, इतने ही नमूनों को जांचने के लिए एक मानव शोधकर्ता को चार दिन लग सकते है। इसी प्रकार मधुमक्खियां, सार्स कोरोना वायरस -2 (SARS-CoV-2) , जो कोविड–19 (COVID-19) जैसी महामारी का कारण है, को सूंघने में अच्छी होती हैं। चींटियों की तरह ही, मधुमक्खियां भी अपने एंटीना से सूंघती हैं और गंध के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। वे कोविड-पॉजिटिव नमूनों के जवाब में अपनी जीभ बाहर निकाल लेती है। मधुमक्खियों को भी कुछ ही मिनटों में प्रशिक्षित किया जा सकता है, और कुछ ही क्षणों में वे परीक्षण की जांच कर सकती हैं।
सीनोरैब्टाइटिस एलिगेंस (Caenorhabditis Elegans) मधुमक्खी से भी छोटा एक कृमि है, जो लगभग एक रेत के दाने के आकार का होता है। इसमें रोग से संबंधित जीन (Gene) होते हैं, जो वास्तव में लगभग हमारे जीन जैसे ही हैं, जिसके कारण यह जीव वैज्ञानिक अध्ययन के लिए एक मूल्यवान मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। इस जीव में कैंसर का पता लगाने की क्षमता भी है। यह अग्नाशयी कैंसर एवं स्तन कैंसर की कोशिकाओं का पता लगा सकता है।
दुनिया में आज कई जगहों पर प्राणियों की इन अद्भुत क्षमताओं का उपयोग कैंसर की जांच करने के लिए किया जा रहा है। एक जापानी बायोटेक (Biotech) कंपनी शुरुआती कैंसर का पता लगाने वाले एक परीक्षण, एन-नोज (N–Nose) की पेशकश कर रही है, जिसमें लोग उनके मूत्र के नमूने भेज सकते हैं और कीड़ों द्वारा इसका परीक्षण किया जा सकता है। साथ ही, एक इज़राइली स्टार्टअप ‘अर्ली’(Early) द्वारा चूहों को गंध-परीक्षण कर मूत्र के नमूनों से कैंसर का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, और चूहे 93% सटीकता के साथ ऐसा कर भी रहे हैं। वे किसी भी मानव निर्मित उपकरण की तुलना में सूंघने के मामले में 1,000 गुना अधिक संवेदनशील हैं।
प्रकृति वाकई में बहुत अद्भुत है। भविष्य में इन विशेष प्राणियों के माध्यम से हमारे शरीर में कैंसर जैसे रोग का पता लगाया जाएगा। और ऐसा होने पर इस प्रक्रिया में मशीनों तथा मनुष्यों द्वारा लगने वाले समय और पैसों को कम किया जा सकता है।

संदर्भ

https://bit.ly/3ZH15zz
https://on.natgeo.com/3ZIp7tI
https://bit.ly/3mPbL09

चित्र संदर्भ

1. कुत्ते और मनुष्य के आपसी स्पर्श को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
2. मनुष्य को सूंघते कुत्ते को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. कुत्ते की नाक को संदर्भित करता एक चित्रण (Hippopx)
4. विशालकाय अफ्रीकी चूहे को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. सीनोरैब्टाइटिस एलिगेंस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id