| Post Viewership from Post Date to 13- Mar-2023 (5th Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1753 | 634 | 0 | 2387 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
बौद्ध धर्म में दृश्य छवियों के माध्यम से सभी की समझ में आने वाला, एक सहज एवं सरल, अवधारणाओं का सार प्रस्तुत किया जाता है। जिसके लिए बौद्ध परंपरा में अक्सर रंगों का प्रतीकों के रूप में उपयोग किया जाता है। बौद्ध धर्म में मौजूद रंगों की मुख्य अवधारणा इंद्रधनुषीय है जिसे ध्यान की अंतिम या सर्वोच्च संक्रमणकालीन अवस्था माना जाता है। व्यापक स्तर पर ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति को अंतिम या सर्वोच्च रोशनी (जिसका प्रतिनिधित्व सफेद रंग द्वारा किया जाता है और जो अनिवार्य रूप से सभी रंगों का संयोजन है) प्राप्त करने की आशा में, प्रत्येक रंग से जुड़ी विशेषताओं को प्राप्त करना चाहिए। बौद्ध धर्म अपनी अमूर्त अवधारणाओं को दृश्य छवियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है ताकि इन अवधारणाओं को अधिक सार्वभौमिक बनाया जा सकें। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात बौद्ध कला रूपों में से एक ‘व्हील ऑफ लाइफ’ (Wheel of Life ) चित्रकला है, जो मुख्य रूप से पुनर्जन्म चक्र के दौरान विभिन्न स्तरों की पीड़ा का प्रतिनिधित्व करती है। यह चित्रकला पारंपरिक रूप से प्रत्येकबौद्ध मंदिर के गर्भगृह के बाहर इस उद्देश्य के साथ रखी जाती है, कि मृत्यु निश्चित है, मृत्यु का समय अनिश्चित है, और मृत्यु के समय धर्म के अलावा कुछ भी काम नहीं आता। इस चित्रकला का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को मृत्यु और अनित्यता की याद दिलाना है।
इस चित्रकला पर छह खंड हैं जो अस्थायी पुनर्जन्म के छह चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं; जिनमें एक संवेदनशील व्यक्ति पुनर्जन्म चक्र के दौरान प्रवास कर सकता है। ‘व्हील ऑफ लाइफ’ चित्रकला के प्रत्येक खंड में, विशेष रंग का एक बुद्ध स्थित होता है, जो पुनर्जन्म के दौरान मनुष्य के आत्मज्ञान से पूर्ण रूप से पृथक होने का प्रतिनिधित्व करता है ।
इस चित्रकला में पहला खंड नरक के प्राणियों का है। ये प्राणी संसार में सबसे लंबे समय तक जीवित रहते हैं और सबसे भयानक शारीरिक पीड़ा को सहन करते हैं। हालांकि, जैसा कि सभी पुनर्जन्म चक्रों में होता है, यह केवल अस्थायी पीड़ा है। इस खंड में बुद्ध को काले रंग से रंगा गया है। काला रंग हत्या और क्रोध के साथ-साथ मौलिक अंधकार का भी प्रतीक है। नफरत और अज्ञानता के अंधेरे के साथ-साथ स्पष्टता और सच्चाई के जागरण में इन गुणों की भूमिका निभाने के लिए उग्र देवताओं को अक्सर काले रंग में प्रस्तुत किया जाता है।
अगला खंड भूखे प्राणियों से संबंधित है। हालांकि ये प्राणी नरक प्राणियों के समान कष्ट नहीं उठाते हैं, लेकिन फिर भी वे मुख्य रूप से भूख और प्यास से पीड़ित होते हुए लंबे और दयनीय जीवन जीते हैं। यहां बुद्ध लाल रंग के हैं, जो वशीकरण और आह्वान का प्रतिनिधित्व करते हैं। लाल रंग अधिकांशतः उत्साह और अनुष्ठानों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
चित्रकला के तीसरे खंड में जानवरों को चित्रित किया गया है जो भूखे प्राणियों से अधिक भाग्यशाली होते हैं। ये प्राणी विशेष रूप से नीरसता और अपने शरीर को अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने से पीड़ित हैं। इस खंड में बुद्ध को हरे रंग में चित्रित किया गया है। यह वह रंग है जो प्रकृति में विद्यमान पेड़ और पौधों से संबंधित हैं। इसके अलावा, हरा रंग युवा शक्ति और गतिविधि को दर्शाता है। इस खंड में बुद्ध को एक पुस्तक पकड़े हुए भी दिखाया गया है जो यह इंगित करता है, कि इन अज्ञानी जानवरों को ज्ञान की आवश्यकता है।
अगले खंड में मानव शामिल हैं जो जन्म, बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु सहित जीवन के माध्यम से निरंतर संघर्ष करने के कारण दुखी है। इस खंड में बुद्ध को पीले रंग में दर्शाया गया है जो संयम और पोषण का प्रतीक है । बौद्ध धर्म द्वारा पीला रंग विनम्रता और भौतिकवादी समाज से अलग होने के प्रतीक के रूप में चुना गया था। इसलिए इसे त्याग का प्रतीक भी कहा जाता है । इसके साथ ही पृथ्वी का रंग होने के कारण यह रंग पृथ्वी की समता का भी प्रतीक है।
मनुष्यों के खंड के ऊपर, यक्ष (Demi–gods) खंड है । हालांकि ये प्राणी देवताओं के साथ एक वातावरण साझा करते हैं किंतु वे केवल देवताओं को मिलने वाले सभी लाभों को देखकर सदैव ईर्ष्या से पीड़ित रहते हैं । इस खंड में बुद्ध नीले रंग में हैं। सांस्कृतिक सीमाओं के पार, नीला रंग अनंत काल, सत्य, भक्ति, विश्वास, पवित्रता, शांति, आत्मा और बुद्धि से जुड़ा हुआ है। ईर्ष्या के बावजूद यक्ष यदि केवल अपने मतभेदों को समाप्त करने में सफल रहते हैं, तो वे पुनर्जन्म के दौर में निर्वाण तक पहुंचने के करीब पहुंच जाते हैं ।
अंतिम खंड देवताओं से संबंधित है । वे जिस एकमात्र पीड़ा का अनुभव करते हैं, वह उनका यह ज्ञान है कि यदि वे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त नहीं हो पाए , तो उन्हें एक निचले स्तर पर पुनर्जन्म लेना पड़ेगा । ऐसा माना जाता है कि एक सुंदर वातावरण में रहने और अमृत का आनंद लेने के बावजूद ये देवता सबसे बड़ी मानसिक पीड़ा झेलते हैं क्योंकि वे इस तथ्य से अवगत हैं कि इस क्षेत्र में उनकी स्थिति केवल अस्थायी है। सुविधा के प्रयोजनों के लिए, इस क्षेत्र में बुद्ध सफेद हैं और शांति तथा सोच का प्रतीक हैं।
बौद्ध परंपरा में रंग प्रतीकवाद, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के साथ भी प्रयोग किया जाता है। हालांकि इसमें रंगों का अर्थ एवं प्रतिनिधित्व ऊपर बताए गए रंगो के अर्थ से थोड़ा अलग है लेकिन समग्र संदेश समान है:
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज में प्रयुक्त रंगों के अनुसार बौद्ध धर्म में विभिन्न रंग निम्न अर्थ रखते हैं -
नीला रंग: प्रेमपूर्ण दया और शांति की अवधारणा को दर्शाता है।
पीला रंग: मध्य मार्ग का प्रतीक है, अर्थात इस स्थिति में रूप और शून्यता का पूर्ण अभाव होता हैं।
लाल रंग: उपलब्धि, ज्ञान, सदाचार, भाग्य और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
सफेद रंग: शुद्धता और मुक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
नारंगी रंग: बौद्ध धर्म के सार, जो ज्ञान, शक्ति और गरिमा से भरा है, का प्रतीक माना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज में इन पांच रंगों का संयोजन इस बात का प्रतीक है कि यह केवल एकमात्र सत्य है।
इसके अलावा, बौद्ध धर्म में अक्सर पांच रंगों (पंच-वर्ण)- सफेद, पीला, लाल, नीला और हरा -के संदर्भ भी मिलते हैं। रंगों की गणना बदल सकती है लेकिन संख्या पांच ही रहती है। इस प्रकार पाँच पारलौकिक बुद्ध जो कि बुद्धत्व के अमूर्त पहलुओं के अवतार है, अपनी साधनाओं में एक अलग रंग से संपन्न हैं:
1. वैरोचन – श्वेत शरीर वाले,
2. रत्नसंभव – पीले शरीर वाले,
3. अक्षोभ्य – नीले शरीर वाले,
4. अमिताभ – लाल शरीर वाले,
5. अमोघसिद्धि – हरे शरीर वाले।
इन पांच बुद्धों और उनके संबंधित रंगों में से प्रत्येक रंग परिवर्तनकारी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाते हैं जिससे मानवीय भ्रम विशिष्ट सकारात्मक गुणों में परिवर्तित हो जाते हैं।
विशेष रूप से यह माना जाता है कि अलग-अलग सारों से संबंधित रंगों पर ध्यान देकर निम्नलिखित परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है:
- सफेद रंग अज्ञानता के भ्रम को वास्तविकता के ज्ञान में बदल देता है,
- पीला रंग घमंड को समानता के ज्ञान में बदल देता है,
- नीला रंग क्रोध को दर्पण जैसे ज्ञान में बदल देता है,
- लाल रंग आसक्ति के भ्रम को विवेक के ज्ञान में बदल देता है,
- हरा रंग ईर्ष्या को सिद्धि के ज्ञान में बदल देता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म में पांच रंगों का एक और अभिप्राय दिखाई देता है । तिब्बती पठार पर भौगोलिक वातावरण, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक विश्वास के प्रभाव के कारण, तिब्बती लोगों की अपनी एक अनूठी रंग अवधारणा है, जिसके अनुसार उन्होंने अलग-अलग रंगों को अलग-अलग अर्थ, महत्व और स्तर प्रदान किए हैं।
बौद्ध धर्म में, पश्चिमी शुद्ध भूमि (सुखावती) के नेता अमिताभ, लाल रंग के हैं, इसलिए लाल रंग शक्ति का प्रतीक है। तिब्बती बौद्ध धर्म में, लाल रंग एक राजा का प्रतिनिधित्व करता है। दक्षिण की स्थिति का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्नसंभव पीला है, इसलिए पीला दक्षिण का प्रतिनिधित्व करता है। पीला रंग समृद्धि, और साथ ही भूमि का प्रतीक है। तिब्बती बौद्ध धर्म में, पीला रंग एक महान भिक्षु का प्रतिनिधित्व करता है। सफेद रंग वज्रसत्व पूर्व की स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए पूर्व को सफेद रंग में व्यक्त किया जाता है। सफेद रंग तिब्बती संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। नीला रंग का स्थिर बुद्ध, मध्य स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है ।अमोघसिद्धि बुद्ध उत्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए हरा रंग उत्तर का प्रतिनिधित्व करता है। सुनहरा रंग अधिक शानदार गति का प्रतीक है। जबकि, तिब्बती लोगों के जीवन में काला रंग एक बहुत ही जटिल रंग है। कुछ लोग कहते हैं कि काला रंग प्रकाश को अवशोषित कर लेता है, जबकि दूसरे कहते हैं कि यह बुरी आत्माओं को दूर भगाता है।
उपरोक्त विश्लेषण से हम पाते हैं कि प्राचीन बौद्ध धर्म में रंगों के आध्यात्मिक महत्व पर बहुत जोर दिया गया है, जिसने स्वाभाविक रूप से बौद्ध सौंदर्यशास्त्र के विकास और अभ्यास को प्रभावित किया है । रंग प्रतीकवाद में रंगों का महत्व अचूक है। इन रंगों और उनके अर्थों का संयोजन हमें एक संतुलन की ओर ले जाता है। अतः इसका उपयोग संस्कृति के कुछ पहलुओं को परिभाषित करने के लिए किया जा सकता है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी सांस्कृतिक बाधाओं को पार कर सकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3minBj8
https://bit.ly/3ZtknIa
https://bit.ly/3Z7mXDM
चित्र संदर्भ
1. बौद्ध ध्वजों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. व्हील ऑफ लाइफ’ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. यम, मृत्यु के देवता को जीवन चक्र धारण किए हुए दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भावचक्र का एक चित्र जो प्रत्येक क्षेत्र में बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के उद्गम को दर्शाता है। (wikimedia)
5. बौद्ध रंगों के चक्र को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. श्रेणीगत बौद्ध ध्वजों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)