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प्रारंग देश-विदेश श्रृंखला 2-अपनी सी प्रतीत होने वाली बाटा कंपनी है मूल रूप से विदेशी

मेरठ

 22-02-2023 11:14 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

हमारे भारत में टाटा और बाटा की लोकोक्ति बड़ी मशहूर है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि “बाटा” (Bata), जो कि सुनने में एक आम सा भारतीय नाम प्रतीत होता है, वास्तव में एक विदेशी उत्पाद है। इसके बावजूद भारत में इसके लोकप्रिय होने की कहानी बेहद दिलचस्प है। जूते, परिधान और फैशन (Fashion) विकल्प निर्माता और विक्रेता कंपनी “बाटा कॉर्पोरेशन (Bata Corporation)” मूल रूप से चेक गणराज्य (Czech Republic) की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है जिसका वर्तमान मुख्यालय लॉज़ैन, स्विट्जरलैंड (Lausanne, Switzerland) में है।
बाटा कंपनी की स्थापना 21 सितंबर, 1894 के दिन ‘टी. एंड ऐ. बाट्या शू’ (T. & A. Baťa Shoe) के नाम से तीन भाई बहनों (टॉमस (Tomas,), ऐना (Anna) और एंटोनिन बाटा (Antonin Bat’a) के द्वारा चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia) के ज़िलिन (Zlín) नामक ग्रामीण शहर में हुई थी। शीघ्र ही यह कंपनी यूरोप की प्रतिष्ठित जूता निर्माता कंपनियों में से एक बन गई। सन 1909 में कंपनी ने निर्यात भी शुरू कर दिया। 1926-1928 तक, बाटा के कर्मचारियों की संख्या में 35% की वृद्धि हुई, और श्री बाटा तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia “चेकोस्लोवाकिया मध्य यूरोप में स्थित एक देश हुआ करता था जो अक्टूबर 1918 से 1992 तक अस्तित्व में रहा, जिसके पश्च्यात चेक और स्लोवाक अलग अलग राष्ट्र बन गए ।”) में चौथे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में उभरे। 12 जुलाई, 1932 को , निजी विमान हादसे में टॉमस बाटा की मृत्यु हो गई। इसके बाद एंटोनिन बाटा को व्यवसाय का अधिकांश हिस्सा विरासत में मिला और उन्होंने होल्डिंग कंपनी बाटा शू ऑर्गनाइजेशन (Bata Shoe Organisation) की स्थापना की। बाटा दुनिया भर में जूतों की अग्रणी निर्माता कंपनी है, और सालाना तकरीबन 150 मिलियन जोड़ी जूतों की बिक्री करती है। बाटा की पांच महाद्वीपों के 70 से अधिक देशों में 5,300 से अधिक दुकानें और 18 देशों में 21 कारखाने मौजूद हैं। वैश्विक स्तर पर बाटा कंपनी, 32,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है। भारत में बाटा का एक लंबा इतिहास रहा है। बाटा के संस्थापक टॉमस बाटा (Tomáš Baťa) ने पहली बार 1920 के दशक के अंत में जूते के कारखानों के लिए रबड़ और कैनवास (Canvas) की खरीदारी करने लिए भारत का दौरा किया। अपनी यात्रा के दौरान कई भारतीयों को नंगे पैर देखकर वह जान गए थे कि भारत उनके लिए एक बहुत बड़ा बाजार साबित हो सकता है। इसके बाद उन्होंने भारतीय लोगों के लिए किफायती जूते चप्पल बनाने का फैसला किया। बाटा ने 1931 में कलकत्ता के पास कोननगर में जूतों का पहला कारखाना स्थापित किया। इसके साथ ही भारत में पहली बार, रबर और कैनवास के जूते बनाने की शुरुआत हुई। बाद में इस कारखाने को कोलकाता के पास “बाटानगर” स्थानांतरित कर दिया गया। यह ISO: 9001 प्रमाणन प्राप्त करने वाला भारतीय जूता उद्योग का पहला विनिर्माण केंद्र भी था। 1936 के अंत तक बाटा ने इस कारखाने में चमड़े के जूतों का उत्पादन शुरू कर दिया। यह कारखाना अभी भी भारत के सबसे पुराने बाटा कारखानों में से एक माना जाता है। 1930 के दशक में बाटा के आगमन से पहले भारतीय जूता बाजार में जापानी आयात का वर्चस्व था, लेकिन इसके बाद बाटा ने पूर्वी भारत में जूतों का निर्माण शुरू कर दिया। 1939 तक भारत में बाटा की 86 दुकानों में लगभग 4,000 कर्मचारी कार्यरत थे। उस दौरान बाटा प्रति सप्ताह लगभग 3,500 जोड़ी जूते बेच रहा था। भारत में पहली बार स्वदेशी जूता मशीन भी बाटा द्वारा ही 1942 में बनाई गई थी। 1952 में बाटा ने एशिया में सबसे बड़े चर्म शोधन कारखानों (Tannery) में से एक की स्थापना की और 1980 के दशक तक भारत में जूतों का व्यापार फलता-फूलता रहा। जब यह कंपनी 1973 में सार्वजनिक हुई, तब कंपनी ने अपना नाम बदलकर बाटा इंडिया लिमिटेड (Bata India Limited) कर दिया। लेकिन 1990 का दशक बाटा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा और बाज़ार में इसकी धाक धीरे-धीरे कम होने लगी। हालांकि, वर्तमान में अकेले दक्षिण एशिया से ही बाटा कुल $600 मिलियन का राजस्व एकत्र करता है। दक्षिण एशिया में बाटा के 40 प्रतिशत (भारत: 1,300, पाकिस्तान: 410, बांग्लादेश: 264 और श्रीलंका: 65) से अधिक स्टोर (Store) अर्थात दुकाने हैं। आज, भी भारतीय बाज़ार में बाटा इंडिया सबसे बड़े फुटवियर विक्रेता (Footwear Retailer) के रूप में स्थापित है। भारत में इसके स्टोर अर्थात दुकाने सबसे महंगे एवं भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मौजूद हैं। यह स्टोर लगभग सभी महानगरों, छोटे शहरों और यहां तक कि कस्बों में पाए जा सकते हैं। आज कंपनी 30,000 से अधिक डीलरों के माध्यम से लाखों ग्राहकों को सेवा प्रदान करती है। बाटा के विस्तार और नाम के कारण कई लोग इसे भारतीय मूल की कंपनी मान लेते है। बाटा कंपनी द्वारा मूल रूप से भारतीय स्कूली बच्चों के लिए बनाया गया, विशिष्ट रबर टो गार्ड (Rubber Toe Guard) के साथ “पिनस्ट्राइप्ड स्नीकर (Pinstriped Sneaker) अब तक के सबसे अधिक बिकने वाले जूतों में से एक बन गया है । बाटा कंपनी के भारत-विशिष्ट उत्पादों में सैंडेक, स्पार्क्स, शोल, मोकासीनो, एंबेस्डर, बाटा कौम्फिट और ईवा लाइट (Sandak, Sparx, Scholl, Mocassino, Ambassador, Bata Comfit andEva-lite) शामिल हैं। इसके अलावा, बाटा इंडिया देश में बैलेरिना शू (Ballerina shoe) का पेटेंट कराने वाली पहली कंपनी थी। महामारी के दौरान कंपनी ने लॉकडाउन (Lockdown) से प्रभावित बिक्री के कारण पहली तिमाही में $13.6 मिलियन का शुद्ध घाटा दर्ज किया, लेकिन बाज़ार खुलने के बाद इसके जूतों की बिक्री फिर से बढ़ गई है। कई अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में बाटा का खुदरा विश्लेषिकी बाजार 2021 के $5.84 बिलियन से 17.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate (CAGR) से बढ़कर 2028 तक $18.33 बिलियन हो जाएगा।

संदर्भ
https://rb.gy/jaw0hk
https://rb.gy/bw3sxj
https://rb.gy/vsritr
https://rb.gy/3irnsl
https://rb.gy/gea3ic
https://rb.gy/ix08wi

चित्र संदर्भ
1. बाटा के विज्ञापन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. टी एंड ए बाटा के एक प्री-प्रिंटेड कार्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चेकोस्लोवाकिया के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बाटा के संस्थापक टॉमस बाटा की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. बाटा के कर्मचारी आवासों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पिनस्ट्राइप्ड स्नीकर को दर्शाता एक चित्रण (Amazon)

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