दुनिया में विचित्र तरह के कई कवक होते है जोकि अपनी -अपनी विशेषताओं के कारण सुर्खियों में रहते है। कुछ इसी तरह का है ज़ोंबी कवक (zZombie fungus) जो कि बड़ा ही विचित्र हैं। आपको सुन कर हैरानी होगी, पर यह कवक बहुत भयानक और भयावह है, क्योंकि यह कवक कीटों के मस्तिष्क को अपने वश में कर उनकी मांसपेशियों के ऊतकों पर हमला करके कीटों पर अपना नियंत्रण कर लेता है।
मारधाड़ और रहस्य से भरपूर ओटीटी प्लेटफार्म पर आपके लिए एक ऐसी वेब सीरीज आ चुकी है जिसका नाम है “द लास्ट ऑफ अस” (The Last of Us)। यह ड्रामा सीरीज एक चलचित्र खेल (Video Game)पर आधारित है, जिसे 2013 में शुरू किया गया था। सुनने में आया है कि यह शो और वीडियो गेम ज़ोंबी कवक (Zombie fungus) से प्रेरित है जो मूलरूप से जीनस ‘कॉर्डिसेप्स’ (Cordyceps) का एक कवक है । इस खेल का आश्चर्यजनक हिस्सा यह है कि इस खेल में मानव मस्तिष्क आसानी से इसके द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे बीच वास्तविक दुनिया में भी एक ऐसा कवक मौजूद है, जो कीटों के मस्तिष्क को आसानी से नियंत्रित कर सकता है। उट्रेच विश्वविद्यालय (Utrecht University) में जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर चैरिसा डि बेकर (Charissa de Bekker) ने सीएनएन (CNN) को बताया कि मनुष्यों को अभी इस कवक को लेकर भयभीत होने की ज़रूरत नहीं है। चूंकि कवक बहुत विशिष्ट प्रजाति के होते हैं, इसलिए हमारा मानव शरीर उनके लिए सही स्थान नहीं है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी है कि भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस कवक में उत्परिवर्तन हो सकता है, जिसका भयानक परिणाम आप इस शो और वीडियो गेम के दृश्य में देख सकते है।
ज़ोंबी कवक, जो कि बड़ा ही विचित्र होता हैं, का वैज्ञानिक नाम ‘ऑफियोकॉर्डिसेप्स यूनीलेटरेलिस’ (Ophiocordyceps unilateralis) है। ये एक ऐसा फंगस है जो विभिन्न कीड़ों, विशेष रूप से चींटियों के व्यवहार को संक्रमित और नियंत्रित करता है। इस कवक का ज्ञान विज्ञान जगत में 19वीं शताब्दी में भी उपलब्ध था, लेकिन हाल ही में अपने अनूठे और जटिल जीवन चक्र के कारण इसने वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है। ऑफियोकॉर्डिसेप्स कवक का जीवन चक्र तब शुरू होता है जब कवक के बीजाणु एक मेजबान चींटी पर आ जाते हैं। एक बार जब बीजाणु अंकुरित हो जाते हैं, तो वे चींटी के शरीर में बढ़ने लगते हैं और पूरे शरीर में फैल जाते हैं। जैसे ही कवक बढ़ता है, चींटी के व्यवहार में परिवर्तन करना शुरू कर देता है, अंततः ये कवक चींटी को नियंत्रित करने लगता है और एक सप्ताह के बाद चींटी को अपने झुंड को छोड़ने तथा पास के घास या पत्ती के शीर्ष पर चढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जहां कवक के बढ़ने के लिए सही तापमान और नमी होती है।
एक बार जब चींटी घास के ऊपर पहुँच जाती है, तो कवक चींटी के शरीर पर पूरा नियंत्रण कर लेता है और अंत में चींटी मर जाती है। चींटी के मरने के बाद भी, कवक का बढ़ना जारी रहता है, चींटी के सिर से एक डंठल निकलता है। डंठल बीजाणु पैदा करता है, जो बाद में पर्यावरण में फ़ैल जाते हैं, और फिर से इस कवक का जीवन चक्र नए सिरे से शुरू होता है। यह फंगस विकसित होने पर देखने में बहुत ही डरावना लगता है। इसी कारण इसे ज़ोंबी ऐंट भी कहते है क्योंकि यह चींटी के दिमाग से छेड़छाड़ किये बिना उस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है।
ऑफियोकॉर्डिसेप्स कवक दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में पाए गए हैं, जिनमें दक्षिण अमेरिका (South America), अफ्रीका (Africa) और एशिया (Asia) के उष्णकटिबंधीय वन शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने ऑफियोकॉर्डिसेप्स की 500 से अधिक विभिन्न प्रजातियों की खोज की है, जिनमें से प्रत्येक प्रजाति चींटी की एक विशिष्ट प्रजाति को संक्रमित करती है। कवक चींटियों के व्यवहार को कैसे नियंत्रित कर सकता है इसका अध्धयन अभी भी किया जा रहा है । हालांकि, अभी तक कोई भी इसे पूरी तरह नहीं समझ पाया है किंतु यह माना जाता है कि कवक चींटियों के मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitters) की नकल करने वाले रसायनों का उत्पादन करता है, जिससे यह चींटी के तंत्रिका तंत्र में हेरफेर कर सकता है। ऑफियोकॉर्डिसेप्स कवक के अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कीट विज्ञान, कवक विज्ञान और यहां तक कि चिकित्सा में निहितार्थ हैं कि यह कवक विभिन्न बायोएक्टिव यौगिकों (bioactive compounds) का उत्पादन करता है जिनमें संभावित औषधीय गुण भी होते हैं। ‘पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी’ (Pennsylvania State University) के एक कीटविज्ञानी (Entomologist) ‘डेविड ह्यूजेस’ (David Hughes) वर्षों से इस कवक का अध्ययन कर रहे हैं। वह जानना चाहते है कि यह कवक चीटियों को कठपुतलियों के समान कैसे नियंत्रित करता है । उनके नवीनतम प्रयोगों से पता चलता है कि यह पहले की तुलना में कहीं अधिक भयावह हो चुका है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि यह घातक कवक मक्खियों के दिमाग को भी संक्रमित और नियंत्रित करता है, और यह सिर्फ इसकी भयानक प्रजनन रणनीति की शुरुआत है। इसके बीजाणु, जो संक्रमित मादा मक्खियों की लाशों से निकलते हैं, एक आकर्षक गंध का उत्सर्जन करते हैं जो नर मक्खियों को लाशों के साथ संभोग करने के लिए आकर्षित करती है।
जब ये कवक मादा मक्खियों को संक्रमित करता है, तो उनके व्यवहार में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है, यह मक्खियों को एक ऊंचे पौधे के तने या टहनी जैसी ऊंची सतह पर चढ़ने के लिए मजबूर करता है। मक्खी ऊपर पहुंच कर मर जाती है, उसके बाद यह उसके शरीर से उगने वाले फंगल बीजाणुओं को बेहतर तरीके से फैला देता है। लेकिन मादा मक्खियों की मृत्यु के साथ इसका आतंक समाप्त नहीं होता है। यह कवक मादाओं द्वारा उत्पादित उन रसायनों का उत्सर्जन करता है जो वे संभोग के लिए तैयार होने पर करती हैं। यह गंध अत्यंत शक्तिशाली होती है जिससे पुरुष मक्खियां आकर्षित हो जाती है और वे मृत मादा से संभोग करने लगते है, बदले में नर संक्रमित हो जाते हैं और अपने मित्रों और पड़ोसियों के बीच कवक बीजाणुओं को फैलाने के लिए उड़ जाते हैं। ‘कोपेनहेगन विश्वविद्यालय’ (University of Copenhagen) के एक सूक्ष्मजीवविज्ञान शोधकर्ता एंड्रियास नौंड्रुप हैनसेन (Andreas Naundrup Hansen) ने कहा, कि प्रयोगशाला में स्वस्थ नर मक्खियों को, मृत संक्रमित मादाओं के साथ मिलन करने में असामान्य रूप से रुचि थी । कवक बीजाणु मक्खी के बहिःकंकाल पर सवार होकर अंकुरित होते हैं और फिर मक्खी की सख्त बाहरी उपत्वचा को तोड़कर इनको संक्रमित करते हैं। हैनसेन ने बताया कि यह कवक मक्खी के हेमोकोएल (hemocoel) के अंदर बढ़ने लगता है और मक्खी के शरीर से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। संक्रमित मक्खी लगभग पांच से आठ दिन बाद मर जाती है, और मृत कीट से बीजाणु मृत्यु के लगभग दो घंटे बाद निकलने लगते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3IiX4Lp
https://bit.ly/3lwBc6k
https://bit.ly/3HSDYu0
चित्र संदर्भ
1. फंगस के द्वारा शिकार की गई चींटी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. उपत्ती की नस से जुड़ी मृत चींटी के नज़दीकी दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ऑफियोकॉर्डिसेप्स यूनीलेटरेलिस’ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फंगस के द्वारा शिकार की गई एक अन्य चींटी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक कीड़े का शिकार करती ‘ज़ोंबी फंगस’ को दर्शाता करता एक चित्रण (Free SVG)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.