ठंडक के लिए बहुत लाभदायक है गर्मियों में खस का पौधा, कैसे कर सकते है आप इसका गर्मियों में उपयोग?

मेरठ

 14-03-2023 10:30 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

भारत में गर्मियों के मौसम के आते ही कोई शरबत को याद न करें, ऐसा तो होता ही नहीं। हममें से लगभग सभी लोग गर्मियों में हमारे शरीर को ठंडा रखने के लिए शरबत पीना पसंद करते ही है। ऐसे ही कुछ स्वादिष्ट एवं लाभदायक शरबतों में खस का शरबत भी काफी पसंद किया जाता है।
खसखस (Khuskhus) या खस एक प्रकार का सुगंधित पौधा होता है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवेरिआ जिजेनिऑयडीज (Vetiveria Zizanioides) है। यह गुच्छेदार लंबे पुष्प वाला बारहमासी पौधा है। इसका प्रकंद (Rhizoma) बहुत सुगंधित होता है। इस पौधे के प्रकंद से सुगंधित तेल भी प्राप्त होता है जिसका उपयोग इत्र बनाने में होता है। यह तेल प्रसाधन सामग्री बनाने व साबुन को सुगंध प्रदान करने में भी प्रयुक्त होता है। इसके प्रकंद में कुछ महत्त्वपूर्ण औषधीय गुण भी पाए जाते है, और इसी वजह से इसका उपयोग औषधि के रूप में भी प्राचीन काल से हो रहा है। खस के पौधे की जड़ों का उपयोग एक विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में किया जाता है जिसे ‘खस की पट्टी’ कहते हैं। कई लोग इस पट्टी को ग्रीष्म ऋतु में कमरे के दरवाजों तथा खिड़कियों पर लगाकर, इसे पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है। यह सघन गुच्छेदार घास या पौधा भारत के राजस्थान एवं अन्य राज्यों में पाया जाता है। राजस्थान में भरतपुर तथा अजमेर जिलों में यह पौधा खूब उगता है। इस पौधे के मजबूत डंठल लगभग 2 मीटर तक ऊंचे हो सकते है। जबकि,इनकी जड़े मजबूत एवं खंखरी होती हैं। खस तेल का उपयोग मतली , शूल व दुराग्राही उल्टियों में ठंडे पेय के रूप में भी किया जाता है। यह उद्दीपक, स्वेदनकारी व शीतलक माना जाता है। इसके अतिरिक्त आमवात, कटिवेदना व मोच में भी इससे मालिश करने पर आराम मिलता है।
खस जिसे संस्कृत में ‘उशीरा’ भी कहा जाता है, को गर्मियों में अमृत के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह गर्मी और गर्मी से संबंधित सभी स्वास्थ्य समस्याओं से हमें राहत दिला सकता है। इसे रक्त शोधक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यह रक्त से अतिरिक्त पानी को कम करने में मदद करता है और हमारे ह्रदय के लिए सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है। यह पित्त दोष को शांत करने के लिए सबसे प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है । इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। और इसे वेदों में गंधातृण के नाम से जाना गया है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी इसका उल्लेख मिलता है। साथ ही खस एक ऐसी जड़ी बूटी है जो एपिस्टेक्सिस (Epistaxis) और डायफोरेसिस (Diaphoresis) जैसे विकारों के इलाज में भी सहायक है। खस हमारे जठर (stomach) में एसिड एवं पाचक रस के उत्पादन को प्रबंधित करने और इस प्रकार जठर को मजबूत करने में मदद करता है। यह अपच, भूख और पित्त जैसी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह जड़ी बूटी एनोरेक्सिया (Anorexia), दस्त और बुखार की समस्याओं का भी इलाज करती है। यह अस्थमा, हिचकी और खांसी जैसे श्वसन संबंधी विकारों के इलाज में भी बहुत उपयोगी है। खस हमारी नसों को आराम देकर, हमारे मस्तिष्क और नसों को शांत और मजबूत करने में मदद करता है। इसलिए बेहोशी, चक्कर आने और मस्तिष्क विकार जैसी समस्याओं में भी खस बहुत मददगार है। खस प्यास और तापमान से जुड़े बुखार की समस्या में उपयोगी है। साथ ही त्वचा की चमक और बनावट में सुधार करने में भी यह जड़ी बूटी फायदेमंद है। इसी के साथ,यह प्रतिकारक के रूप में कार्य करता है और तपेदिक के मामले में भी सहायक होता है। गर्मियों में, पीने के पानी को ठंडा और सुगंधित रखने के लिए मिट्टी के बर्तन या मटके में ताजी खसखस ​​की जड़ों का एक गुच्छा डाला जाता है। गर्मियों में होने वाले मूत्र विकारों को दूर करने के लिए यह पानी बहुत उपयोगी होता है। खसखस का प्रयोग गर्मी से संबंधित चर्म रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। धूप के कारण त्वचा पर पड़ने वाले चकत्तों (Sun rashes) से छुटकारा पाने के लिए रोजाना नहाने के पानी में ताजी खसखस ​​की जड़ों को मिलाया जाता है।
खसखस ​​की सूखी जड़ों से बनी चटाइयों का उपयोग वॉटर कूलरों की जालियों में भी किया जाता है। खस के जड़ों से बने ये गद्दे जैसे ढाँचे ऐसे कूलरों में शैवाल और सूक्ष्मजीवों के विकास के कारण होने वाली दुर्गंध का भी मुकाबला करता है। खसखस ​​की जड़ों को बुनकर और उन्हें रस्सियों से बांधकर बनाई गई चटाइयों का इस्तेमाल भारत में गर्मियों के दौरान घरों के कमरों को ठंडा करने के लिए भी किया जाता है। ये चटाइयां आमतौर पर दरवाजे और खिड़कियों पर पर्दे के रूप में लटका दी जाती हैं। समय-समय पर इन पर्दों पर पानी का छिड़काव करके इन्हें नम रखा जाता है जिससे वे गुजरने वाली हवा को ठंडा कर देती हैं, साथ ही एक ताज़ी सुगंध भी उत्सर्जित करती हैं। खस के रेशों से बनी टोपी पहनने से कठोर और सीधी धूप से बचाव होता है। दोपहर की धूप में इसे पहनने से पहले इन टोपियों पर थोड़ा पानी छिड़का जाता है, क्योंकि यह हमारे क्षेत्र में आने वाली जानलेवा लू से बचाव करने में सक्षम होती है। सच में, खस का पौधा गर्मियों के दिनों में हमारे लिए काफी सहायक बन जाता है। और यह निश्चित तौर पर मानव निर्मित वस्तुओं से कई गुना अधिक प्रभावशाली है। क्या आप अब आपके घरों में तथा कुछ विशिष्ट समस्याओं में खस का उपयोग करेंगे? हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए इसके लाभों के बारे में जानकर आप अवश्य ही इसका उपयोग करेंगे।

संदर्भ
https://bit.ly/3kOci26
https://bit.ly/3yiE2z2
https://bit.ly/3YpBx8E
https://bit.ly/3yl8Uih

चित्र संदर्भ
1. खसखस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. खसखस के साथ खड़ी महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. खसखस की जड़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तेल की बोतल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. खसखस की पौंध को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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