विश्व कैंसर दिवस: भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं, खंडित देखभाल के बीच कैंसर की बढ़ती चिंता

मेरठ

 04-02-2023 10:31 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

भारत में हर साल कैंसर के लगभग 13,00,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं और लगभग 8,50,000 लोगों की कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है । कैंसर के कारण रुग्णता और मृत्यु दर में नाटकीय वृद्धि समाज के लिए चिंता का विषय है। इसके साथ ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार हेतु चिकित्सकों की कमी और उपचार तक मुश्किल पहुंच ने लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।
हमारे शहर मेरठ से होकर बहने वाली गंगा की एक सहायक नदी, ‘काली नदी’ के किनारों पर सटे गाँव और शहर, कैंसर और त्वचा रोग की असामान्य रूप से उच्च घटनाओं से जूझ रहे हैं। एक प्रयोगशाला परीक्षण द्वारा पुष्टि की गई है कि इस नदी के पानी में लेड (Lead) की मात्रा स्वीकार्य सीमा से 32 गुना अधिक है, आर्सेनिक (Arsenic) सुरक्षित सीमा से छह गुना अधिक है और ऑक्सीजन का स्तर शून्य से नीचे है। सीधे शब्दों में कहें तो “काली नदी का पानी जहरीला हो गया है।” राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड और नीर फाउंडेशन (National Board of Accreditation and Neer Foundation) की एक सामूहिक रिपोर्ट में यह पाया गया कि नदी के पानी में 3.2 मिलीग्राम प्रति लीटर लेड (सुरक्षित सीमा 0.1 मिलीग्राम प्रति लीटर है), आर्सेनिक 1.2 मिलीग्राम प्रति लीटर (अनुमेय सीमा 0.2 मिलीग्राम प्रति लीटर) और 15 मिलीग्राम प्रति लीटर ग्रीस (Grease) था।इसकी वजह से भूजल तक दूषित हो गया है, जिसके कारण अकेले मेरठ जिले के कम से कम 30 गांव प्रभावित हुए हैं। नदी के पास के एक ग्रामीण द्वारा बताया गया कि “ यहां पानी गुलाबी रंग में बहता है। नदी के किनारों पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति 60 वर्ष से अधिक जीने की उम्मीद नहीं कर सकता है। आसपास के इलाकों में त्वचा रोग और कैंसर के बहुत सारे मामले सामने आये हैं। लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक इसका कोई भी समाधान नहीं निकल पाया है।” कैंसर की समस्या केवल मेरठ शहर में ही मौजूद नहीं है, बल्कि पूरे भारत में, अनुमानित 2.5 मिलियन कैंसर के मामले हर समय मौजूद होते हैं, वहीं सालाना 13,00,000 से अधिक नए मामलों का निदान किया जाता है और सालाना 8,50,000 मौतें होती हैं। साथ ही लगभग 15 लाख रोगियों को निदान, उपचार और अनुवर्ती देखभाल की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम (National Cancer Registry Program) से पता चलता है कि भारत में पुरुषों में प्रमुख रूप से मुंह, फेफड़े, अन्नप्रणाली और पेट तथा महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा, स्तन और मुंह का कैंसर होता है । भारत में कैंसर से होने वाली 50% से अधिक मौतों के लिए इस प्रकार के कैंसर ही जिम्मेदार हैं। राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम की रिपोर्ट में भारत में 2020 में 13,92,179 नए कैंसर के मामले होने का अनुमान लगाया गया था। इसके बावजूद, देश में कैंसर निदान और देखभाल सुविधाएं अभी भी सीमित हैं, और मुख्य रूप से बड़े शहरों में केंद्रित हैं। कैंसर जागरूकता की सामान्य कमी और कैंसर के उपचार की उच्च लागत के साथ, उच्च आय वाले देशों की तुलना में कैंसर की घटनाओं के अनुपात में भारत में मृत्यु दर बहुत अधिक है। स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमित उपलब्धता पहले से ही कैंसर रोगियों के लिए एक समस्या थी, और अब कोविड-19 महामारी ने उनके संकट को और बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति एक लाख पुरुषों पर 94.1 पुरुष और प्रति एक लाख महिलाओं पर 103.6 महिलाएं किसी न किसी प्रकार के कैंसर से प्रभावित हैं। हालांकि, कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं, और उनमें से सभी घातक नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद भारत में मृत्यु दर काफी अधिक है। भारत में वयस्क मौतों में कैंसर का योगदान 8% है । उच्च मृत्यु दर के पीछे एक और कारण इलाज का डर भी है। इसके अलावा कई लोग कीमोथेरेपी (Chemotherapy) के दर्द से भी डरते हैं। ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (Indian Council of Medical Research (ICMR) 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर की दर बढ़ रही है और 2025 तक इसके 1.57 मिलियन मामलों तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2020 में 1.39 मिलियन मामलों से कहीं अधिक है। राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम के तहत भारत ने अपनी आबादी के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित स्वास्थ्य देखभाल समाधानों में तेजी लाने के लिए ‘फर्स्ट कैंसर केयर’ (First Cancer Care (FCC) नामक एक अभिनव कैंसर देखभाल पहल शुरू की है, जिसके तहत स्वास्थ्य सुविधाओं को इन सभी बढ़ते रोगियों तक पहुंचाने की उम्मीद है । सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं और खंडित देखभाल प्रावधानों के कारण भारत का कैंसर बोझ बेहद जटिल है। घने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फैली आबादी के साथ, निदान और उपचार में देरी आम बात है, खासकर उन रोगियों के लिए जो उचित देखभाल और उपचार के लिए लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर हैं। फर्स्ट कैंसर केयर (एफसीसी) ने लाखों रोगियों के इलाज के तरीके को फिर से आकार देने और कैंसर देखभाल की दक्षता में सुधार के लिए व्यावहारिक समाधान के लिए कैंसर देखभाल मूल्य मार्गों (Cancer Care Value Pathways) की परिकल्पना की है। कैंसर देखभाल मूल्य मार्गों में सिफारिशें तीन श्रेणियों (जनसंख्या स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण और आंकड़ों का संकलन (Data Pathway) में रखी गई हैं। इस परिकल्पना में मौखिक, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, ग्रसनी (Esophageal) और फेफड़ों का कैंसर शामिल है और यह तीनों श्रेणियों के ‘कैंसर देखभाल मूल्य मार्गों’ में नवाचारों का उपयोग करती है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर देखभाल संबंधी जागरूकता की कमी, शीघ्र निदान के लिए बुनियादी ढांचे की कमी, वैकल्पिक प्रणालियों की व्यापकता और झोलाछाप उपचार, तथा गरीबी और संसाधन की कमी के कारण एक चिंता का विषय है। कैंसर की रोकथाम के लिए रणनीतियों में कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और कैंसर के स्क्रीनिंग शिविर (Screening Camp) लगाना, तम्बाकू नियंत्रण को प्राथमिकता देना, राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम का मूल्यांकन करना, स्वास्थ्य सेवा में शामिल व्यक्तियों और गांवों में सम्मानित व्यक्तियों को शिक्षित करना तथा प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों का उपयोग करना शामिल है। कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसकी रोकथाम करने, पता लगाने और इलाज के लिए प्रोत्साहित करने लिए आज के ही दिन प्रतिवर्ष विश्व कैंसर दिवस भी मनाया जाता है। कैंसर के कई मामलों को रोका जा सकता है । अगर इस बीमारी का जल्दी पता चल जाए, तो इसका इलाज किया जा सकता है और कईयों को ठीक भी किया जा सकता है। रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के लिए सही तरीकों का उपयोग करके हम कई लोगों की जान बचा सकते हैं। हम अब कैंसर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अनुसंधान और नवाचारों के साथ, हम जोखिम को कम करने, कैंसर को रोकने और उपचार और देखभाल में सुधार करने में और भी अधिक प्रगति कर सकते हैं। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाले कैंसर नियंत्रण कार्यक्रमों को लागू करना महत्वपूर्ण है। यह कैंसर की घटनाओं को काफी कम कर सकता है और शुरुआती पहचान में सुधार कर सकता है, जिससे सफल उपचार की संभावना बढ़ जाती है। सफलता के लिए मजबूत राजनीतिक समर्थन, वित्तीय समर्थन और क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों, निजी चिकित्सकों, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग भी आवश्यक है। इसके अलावा, बीमारी की गंभीरता और उपचार को बेहतर ढंग से समझने के लिए अधिक नैदानिक और पारंपरिक अनुसंधान की आवश्यकता है।

संदर्भ
https://bit.ly/40ebCCL
https://bit.ly/403Y90t
https://bit.ly/3Rg5SEo
https://bit.ly/3WH3c3T

चित्र संदर्भ
1. कैंसर पीड़ित बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. काली नदी, को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. स्तन कैंसर के एक नमूने में एक बड़ा आक्रामक डकटल कार्सिनोमा (वाहिनिपरक कर्कट) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कैंसर कोशिका के जीवन चक्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अस्पताल में भर्ती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (Hippopx)
6. स्क्रीनिंग शिविर को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)

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