भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है कि यहां पर कोस-कोस पर पानी और वाणी बदलने के साथ ही स्वाद और व्यंजन भी बदलने लगते हैं। लेकिन स्वाद में विविधता होने के बावजूद समोसे जैसे मसालेदार व्यंजन पूरे भारत को एकजुट रखने में अहम् भूमिका निभाते हैं। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भले ही, “समोसा" शब्द ठेठ भारतीय प्रतीत होता हो, लेकिन इसकी उत्पत्ति भारत में नहीं हुई थी।
21 अप्रैल, 1526 को मुग़ल, भारत में अपने आगमन के साथ ही पाक तकनीकों की एक विस्तृत श्रृंखला भी लेकर आए। लेकिन तब भी समोसा इन सभी में सबसे लोकप्रिय व्यंजन था । 16वीं शताब्दी का मुगल दस्तावेज़ ‘आईन-ए-अकबरी’ अपने समय में इस कालातीत व्यंजन की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
14वीं शताब्दी में मोरक्को (Morocco) का खोजकर्ता इब्नबतूता (Ibn Battuta) अफगानिस्तान के ऊंचे पहाड़ों से होते हुए भारत आया था और उसने कुख्यात मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में भोजन का आनंद लिया था। अपनी यात्रा स्मृतियों में बतूता भोजन का एक विशद वर्णन देते हुए लिखता है: “दिल्ली सल्तनत के प्रसिद्ध सांबुसक मसालेदार थे, कीमा बनाया हुआ मांस, बादाम, पिस्ता और अखरोट से भरे छोटे-छोटे ‘पाई’ (Pie) रात के खाने में पुलाव से पहले परोसे जाते थे। प्रसिद्ध सूफी कवि अमीर खुसरो ने भी दिल्ली सल्तनत के राजाओं का इस स्वादिष्ट पकवान के प्रति प्रेम का अवलोकन किया था ।
इसी बीच, भारत के अन्य हिस्सों में, पुर्तगाली उपनिवेशकों ने एक प्रकार का कंद पेश किया, जो भारतीय थाली में एक क्रांति से कम नहीं था। यह अमेरिका (America) के अब तक के सबसे बड़ा साम्राज्य ‘इंका साम्राज्य’ (Inca empire) के खाद्य पिरामिड का मूल हुआ करता था और पुर्तगालियों ने इसे बटाटा नाम दिया था। अगले कुछ सौ वर्षों में, बटाटा, जिसे उत्तर भारत में आज आलू के नाम से जाना जाता है, लगभग सभी भारतीय व्यंजनों का नायक बन गया। इसने हमारे नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने को बदल दिया और हर संभव तरीके से मांस के व्यंजनों पर जमकर प्रहार किया।
लंदन में ब्रिटिश लाइब्रेरी (British Library in London) में ‘निमात्नामा’ (Nimatnama) नामक मध्यकालीन नुस्खों की एकमात्र ज्ञात प्रति है जिसे ‘बुक ऑफ डिलाइट्स’ (Book of Delights) भी कहा जाता है। । इस पुस्तक में मालवा पर 1469 से 1500 तक शासन करने वाले सुल्तान ‘घियास अल-दीन खिलजी’ द्वारा आनंदित विभिन्न खाद्य पदार्थों और पेय के लिए खाना पकाने के तरीके शामिल हैं। इसमें स्ट्यू (Stew), कबाब, शोरबा, साग, शर्बत, मिठाई और यहां तक कि कामोत्तेजक और चिकित्सा उपचार के व्यंजन भी शामिल हैं। इस किताब में समोसे बनाने की आठ अलग-अलग विधियां (Recipes) दी गई हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी में भी आलू शामिल नहीं है, जो आज समोसे का मुख्य घटक है।
व्यंजनों में आलू की अनुपस्थिति दर्शाती है कि भारतीय रसोई सदियों से वैश्विक और बहुसांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र रही है। 18वीं शताब्दी तक भारत में आलू व्यापक रूप से ज्ञात नहीं थे, जब तक उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) द्वारा चावल के विकल्प के रूप में प्रचारित नहीं किया गया था। टमाटर, मिर्च, काजू, मूंगफली, पपीता, अमरूद और चीकू आदि भी दक्षिण अमेरिका (South America) में उत्पन्न हुए और यूरोपीय व्यापारियों और उपनिवेशवादियों के माध्यम से भारत आए। 15वीं शताब्दी में काली मिर्च की खोज में भारत आए पुर्तगालियों ने भी इन नई सामग्रियों को पेश किया।
निमात्नामा, मध्य एशिया (Central Asia) , फारस (Persia) और भारत से सामग्री के संश्लेषण को दर्शाता है। समोसा, जिसे मध्य एशियाई मूल का माना जाता है, में मसालों और गुलाब जल के साथ दूध का खोया (Khoya) का भराव, घी में पकाया गया पिसा हुआ गेहूं, हिरण और भेड़ का मांस, और मसालेदार क्रीम और नारियल से भरे मीठे संस्करणों का भी भराव किया जाता था। मुगल साम्राज्य का भारतीय व्यंजनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और मध्य एशियाई और फारसी प्रभावों को स्थानीय स्वादों के साथ जोड़ा गया।
बादशाह अकबर ने अपनी रसोई में स्थानीय सामग्रियों को शामिल किया और महीने में कई दिन शाकाहारी रहना चुना। आज आधुनिक समोसा मसले हुए आलू, हरी मटर, प्याज, हरी मिर्च और मसालों के मिश्रण और चटनी के साथ आनंद लेने के लिए एक स्वादिष्ट नाश्ता है । पूर्वी भारत में, समोसा (या सिंगारा) पकाने की तकनीक आटे में हींग के उपयोग और आलू तैयार करने के तरीके में भिन्न है। बंगाल में, आलू को मसला नहीं जाता है बल्कि आटे में भरने से पहले आलू को पहले छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। दक्षिण में, समोसे स्थानीय मसालों के साथ बनाए जाते हैं और इसकी भरावन में प्याज, गाजर, गोभी और करी पत्ते का उपयोग किया जाता हैं, और इन्हें आमतौर पर बिना चटनी के ही खाया जाता है।
आज, स्वादिष्ट सामग्री से भरा त्रिकोणीय आकार का समोसा, अरबों डॉलर का वैश्विक नाश्ता बन गया है। दक्षिण अफ्रीका(South Africa) से लेकर कनाडा(Canada) और यूके(United Kingdom) तक, सभी जातियों और संस्कृतियों के लोगों द्वारा व्यापक रूप से समोसे को पसंद किया जाता है। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) भी अंतरिक्ष में समोसे को लेकर गई थीं। भारत में, समोसे का 3.65 बिलियन डॉलर का बाजार होने का अनुमान है। साथ ही अनुमान है कि भारत में लगभग60 मिलियन समोसे प्रतिदिन बिकते और खपत होते हैं। बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप (Startup) “समोसा सिंह” ने 2020 में समोसे से 2.7 मिलियन डॉलर जुटाए, जबकि ऐसे ही एक अन्य स्टार्टअप ‘समोसा पार्टी’ ने 2021 में 2 मिलियन डॉलर जुटाए। कनाडा में, आलिया फूड्स (Alia Foods) ने 100 मिलियन से अधिक समोसे बेचकर 50 मिलियन डॉलर के वार्षिक राजस्व का अनुमान लगाया था। यूके में, वेल्स में स्थित एक छोटी कंपनी, ‘समोसाको’ (SamosaCo) ने इस साल की शुरुआत में समोसे की बिक्री से 700,000-750,000 पाउंड राजस्व होने का अनुमान लगाया गया था। समय के साथ समोसा एक बहुमुखी नाश्ता साबित हुआ है, जो विभिन्न समुदायों की जरूरतों और आदतों के अनुकूल रहा है। इसे पैक करना और फ्रीज (freeze) करना आसान रहता है, जिससे वे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आदर्श बन गये हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3Y67RO0
https://bit.ly/3JKfENJ
https://bit.ly/3HKFxLV
चित्र संदर्भ
1. समोसे की दुकान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लेट में रखे गए समोसों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. निमात्नामा’ (Nimatnama) नामक मध्यकालीन नुस्खों की एकमात्र ज्ञात प्रति को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
4 समोसा विक्रेता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप (Startup) “समोसा सिंह को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
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