Post Viewership from Post Date to 22-Feb-2023 (5th)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1596 438 2034

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जम्मू और कश्मीर में खोजा गया लिथियम का भंडार भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांति ला सकता है

मेरठ

 17-02-2023 10:41 AM
खनिज

क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) का वैश्विक बाजार 21.7% की चौंका देने वाली चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate) से बढ़ रहा है। 2022 तक, भारत में 4.19 लाख इलेक्ट्रिक वाहन अर्थात ईवी (EV ) पहले ही बिक चुके हैं। हाल ही में जम्मू और कश्मीर में हुई लीथियम तत्व (Lithium Element) की खोज भारत में ईवी उत्पादन की क्षमता को कई गुना बड़ा सकती है।
इलेक्ट्रिक कारों में ‘ऊर्जा भंडारण प्रणाली’ (Energy Storage Systems) के तौर पर बैटरी का प्रयोग किया जाता है। वाहन के पूर्णतः इलेक्ट्रिक या ‘प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक’ (Plug-in Hybrid Electric (PHEV) होने के आधार पर बैटरी का प्रकार भी अलग-अलग हो सकता है। वर्तमान बैटरी तकनीक को विस्तारित जीवन (आमतौर पर लगभग 8 वर्ष या 100,000 मील) के लिए डिज़ाइन (Design) किया जाता है। मध्यम जलवायु में कुछ बैटरियां 12 से 15 साल तक या चरम जलवायु में 8 से 12 साल तक भी चल सकती हैं। इलेक्ट्रिक कारों में चार मुख्य प्रकार की बैटरियों (लिथियम-आयन (Lithium-Ion), निकल-मेटल हाइड्राइड (Nickel-Metal Hydride), लेड-एसिड (Lead-Acid) और अल्ट्राकैपेसिटर (Ultracapacitors) का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर लिथियम-आयन बैटरी, विशेष रूप से, उच्च विद्युत आवेश क्षमता (ऊर्जा) प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं। इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियां, स्टार्टिंग (Starting), लाइटिंग (Lighting) और इग्निशन (Ignition) बैटरियों से भिन्न होती हैं, क्योंकि उन्हें समय-समय पर उर्जा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियां छोटी और हल्की होती हैं, जिससे वह वाहन के वजन को कम करती हैं और इसके प्रदर्शन में भी सुधार करती हैं। आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों में (लिथियम-आयन और लिथियम पॉलिमर (Lithium Polymer) बैटरी का सर्वाधिक प्रयोग होता है, क्योंकि इनके वजन की तुलना में इनका ऊर्जा घनत्व अधिक होता है। इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली अन्य प्रकार की रिचार्जेबल बैटरियों (Rechargeable Batteries) में लेड-एसिड (Lead-acid), वॉल्व रेगुलेटेड लेड एसिड (Valve Regulated Lead Acid), निकेल-कैडमियम (Nickel-Cadmium), निकेल-मेटल हाइड्राइड (Nickel-metal Hydride), और कम सामान्य रूप से जिंक-एयर और सोडियम निकल क्लोराइड (Zinc-air and Sodium Nickel Chloride) शामिल हैं।
बैटरी में संग्रहीत ऊर्जा ( इलेक्ट्रिक चार्ज) की मात्रा को एम्पीयर घंटे (Ampere Hour) या कूलम्ब (Coulombs) में मापा जाता है, जिसमें कुल ऊर्जा अक्सर किलोवाट-घंटे (kWh) में मापी जाती है। 1990 के दशक के उत्तरार्ध से, छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Portable Electronic items ), लैपटॉप (Laptop), मोबाइल फोन और बिजली उपकरणों की बढ़ती मांग के कारण, लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी में भारी प्रगति हुई है। शुरुआती बैटरियों की तुलना में आज की निकल-कैडमियम (Nickel-Cadmium) या लिथियम-आयन आधारित बैटरी की ऊर्जा को प्रतिदिन उपयोग कर आसानी से फिर से रिचार्ज (Recharge) किया जा सकता है। इसी कारण दिसंबर 2019 तक, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी की लागत 2010 की तुलना में प्रति किलोवाट-घंटे के आधार पर 87% कम हो गई है।
आइए जानते हैं विभिन्न प्रकार की बैटरियों के बारे में- १. लिथियम-आयन बैटरी: इलेक्ट्रिक कारों में लिथियम-आयन बैटरी का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इन बैटरियों का उपयोग (मोबाइल और कंप्यूटर) जैसे अधिकांश पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स में भी किया जाता है। लिथियम-आयन बैटरी में स्व-निर्वहन (Self-Discharge) दर भी कम होती है, जिसका अर्थ है कि वे समय के साथ पूर्ण चार्ज बनाए रखने की क्षमता में अन्य बैटरियों से बेहतर हैं।
इसके अतिरिक्त, अधिकांश लिथियम-आयन बैटरी के पुर्जे रिसाइकिल (Recycle) किये जा सकते हैं, जो इन बैटरियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाते हैं। २. निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी (Nickel-Metal Hydride Battery): निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी, हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक वाहनों में अधिक व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन एक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine) और एक या अधिक इलेक्ट्रिक मोटर (Electric Motor) द्वारा संचालित होते हैं, जो बैटरी में संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करते हैं। निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरियों का जीवन-चक्र लिथियम-आयन या लेड-एसिड बैटरियों की तुलना में अधिक होता है। निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी की उच्च लागत और उच्च स्व-निर्वहन दर उनकी सबसे बड़ी समस्या है। साथ ही ये बैटरियाँ उच्च तापमान पर गर्मी भी उत्पन्न करती हैं। इन्ही कारणों से इन बैटरियों का प्रयोग रिचार्जेबल इलेक्ट्रिक वाहनों में नहीं किया जाता है। ३. सीसा अम्लीय बैटरी (Lead Acid Battery): वर्तमान में लेड -एसिड बैटरी केवल एक अन्य या एक्स्ट्रा बैटरी के पूरक के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जा रही हैं। ये बैटरी उच्च क्षमता, सस्ती, सुरक्षित और विश्वसनीय होती हैं। किंतु छोटे जीवन चक्र एवं मौसम के प्रति संवेदनशील होने के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों में इनका उपयोग करना मुश्किल हो जाता है। यह बैटरी अब केवल वाणिज्यिक वाहनों में द्वितीयक भंडारण (Secondary Storage ) के रूप में उपयोग की जाती हैं। ४.अल्ट्राकैपेसिटर बैटरी (Ultracapacitors Battery): अल्ट्राकैपेसिटर बैटरी पारंपरिक अर्थों में बैटरी नहीं हैं। इसके बजाय, वे इलेक्ट्रोड (Electrode) और इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) के बीच ध्रुवीकृत तरल (Polarized Liquid) को संरक्षित करते हैं। जैसे-जैसे तरल का सतह क्षेत्र बढ़ता है, ऊर्जा भंडारण की क्षमता भी बढ़ती है। लेड -एसिड बैटरी की भांति अल्ट्राकैपेसिटर, भी मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों में द्वितीयक भंडारण यंत्र के रूप में उपयोगी होते हैं। इसके अलावा, अल्ट्राकैपेसिटर त्वरण और पुनर्योजी ब्रेकिंग (Regenerative Braking) के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों को अतिरिक्त शक्ति प्रदान कर सकते हैं। औसतन 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारों को घर पर ही चार्ज किया जा सकता है। इन्हें नियमित रूप से चार्ज करने के लिए आप सौर पैनल का प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा करके आप अपनी ऊर्जा लागत बचाने के साथ-साथ, रिचार्जिंग प्रक्रिया में गैर-नवीकरणीय ईंधन के उपयोग को भी कम कर सकते हैं।
हाल ही में भारत के खनन मंत्रालय ने देश को एक बहुत बड़ी खुशखबरी प्रदान की है। दरअसल, देश के उत्तर में जम्मू और कश्मीर में तकरीबन 5.9 मिलियन टन लिथियम भंडार की खोज की गई है। भारत अभी तक लिथियम आयात के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) और अर्जेंटीना (Argentina) पर निर्भर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन से निपटने में लिथियम की खोज अहम भूमिका निभा सकती है। इस खोज के साथ ही कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) में कटौती के प्रयासों के तहत भारत 2030 तक निजी इलेक्ट्रिक कारों की संख्या में 30% की वृद्धि करने के अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकता है। खनन मंत्रालय ने लिथियम और सोने सहित 51 खनिज ब्लॉक को संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए थे। 51 खनिज ब्लॉकों (Mineral Blocks) में से 5 ब्लॉक सोने के हैं। अन्य ब्लॉक जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में फैले पोटाश (Potash), मोलिब्डेनम (Molybdenum) और बेस मेटल (Base Metals) जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं। चल रहे वित्तीय वर्ष के दौरान भारत 966 खनन कार्यक्रम शुरू करेगा, जिसमें 318 खनिज अन्वेषण परियोजनाएं और 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) ने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं भी तैयार की हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3RTwBqI
https://bit.ly/31X4MUc
https://bit.ly/3XqbsWn

चित्र संदर्भ
1. लिथियम खदान और इलेक्ट्रिक कार को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr, wikimedia)
2. इलेक्ट्रिक कार में लिथियम-आयन बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लिथियम पॉलीमर बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लिथियम-आयन बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सीसा अम्लीय बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. अल्ट्राकैपेसिटर बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. लिथियम के चूर्ण को दर्शाता एक चित्रण (today.ucsd.edu)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id