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जैसे-जैसे आज हमारे लिए कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन आम होते जा रहे है, वैसे-वैसे ही उनसे संबंधित या उनके माध्यम से होने वाले अपराधो में भी वृद्धि हो रही है। इन अपराधों को हम साइबर क्राइम (Cyber Crime) कहते है। कंप्यूटर या इंटरनेट के माध्यम से की जाने वाली सभी आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम के तहत आती है। आज प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (E- Commerce) का उपयोग बढ़ रहा है और इस तरह साइबर अपराध भी बढ़ रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारा शहर मेरठ तथा हमारा राज्य उत्तर प्रदेश भी इसका शिकार हो रहे है। परंतु ऐसे कुछ उपाय भी है जिनसे इस समस्या से हमे निजात मिल सकती है। आइए आगे पढ़ते है।
अश्लील सामग्री (Content) के इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण से लेकर ऑनलाइन जालसाजी (Phishing), ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी और फिरौती वाले सॉफ्टवेयर (Ransomware ) के हमलों तक, साइबर अपराध के रूप में पिछले 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में अपराधों के रूप में एक बड़ा बदलाव आया है। लेकिन आइए पहले हम ऑनलाइन जालसाजी तथा फिरौती वाले सॉफ्टवेयर के हमलों के बारे में जान लेते है।व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर जानने के लिए,किसी प्रतिष्ठित कंपनी के नाम से किसी व्यक्ति को ईमेल (E-mail) या अन्य संदेश भेजने की धोखाधड़ी ऑनलाइन जालसाजी अर्थात फिशिंग कहलाती है। वही दूसरी ओर, एक प्रकार का खराब सॉफ़्टवेयर (Software), जिसे जब तक कि कुछ राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तब तक कंप्यूटर सिस्टम तक किसी की पहुँच को अवरुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है, फिरौती वाला सॉफ्टवेयर अर्थात रैंसमवेयर कहलाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2011 में साइबर अपराध के कुल 101 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से ज्यादातर, अश्लील सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण से संबंधित थे। 2011 में साइबर क्राइम के मामलों में उत्तर प्रदेश देश छठे स्थान पर था। जबकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास उपलब्ध 2015 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने 2,208 मामलों के साथ देश में सबसे अधिक साइबर अपराध दर्ज किए थे, इसके बाद महाराष्ट्र में 2,195 मामले दर्ज किए गए थे।
किंतु 2021 में दर्ज 8,829 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश साइबर अपराध के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। पिछले 10 वर्षों में, उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध के 49,855 मामले दर्ज हुए हैं। इसका मतलब है कि, लगभग हर 13वें दिन साइबर जगत में कम से कम एक व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार बनता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में पिछले 10 सालों में 13,550 साइबर गुनहगारों को गिरफ्तार भी किया गया है और 29,500 मामलों में चार्जशीट भी दाखिल की गई है।
पूरे राज्य के साथ ही पूरे मेरठ जिले तथा हमारे शहर मेरठ में भी साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं और उन्हें नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका निवारक कार्रवाई करना है। मई 2017 में मेरठ साइबर सेल (Cyber cell) में 16 लाख रुपये के साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए थे जबकि साइबर सेल के अधिकारियों द्वारा 12.5 लाख रुपये की वसूली की गई थी। इस मामले में मेरठ पुलिस का काम प्रशंसनीय रहा है। आइए जानते है इसके बारे में …
मेरठ जिले में बढ़ते साइबर अपराधों की जांच करने के लिए मेरठ पुलिस ने ऐसी घटनाओं को दर्ज कराने हेतु निवासियों के लिए एक व्हाट्सएप नंबर (WhatsUp No.- 9412465954) शुरू किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि साइबर अपराध की घटना की सूचना देने में कोई देरी न हो, पुलिस ने यह व्हाट्सएप नंबर शुरू किया है, जिसका उपयोग लोग संदेश और कॉल के माध्यम से पुलिस तक पहुंचने के लिए कर सकते हैं। मेरठ साइबर सेल में पुलिस ने लोगों को साइबर अपराधियों के जाल में फंसने से बचने के लिए ‘क्या करें और क्या न करें?’ के 13 संकेतक सूचीबद्ध करते हुए सूचना फलक भी शहर में लगाए हैं।
फिर भी, हमें कुछ ऐसे ठोस उपायों की जरूरत है, जिनसे साइबर अपराध करने वाले दानवों से हम बच सके। इसीलिए,13 मई 2021 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध की जांच करने हेतु एक वेबसाइट ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (National Cyber Crime Reporting Portal) और हेल्पलाइन नंबर ‘155260’ शुरू किया है। इस हेल्पलाइन के लिए उत्तर प्रदेश के 112 मुख्यालयो में समर्पित कॉल सेंटर स्थापित किए गए है, जहां अधिकारी चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं। अगर कोई साइबर अपराध का शिकार होता है, तो उसे तुरंत हेल्पलाइन से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी पीड़ित अपराध की रिपोर्ट करता है, पीड़ित को मदद मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
सच में, साइबर गुनाह आज के जगत में एक दानव ही है। और यह हमें कई तरीकों से प्रभावित कर रहा है। हमने देखा कि कैसे उत्तर प्रदेश तथा मेरठ शहर भी इसका शिकार हुआ है। हालांकि, कुछ ऐसे उपाय लागू किए गए है, जिनसे हम इन अपराधों की चपेट में आने से बच सकते है। परंतु हमारी सुरक्षा हमारे ही हाथों में है। हम हमारे सुरक्षा सॉफ्टवेयर को अपडेट रख सकते है या सुरक्षा सेटिंग्स का उपयोग कर सकते हैं, जब जरूरत न हो तब हम हमारे उपकरणों से लॉगआउट कर सकते है या इंटरनेट को बंद कर सकते है। साथ ही, किसी को भी अपनी कोई भी निजी जानकारी न बताए। जब संदेह हो तो किसी भी लिंक को शुरू न करे,किसी को ओटीपी (OTP) न बताए एवं सार्वजनिक वाईफाई (WiFi) का उपयोग न करे।
संदर्भ
shorturl.at/bwNU1
shorturl.at/cgpY2
shorturl.at/bhsFY
चित्र संदर्भ
1. साइबर अपराध को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. सुरक्षा हैकर को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
3. एक काल्पनिक सामाजिक नेटवर्क आरेख। इसमें 165 नोड और 1851 किनारे हैं। एसवीजी-फाइल स्क्रिप्ट द्वारा स्वत: उत्पन्न हुई थी। अंतर्निहित नोड/एज डेटा को सर्कल/लाइन तत्वों से निकाला जा सकता है।को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल को संदर्भित करता एक चित्रण (cybercrime)
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