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हमारे देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे भारतीय सैनिकों की आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद होने की दुखद खबरें, टीवी पर अक्सर दिखाई दे जाती हैं। इन घटनाओं को देखकर आपके मन में भी कभी न कभी यह ख्याल अवश्य आया होगा कि हम सैनिकों की जान को जोखिम में डालने के बजाय, सीमा पर मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) (Unmanned Aerial Vehicles (UAVs) अर्थात ड्रोन (Drone) की तैनाती क्यों नहीं कर देते हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी कि आधुनिक सैन्य स्वायत्त ड्रोन (Military Autonomous Drone (UAV) एक विशिष्ट लक्ष्य का निशाना साधने के लिए उड़ान भर सकते हैं, खुद ही अपना लक्ष्य चुन सकते हैं और बताए गए लक्ष्य को बिना इंसानी सहायता के भेद या नष्ट भी कर सकते हैं। इस विकास के साथ ही मशीनों द्वारा इंसानी सभ्यता का विनाश करने की कल्पना भी वास्तविकता में बदल चुकी है। आज स्वयं निर्णय लेने वाले “स्वायत्त ड्रोन" को तकनीक की सहायता से उनके मिशन को पूरा करने में आने वाली विभिन्न चुनौतियों से, अपने दम पर ही पार पाने के लिए प्रोग्राम (Program) किया जाता है। हालांकि, यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि क्या वास्तव में किसी स्वायत्त ड्रोन सिस्टम को अभी तक कार्य की मंजूरी मिली है या नहीं ।
हालांकि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ अब स्वीकृत स्वायत्त ड्रोन सिस्टम को प्रयोग करने में तकनीकी रूप से कोई भी रुकावट नहीं है। इस प्रकार के ड्रोनों में इंसानों की तरह सोचने या कार्य करने एवं निर्णय लेने की क्षमता उत्पन्न करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI) प्रणाली, जिसमें संज्ञानात्मक वास्तुकला (Cognitive Architecture) और तंत्रिका नेटवर्क (Neural Networks) भी शामिल हैं, का प्रयोग किया जाता है।
‘अमेरिकी रक्षा विभाग’ (US Department of Defense) के अनुसार, ‘ लीथल ऑटोनॉमस वेपन सिस्टम’ (एल ए डब्ल्यू एस) (Lethal Autonomous Weapon System(LAWS) एक ऐसी हथियार प्रणाली है, जो एक बार सक्रिय हो जाने पर, मानव सहायता के बिना ही लक्ष्य का चयन कर उसका विनाश कर सकती है।
आज मानव रहित ड्रोन-यूएवी आधुनिक युद्ध का हिस्सा बन गए हैं। उच्च ऊंचाई पर उड़ना, प्रभावी जानकारी एकत्र करने और खुद से निर्णय लेने की क्षमता इन मानवरहित लड़ाकू विमानों की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं।
भारत में नागरिक और सैन्य दोनों तरह के ड्रोन के व्यापार के लिए बहुत अधिक संभावनाएं है। 2025 तक, वैश्विक सैन्य ड्रोन का बाजार मूल्य 30 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। सेना को छोटे से लेकर बड़े और हाथ से चलाए जाने वाले ड्रोन से लेकर उच्च ऊंचाईयों तक उड़ने वाले सभी श्रेणियों के ड्रोन की जरूरत पड़ती है। हालांकि, इसके बावजूद भारत अभी भी विभिन्न सैन्य-श्रेणी के ड्रोन विकसित करने में पीछे ही है। भारत अब तक इजरायल (Israel) और अमेरिका से आयातित ड्रोन पर ही निर्भर है। जबकि हमारे अपने देश के भीतर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में ड्रोन निर्माण की क्षमता बहुत अधिक है।
अतः अब स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करने के लिए भारत ने बड़े पैमाने पर ड्रोन के आयात पर रोक लगा दी है। निवेश को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए घरेलू ड्रोन निर्माताओं को ड्रोन घटकों के आयात पर भी छूट दी गई है।
भारत के ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (Defence Research and Development Organisation (DRDO) द्वारा भी भारतीय सशस्त्र बलों के लिए मानव रहित हवाई वाहन (MALE UAV) का निर्माण किया जा रहा है। इस तरह के ड्रोन न केवल जासूसी , निगरानी और सैन्य पर्यवेक्षण के लिए आवश्यक होते है, बल्कि युद्धक क्षमताओं के साथ वायु-विरोधी रक्षा के लिए भी इनकी बहुत आवश्यकता है।
किंतु भारत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में उच्च मुकाम हासिल करने के बावजूद आज भी ड्रोन (MALE-Drones) विकसित करने में पीछे है। वहीं दूसरी ओर , तुर्की (Turkey) , संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और चीन (China) सहित कई देशों ने क्रमशः बायरक्तस (Beraktar), यभोन यूनाइटेड 40 (Yabhon United 40) और सीएच-5 और लूंग विंग II (CH-5 and Loong Wing II) जैसे आधुनिक सैन्य ड्रोन विकसित कर लिए हैं।
भारत के पास इसके जवाब में तापस-बीएच-201 (Tapas-BH-201) ड्रोन है, जिसे पहले रुस्तम-2 (Rustom-2) के नाम से जाना जाता था। यह एक मध्यम ऊंचाई पर उड़ने वाला और उच्च सहनशक्ति वाला ड्रोन है। समय के साथ तापस की क्षमता में विस्तार भी हुआ है क्योंकि इसे उपग्रह संचार (SATCOM) से जोड़ा गया है और इसमें लंबी दूरी के इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड (Electro-Optical Payload) का परीक्षण भी किया जा चुका है। मूल रूप से यह ड्रोन स्वदेशी गगन उपग्रह (GAGAN satellite) से जुड़ा है।
रुस्तम के अलावा डीआरडीओ की सबसे भविष्यवादी परियोजनाओं में घातक (Ghatak) नामक एक मानव रहित लड़ाकू वायु वाहन भी शामिल है। यह ड्रोन तुर्की के ‘टीबी2 बायरक्तस मिसाइल-सशस्त्र यूएवी’ (TB2 Bayraktar missile-armed UAV) के समान है जिसे रूसी-यूक्रेन (Russian-Ukraine) युद्ध में तैनात किया गया है। इन दोनों के अलावा डीआरडीओ और मुंबई स्थित एक निजी फर्म आइडियाफोर्ज (IdeaForge) द्वारा “नेत्र” (Netra) नामक एक हल्का (1.5 किग्रा), स्वायत्त यूएवी भी विकसित किया गया है। नेत्र यूएवी को 700 से अधिक प्रणालियों (Systems) में तैनात किया गया है, जिनमें भारतीय सेना के तीनों अंग - थल सेना, नौसेना और वायु सेना की प्रणालियां भी शामिल हैं।
समय के साथ ड्रोन के तेजी से विकास और बढ़ते उपयोग ने उनके उपयोग के बारे में गंभीर नैतिक प्रश्न भी उठाए हैं। ड्रोन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसकी स्वायत्तता और खुद से निर्णय लेने की क्षमता को सुधारने पर अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है। हालाँकि, वर्तमान रोबोट प्रौद्योगिकियाँ सीमित हैं, और ड्रोन के लिए स्थितियों का मूल्यांकन करने और मनुष्यों की तुलना में तेजी से या बेहतर नैतिक निर्णय लेने के लिए तकनीक अभी तक खुले तौर पर मौजूद नहीं है। मानव व्यवहार और निर्णय लेने की प्रक्रिया को ड्रोन के रूप में प्रतिपादित और प्रोग्राम करना बहुत मुश्किल है। हालांकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास के साथ ही ड्रोन के पूरी तरह से स्वायत्त होने की संभावना भी बढ़ रही है।
यद्दपि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अभी तक पूर्ण रूप से युद्ध क्षेत्र में प्रयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञ युद्ध के भविष्य पर एआई (AI) के संभावित प्रभाव की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
विशेषज्ञों को डर सता रहा है कि एक दिन मानव जीवन और मृत्यु से जुड़े निर्णय भी, मशीनों द्वारा लिए जाएंगे, जो प्रत्यक्ष रूप से मानवों के नियंत्रण में नहीं होंगे। इस तथ्य पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है, जिससे उसकी स्वायत्तता का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
कई लोग स्वायत्त ड्रोन का उपयोग करने को नए अवसर और संभावित लाभ के रूप में देखते हैं। जबकि अन्य लोग ऐसी तकनीक के विकास और उपयोग को सैद्धांतिक रूप से अनैतिक मानते हैं। स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking), एलोन मस्क (Elon Musk) और स्टीव वोज्नियाक (Steve Wozniak) जैसे प्रभावशाली लोगों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त स्वायत्त हथियारों का उपयोग करने को लेकर पहले से ही चेतावनी दे दी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वायत्त ड्रोन आने वाले समय में नैतिकता से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा करेगे।
स्वायत्त प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के तेजी से विकास का मतलब है कि निकट भविष्य में पूरी तरह से स्वायत्त हथियार एक वास्तविकता बन सकते हैं। याद रखें, कठोर से कठोर इंसान भी एक पल के लिए किसी की हत्या करने में दो बार सोचेगा, लेकिन यदि हमने इन ड्रोनों को मर्जी का मालिक बना दिया तो “दया” जैसे इंसानी भावों का तो प्रश्न ही नहीं उठता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3ydPKeg
https://bit.ly/3EZHyBX
https://bit.ly/3EVXchy
चित्र संदर्भ
1. संतुलन बनाते मानव रहित हवाई वाहन को संदर्भित करता एक चित्रण (TED)
2. कई मानव रहित हवाई वाहनों की तुलना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सैन्य ठिकानों का पता लगाते सैन्य उपग्रह को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
5. रुस्तम-2 (Rustom-2) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. “नेत्र” (Netra) नामक एक हल्का (1.5 किग्रा), स्वायत्त यूएवी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. मिसाइल लांच करते ड्रोन को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
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